सम्मान समारोह , विभिन्न विषयों पर  वक्तव्य , समाचार वाचन प्रतियोगिता, काव्य पाठ व पुरस्कार वितरण  आयोजन के प्रमुख केंद्र 

गुरुग्राम, 19 सितम्बर, 2022 – हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मेलन, गुरुग्राम के तत्त्वावधान में  द्रोणाचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालयर गुरुग्राम के सभागार में रविवार 18 सितम्बर, 2022 को प्रातः 10 बजे हिंदी समारोह का आयोजन किया गया । सर्वप्रथम  संस्था सदस्य राजकुमार शर्मा  के असामयिक निधन पर  दुःख व्यक्त करते हुए दो मिनट मौन धारण कर  उन के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।

महाविद्यालय के प्राचार्य वीरेन्द्र अंतिल ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई । पूर्व प्राचार्य एस. एस. बोकन, संरक्षक कुंदन लाल पटेल विशिष्ट अतिथि के रूप में शोभायमान थे । संस्था  अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी, कार्यकारी अध्यक्ष शशांक मोहन शर्मा, साहित्य मंत्री आर. एस. बोकन, महामंत्री मोहन कृष्ण भारद्वाज, उपाध्यक्ष सुरेखा शर्मा ने मंच को सुशोभित किया ।

पुष्पा आंतिल ने कार्यक्रम का सधा हुआ बेहतरीन संचालन किया । उन्होंने कहा स्व. फूलचंद सुमन जी ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन हिन्दी के लिए समर्पित कर दिया । कवयित्री सुषमा भंडारी के मधुर कंठ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । “माँ शारदे ,सुविचार दे, मेरी वाणी को विस्तार दे… I ” साहित्य मंत्री आर. एस. बोकन ने अतिथिगण व सम्मेलन के पदाधिकारियों का विस्तृत शाब्दिक परिचय दिया ।

सम्मान समारोह , विभिन्न विषयों पर  वक्तव्य , समाचार वाचन प्रतियोगिता, काव्य पाठ व पुरस्कार वितरण  भव्य  हिंदी दिवस समारोह के प्रमुख केंद्र बिंदु रहे I  77 वर्ष की अवस्था में प्रथम श्रेणी में एम. ए. ( हिंदी ) भगवान दास ललित को ‘हिंदी अनुरागी सम्मान’ से अलंकृत किया गया I कमलेश कौशिक को ‘आदर्श अध्यापिका सम्मान’ से अलंकृत किया गया I डा. सरोज गुप्ता को ‘वयोवृद्ध साहित्यकार” के रूप में सम्मानित किया गया I कवयित्री परिणीति सिन्हा ने  हिन्दी साहित्य का स्वरूप और प्रभाव’ पर सारगर्भित वक्तव्य देते हुए कहा,”साहित्य दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ता है, कालजयी होता है । जो सार्थक है, अमिट रहेगा ।”

आर. एस. बोकन ने ‘ हिंदी का विचित्र शब्द संसार’ विषय पर  रोचक व ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिया । उन्होंने हिंदी शब्द भंडार की महिमा भी बताई और  मूसलधार, तीर्थस्थल, सवारी जैसे कई  प्रचलित शब्दों का जिक्र किया जिनका अज्ञानतावश गलत रूप से प्रयोग किया जाता है ।

सुरेखा शर्मा ने ‘स्वाधीनता आंदोलन में हिन्दी साहित्य की भूमिका’ पर अपना वक्तव्य देते हुए साहित्यकारों की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला जिन्होंने राष्ट्र प्रेम से ओत -प्रोत  कविताएं लिखकर पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से नवयुवकों को प्रेरित किया । बाल कृष्ण शर्मा नवीन , सुभद्रा कुमारी चौहान, श्याम लाल गुप्त, राम प्रसाद बिस्मिल , बाल मुकुन्द गुप्त जैसे अनेक कवियों, साहित्यकारों  ने सामाजिक व  राजनैतिक  चेतना से परिपूर्ण कविताओं, लेखों  द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध जनमत तैयार करने में अहम भूमिका निभाई ।सुखवर्षा ने वर्तमान पत्रकारिता पर सारगर्भित वक्तव्य दिया I  उन्होंने कहा वर्तमान पत्रकारिता का  स्वरूप पूर्णता लिए है फिर भी उसकी स्थिति चिंतनीय है । लेकिन ये सुखद है कि हिंदी ने विश्व मे परचम लहराया है और अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबा को बहुत कम कर दिया है ।

वीरेंद्र आंतिल और प्रो. नीलमणि गौड़ ने हिन्दी के युगल गीत की सांगीतिक प्रस्तुति दी ।

” हिन्दी है प्यारी हिंदी, सबसे है न्यारी हिंदी, इसकी है अपनी पहचान, दुनिया रही है यही मान ।”

शुद्ध उच्चारण व मंच प्रस्तुति को ध्यान में रखते हुये ‘समाचार वाचन प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न विद्यालयों के लगभग 25 बच्चों ने प्रतिभागिता की । वर्णिका सिंह , निधि चौधरी, सफलता गिल, आद्या मिश्रा, इशिता चौहान, मुस्कान यादव, कृष्णवेन्द्र सिंह, नैना कुमारी, अवनि पराशर, स्वाति शर्मा, आस्था श्वेता, अंजलि, रिया,  श्रेया मलिक, उपासना, पूर्वी ,अनीता , ज्योति सहित सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह व प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया I यूथ फेस्टिवल में हरियाणवी कविता के लिए प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाली अनिता की कविता को श्रोताओं द्वारा सराहा गया ।  

सभागार में उपस्थित कवियों त्रिलोक कौशिक, अनिल श्रीवास्तव, प्रेमलता, लाडो कटारिया, कृष्णा आर्य, मोनिका शर्मा, सुषमा भंडारी ,  कृपाल कौल छाबड़ा, नरेन्द्र खामोश, मेघना शर्मा, कमलेश कौशिक, सुनील शर्मा , सुनील यादव , दौलतराम कौशिक सहित लगभग 17  कवियों ने काव्य  पाठ  किया I 

वीरेंद्र अंतिल ने न केवल अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई बल्कि मधुर गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चाँद भी लगाए I  मुख्य अतिथि के रूप में वीरेंद्र आंतिल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व प्राचार्य एस. एस. बोकन को  अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित भी किया गया I  पुष्पा  आंतिल को भी सम्मान स्वरुप स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया ।वीरेन्द्र अंतिल ने हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा दिलाने हेतु आवश्यक प्रयासों पर बल दिया ।कुंदन लाल पटेल ने अपने उदबोधन में हिन्दी को देश की संपर्क भाषा बताया ।इस अवसर पर डॉ के. एन. शर्मा, सुदर्शन शर्मा, डॉ सुरेश वशिष्ठ, बिमलेन्दु सागर , नरेन्द्र गौड़ , जगदीश कटारिया , राज वर्मा, राधा शर्मा , अधिवक्ता राजू राजभर, रवि किरण सचदेव सहित कई हिंदी प्रेमी सभागार में उपस्थित थे I राष्ट्रगान और भारत माता की जय के उदघोष से कार्यक्रम का समापन किया गया I 

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