-कमलेश भारतीय ताश के बावन पत्तेसबके सब हर्जाईमै लुट गया , राम दुहाई ,,, कांग्रेस हाईकमान के साथ यही हो रहा है । सबके सब हर्जाई निकलते जा रहे हैं । कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए भरोसा किया राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर । विश्वासपात्र व्यक्ति खोजा पर कहीं चूक हुई । राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का मोह छोड़कर दिल्ली में अध्यक्ष पद का ऑफर शायद मन को भाया नहीं ! इनके सहयोगियों ने ऐसी स्थिति बना दी कि पर्यवेक्षकों ने दिल्ली लौटकर अनुशासनहीनता की रिपोर्ट श्रीमती सोनिया गांधी को सौंप दी । सोनिया गांधी को ऐसी उम्मीद कतई न थी कि राजस्थान में ऐसा खेला शुरू हो जायेगा । पर हुआ और सचिन पायलट भी दिल्ली डेरा लगाने आ पहुंचे ! इन सारी स्थितियों से अशोक गहलोत की पकड़ कमज़ोर हुई और छवि धूमिल ! इससे अन्य प्रत्याशियों के रूप में एकदम से मुकुल वासनिक , मल्लिकार्जुन खडसे और यहां तक कि दिग्विजय सिंह के नामों पर भी विचार होने लगा । शशि थरूर तो अलग से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं ही ! चंडीगढ के पूर्व सांसद पवन बंसल भी कुछ करने की सोच रहे है ! अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों की सूची बढ़ती जा रही है । ऐसे में कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने राहुल गांधी से फिर आग्रह किया है कि वे क्रांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालें और इसे बिखरने से बचा लें ! कांग्रेस हाईकमान की अब तो विरोधी भी आलोचना कर रहे हैं कि अनुशासन बनाने और इसकी पकड़ बनाये रखने में इनसे ज्यादा तो क्षेत्रीय पार्टियों के अध्यक्ष बहुत बेहतर स्थिति में हैं ! नये राजनीतिक घटनाक्रम में अब यह सस्पेंस बन गया कि क्या अशोक गहलोत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे भी या मुख्यमंत्री ही बने रहना पसंद करेंगे ? सवाल का जवाब सोनिया गांधी के पास है । हमारे पास तो सिर्फ विचार है । ताश के बावन पत्ते , सबके सब हर्जाई! कौन लुट रहा है और कौन लूट रहा है , कुछ कह नहीं सकते भाई !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एम ए हिंदी पाठ्यक्रम में एस आर हरनोट की कहानी “जीनकाठी” शामिल बेटियों को पढ़ाने के साथ आत्मनिर्भर बनाना जरूरी : गीता भारती