केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह विगत दो वर्ष से दावा कर रहे है कि उन्होंने 300 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले न्यू झज्जर बाईपास के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से 75 प्रतिशत धन पारित करवा दिया और 25 प्रतिशत धन इस पर हरियणा सरकार खर्च करेगी, लेकिन जमीन पर तो कहीं काम नही हो रहा : विद्रोही
विगत 8 सालों से अहीरवाल के साथ विकास कार्यो में राजनीतिक आधार पर भारी भेदभाव हो रहा है : विद्रोही

21 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बयान में कहा कि केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह विगत दो वर्ष से दावा कर रहे है कि उन्होंने 300 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले न्यू झज्जर बाईपास के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से 75 प्रतिशत धन पारित करवा दिया और 25 प्रतिशत धन इस पर हरियणा सरकार खर्च करेगी, लेकिन जमीन पर तो कहीं काम नही हो रहा। विद्रोही ने कहा कि अब राव इन्द्रजीत सिंह दावा कर रहे है कि नारनौल रोड़ से शुरू होकर झज्जर रोड़ तक 300 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाला यह न्यू बाईपास जून 2023 तक पूरा हो जायेगा। यह राग विगत दो वर्ष से गाया जा रहा है, पर जमीन पर कुछ नही हुआ। नारनौल से झज्जर रोड़ को जोडने वाले बाईपास की जमीन अधिग्रहण का काम कांग्रेस राज में ही पूरा हो गया था, पर विगत 8 वर्ष के भाजपा राज में राव इन्द्रजीत सिंह हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार से एक रोड़ी भी इस बाईपास के निर्माण के लिए नही लगवा पाये है। वहीं यह बाईपास आगे चलकर नारनौल रोड़ से बावल रोड़ होते हुए दिल्ली-जयपुर हाईवे से भी मिलना है। लेकिन यह सपना कब पूरा होगा, कोई नही जानता।

विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व राव इन्द्रजीत सिंह के बीच राजनीतिक प्रतिस्र्पधा व वर्चस्व की लडाई के चलते यह बाईपास बन नही पा रहा है। घोषणाएं व दावे तो विगत 8 सालों से होते आ रहे है, लेकिन पर जमीन पर कुछ नही होता। नारनौल रोड़ से झज्जर रोड़ तक के बाईपास के लिए लगभग दो वर्ष पूर्व एनसीआर प्लानिंग बोर्ड 75 प्रतिशत राशि देने का फैसला भी कर चुका है, फिर भी अमल कुछ नही हुआ। अब राव साहब लोकसभा व विधानसभा आम चुनावों के मध्यनजर जून 2023 तक इस बाईपास के निर्माण का दावा तो कर रहे है, लेकिन क्या खट्टर जी इस दावे को सच होने देंगे, यह तो समय ही बतायेगा। सीएम मनोहरलाल खट्टर व राव इन्द्रजीत सिंह के बीच 8 वर्षो से चल रहे राजनीतिक शीत युद्ध से अहीरवाल के विकास का हर प्रोजेक्ट ना केवल प्रभावित हो रहा है अपितु क्या तो विकास प्रोजेक्टों पर काम ही नही हो रहा और यदि काम हो रहा है तो वह पूरा होने का नाम नही ले रहा। विद्रोही ने कहा कि सत्तारूद्ध भाजपाई-संघी कुछ भी दावा करे, जमीनी हकीकत यही है कि विगत 8 सालों से अहीरवाल के साथ विकास कार्यो में राजनीतिक आधार पर भारी भेदभाव हो रहा है और इस क्षेत्र के लोगों को उनका वैद्यानिक हक विकास में नही मिल रहा।

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