जिला के पुलिस कप्तान आंख बंद कर धृतराष्ट्र बनने की कर रहे कोशिश

भारत सारथी/ कौशिक
नारनौल। आइए आज आपको फिर दो अलग अलग वीडियो दिखाते हैं ।

पहला वीडियो नारनौल के बस स्टैंड के बाहर का है जिसमें एक महिला पुलिसकर्मी बेरहमी से एक महिला को टांग पकड़कर घसीटते हुए ले जाती दिखाई दे रही है।

दूसरा वीडियो निजामपुर पुलिस द्वारा प्रताड़ित एक व्यक्ति का है। जिसके अंदर पुलिस के द्वारा केवल एप्लीकेशन के ऊपर एक व्यक्ति को 7 घंटे हिरासत में रखकर कैसे दिया गया थर्ड डिग्री टॉर्चर शायद तस्वीरें देखकर आपकी भी रूह कांप उठे यह तस्वीरें स्टोन क्रेशर पर काम करने वाले एक व्यक्ति का है जिसने पर स्टोन क्रेशर वालों के साथ मिलकर निजामपुर पुलिस के कर्मचारियों द्वारा बेकसूर होने पर भी 3डिग्री देने का आरोप लगाया है ।

जिले के बात की जाए तो पुलिस अपनी पीठ थपथपा ने के लिए ना जाने कितने बेकसूर ओ को अपराधी बनाने पर तुली है और यह सब हो रहा है जिला पुलिस कप्तान की अगुवाई में क्योंकि जब आप प्रेस नोट पढ़ते हैं तो आप यह सुनते हैं और देखते हैं कि कोई भी खबर आती है तो उस पर बकायदा लिखा हुआ आता है कि जिला पुलिस कप्तान के नेतृत्व में या निर्देशानुसार तो मतलब स्पष्ट है कि फिलहाल पुलिस ने जिले में अपराधियों को सुधारने का नहीं बल्कि आम आदमियों को अपराधी बनाने का ठेका ले लिया है। इसका जीता जागता पहला उदाहरण नारनौल के पत्रकार मनोज गोस्वामी, दूसरा उदाहरण नारनोल के सामान्य बस स्टैंड के बाहर एक महिला पुलिस कर्मी द्वारा निर्दयता से एक महिला को पैर पकड़ कर घसीट कर ले जाते देखा जा सकता है।

तीसरा उदाहरण सेवा सुरक्षा सहयोग का दावा करने वाली निजामपुर थाना पुलिस का है।‌ निजामपुर पुलिस द्वारा केवल एक क्रेशर मालिक की शिकायत पर इस व्यक्ति को बड़ी बेरहमी से पीटा। आखिर पुलिस को इतने अधिकार किस कानून के तहत मिले कि वह एक साधारण शिकायत पर इतनी बेरहमी से पेश आए क्या पुलिस के खिलाफ कोई कानून नहीं है क्या जिला पुलिस करें सर और खान माफिया के इशारे पर चल रही है यह सवाल उन जनप्रतिनिधियों के भी लिए है जो विधानसभा में तो जोर शोर से क्रेशर और खान को लेकर आवाज बुलंद करते हैं पर जिले के पुलिस कप्तान की मनमानी रोकने की हिमाकत नहीं करते आखिर क्यों क्या विवशता है

पुलिस की मनमानी और पैसे का खेल का एक और उदाहरण सामने आया है अभी हाल ही में हमने एक पोस्ट के द्वारा खनन और पुलिस की लोकेशन बताने वाले तो व्हाट्सएप ग्रुप को भंडाफोड़ किया था। इसमें भी पुलिस की बुद्धिमता देखी जिस सीआईए का ढिंढोरा पीटा जाता है कि वह अपराधों पर रोकथाम लगा रही है उसी आइए ना नोट द्वारा उस ग्रुप के एडमिन को तुरंत तुरंत हटाया गया और जो साधारण ट्रक ड्राइवर थे उनको एडमिन दिखाकर उनकी गिरफ्तारी की गई। जिला पुलिस कप्तान से सीधा सा सवाल कि आपके पास साइबर सेल है आपने इसकी गहनता से जांच क्यों नहीं करवाई आखिर इसके पीछे क्या पैसे का खेल नहीं था क्या उस ग्रुप एडमिनो को आपने महज लक्ष्मी की टंकार के आगे नतमस्तक होकर छोड़ दिया। आखिर इसके जो प्रभावशाली वह राजनीति से सम्बन्ध रखने वाले ग्रुप एडमिनो क्यों छोड़ा गया इसका जवाब जनता के समक्ष आना चाहिए। टीम पुलिस को लेकर तहकीकात में लगी हुई है हम पुलिस की जातियों के और मामले भी सार्वजनिक करने की कोशिश करेंगे।

आजकल जिला पुलिस द्वारा गांव में मुनादी की जा रही है कि खनन को लेकर जनता पुलिस के साथ सहयोग करें। अब यहां सवाल यह खड़ा होता है जब खनन के खिलाफ कोई पत्रकार आवाज उठाता है तो उस पर मुकदमे बना दी जाते हैं खान अथवा क्रेशर मालिकों की शिकायत पर बेरहमी से पुलिस का डंडा चलता है निर्दयता और बेरहमी के साथ मारपीट की जाती है। देखकर यह लगता है कि पुलिस खान और कैसर मालिकों के हाथों खेल रही है।

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