यात्रा की अगुवाई राहुल गांधी करेंगे और अलग-अलग राज्यों में उस राज्य के नेता भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ते रहेंगे यात्रा के दौरान ही होगा कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव राहुल की यात्रा बहुत डरावनी है, आतंकित करने वाली है आवाज़ से आवाज़ मिलाइए क्योंकि यह निकट भविष्य में अंतिम प्रयास है अशोक कुमार कौशिक चलिए। चलना लाभकर है। चाहे स्वास्थ्य की दृष्टि से हो या ज्ञान की दृष्टि से। भारत की यात्रा अवश्य करिए, भले ही भारत जोड पाएं या नहीं जोड पाएं, परंतु भारत क्या है, कैसा है और क्यों है, यह ज्ञान अवश्य अर्जित हो सकता है, बशर्ते संवेदना जागृत रहे। यदि देशहित के लिए ये यात्रा है तो संवेदना होना स्वाभाविक है और यदि पार्टी हित के लिए है तो फिर निराशा ही हाथ लगेगी। अंत में चले साढे तीन हज़ार किलोमीटर और पहुंचे कहीं नहीं। लक्ष्य यदि सीखना है तो इतना सीखेंगे कि देश के करोडों जन आपको अपना गुरू मानेंगे। और लक्ष्य यदि खोई सत्ता फिर से पाना है तो किलो और लीटर का फर्क भी पता नहीं पडेगा। गांधी सी ललक ले कदम बढेंगे तो दिखेगा कतार का वो अंतिम व्यक्ति, वो भूखी निर्धन कुपोषित जनता जो आपसे और आप जैसे कई राजनेताओं से अपने उद्धार की उम्मीद लगाए बैठी है। महसूस होंगे उसके दर्द और अहसास होगा उस जनता के साथ सरकारों द्वारा किए गए असंख्य छल का, और आंखें झुकेगी शर्म से थोडी उस पाप के भागीदार होने के नाते। उस शर्म उस पाप का बोध आवश्यक है आपके उत्थान के लिए। इस देश की करोडों की आबादी के साथ अपने मन के तार जोडने के लिए। यदि कांग्रेस के नेता की तरह चले, तो परिणाम सिफ़र ही रहेगा, क्योंकि आपका काड़र भले ही जीवित हो जाए, आपकी आत्मा जागृत नहीं होगी और जनता के लिए ये एक राजनीतिक जुलूस ही रह जाएगा। तो राहुल गांधी की तरह नहीं, बापू गांधी की तरह यात्रा कीजिए। सीखने के लिए यात्रा कीजिए, समझने के लिए यात्रा कीजिए, संवेदनशील मन लिए राजनीतिक और आत्मिक शुद्धि हेतु यात्रा कीजिए। भारत जोडो यात्रा नहीं, भारत समझो यात्रा कीजिए। भारत जोड़ो यात्रा। राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू कर चुकी है ।यह यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों से होते हुए कश्मीर तक जाएगी। 7 सितंबर से शुरू होने वाली यह यात्रा 150 दिनों तक चलेगी और कांग्रेस के सिपाही इस दौरान 3,750 किलोमीटर का सफर तय करेंगे। कहा जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी अपने काडर को जगाने के साथ-साथ आम जनता को भी पार्टी से जोड़ने की योजना बना चुकी है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी 5 महीने लंबी इस यात्रा के जरिए अपने पक्ष में माहौल बनाकर एजेंटा सेट करने की तैयारी में है। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि यह यात्रा जनता की चिंता और परिवर्तनकारी राजनीति के लिए आयोजित की जा रही है। कांग्रेस का कहना है कि वह ऐसा संदेश देना चाहती है कि वही एक पार्टी है जो भारत को जोड़कर रख सकती है। यात्रा के दौरान ही होगा कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव की प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी। 24 से 30 सितंबर तक नामांकन होना है और 8 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे । अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार नामांकन करते हैं तो 17 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होंगे और 19 अक्टूबर को नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान होगा। इस दौरान भारत जोड़ो यात्रा जारी रहेगी। हर दिन 15-20 किलोमीटर चलेगी यह यात्रा 150 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में 118 नेता पदयात्रा करेंगे। इन नेताओं के अलावा कांग्रेस पार्टी के हजारों कार्यकर्ता, सिविल सोसायटी के लोग और आम जनता भी यात्रा का हिस्सा बनेगी। यह यात्रा हर दिन लगभग 20-25 किलोमीटर की यात्रा तय करेगी। यात्रा की अगुवाई राहुल गांधी करेंगे और अलग-अलग राज्यों में उस राज्य के नेता भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ते रहेंगे। कन्याकुमारी से शुरू होकर यह यात्रा तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबुर, मैसूर, बेल्लारी, रायचुर, विकाराबाद, नांदेड़, जलगांव, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अंबाला, पठानकोट और जम्मू से गुजरने के बाद श्रीनगर में पूरी होगी। इस यात्रा में शामिल होने वाले यात्रियों को ‘भारत यात्री’, ‘अतिथि यात्री’ और ‘प्रदेश यात्री’ नाम की तीन कैटगरी में रखा गया है। राहुल की यात्रा बहुत डरावनी है, आतंकित करने वाली है, इसका भयंकर असर होगा उन पर,जिनकी नज़र में भारत केवल संघ की दृष्टि का भारत है, जिसमें सभी धर्म,सभी जाति, सभी भाषा, सभी क्षेत्र के लिए समान जगह नही है । यह यात्रा उन्हें डराएगी जो भारत को मुट्ठीभर समझते हैं । यह उन्हें आतंकित करेगी,जो केवल एक रंग की राजनीति से आज तक अपनी दुकान चलाते हैं क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा इन्ही को दिखाने के लिए निकली है कि तुम चलते चलते किसी का हाथ झटक दोगे, किसी को पछाड़ दोगे, किसी को कुचल दोगे मगर इस देश में बहुत लोग हैं, जो तुम्हारी इस हरकत के खिलाफ एक होने निकले हैं । एक नज़र भारत जोड़ो यात्रा पर डाल लीजिए, इसमें न हुड़दंग है, न उत्तेजना है, न भड़काऊपन है, न किसी को नीचा दिखाने की चेष्ठा है, असल में यही भारत है, हमारा सर्वश्रेष्ठ भारत, जिसका मस्तक ऊँचा रहता है, बिना किसी दूसरे के मस्तक पर पैर रखे । नेहरू ने 1952 का पहला चुनाव सम्प्रदायिकता के विरुद्ध लड़ा था और आज राहुल उसी नफरत के विरुद्ध खड़े हैं। आप ज़रा दिमाग पर ज़ोर डालिये और देखिये की आखरी बार कब आपने नफरत और हिंसा के विरुद्ध कब इतना बड़ा जन अभियान देखा था । आखिर कब कोई आपसे यह कहने निकला था कि सद्भावना, भाईचारा, एकता और अखंडता ही हमारा भविष्य है, इसके साथ आइए । तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने राहुल को झंडा सौंपा है । सहाब देश में जो भी दल नफ़रत और सम्प्रदायिकता के विरुद्ध एकता के साथ अखण्ड भारत के सपने का साझीदार बनना चाहते हैं, वह भी इस यात्रा को अपनी यात्रा समझें । नफ़रत, बेरोजगारी,महंगाई,भृष्टाचार, दो यारों को देश की कुल सम्पत्ति बेचने की मानसिकता,संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ेदारी और आपके भविष्य को अंधकार में धकेलने के विरुद्ध इस आवाज़ से आवाज़ मिलाइए क्योंकि यह निकट भविष्य में अंतिम प्रयास ही है। एक होइए, जुड़िये और देश को भविष्य की दौड़ में आगे आने लायक बनाइये,क्योंकि दुनिया में वही देश सर उठाकर चलेगा,जहाँ दो लोगों में नफरत न हो,जो एक हों,जिनके सपने और प्रयास साझा हों, यह उसी का महाभियान है । यात्रा को गौर से देखिये,शांति,प्रेम और सद्भावना आपको यूहीं नज़र आ जाएगी । इससे वही आतंकित होंगे,जिनके मन मे मैल होगा । यह देश की आत्मा की यात्रा है, किसी दल, किसी नेता की नही, हमारी मातृभूमि के उन बच्चों की यात्रा है, जो भारत माँ को एकता,सद्भावना और भाईचारे का खोया ज़ेवर लौटाना चाहते हैं ।आप उनका स्वागत, समर्थन और सहयोग कीजिये। Post navigation श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी दुनिया के महान ग्रंथों में अद्वितीय सामाजिक संबंधों की मजबूती आत्महत्या निवारण का साधन है