-कमलेश भारतीय इन दिनों बहुत से नेता जो कभी कांग्रेस का ही हिस्सा थे यानी कांग्रेस में ही शामिल थे , अलग अलग बोली बोल रहे हैं । पहले गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस छोड़ते समय कहा कि कांग्रेस बीमार है और इसका इलाज डाॅक्टर नहीं , कम्पाउंडर कर रहे हैं ! अब आये हैं चौ बीरेन्द्र सिंह जो इनसे भी आगे कह रहे हैं कि कांग्रेस मरी नहीं , मगर किसी एक नेता के हाथ में सारी कमान सौंप देने से कह नहीं सकता कि उठेगी या गिरेगी ? यह भी जोड़ते कहा कि गलत तो कांग्रेस में हो रहा है वर्ना मैं और गुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस क्यों छोड़ते? इसी तरह कुलदीप बिश्नोई कह रहे हैं कि मंडी आदमपुर के उपचुनाव से कांग्रेस का हरियाणा में सफाया होना शुरू होगा । हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्वाध्यक्ष और आजकल आप पार्टी में शामिल अशोक तंवर कह रहे हैं कि कांग्रेस मंडी आदमपुर में चौथे स्थान की लड़ाई लड़ने आ रही है । पहले मंडी डबवाली में भी कांग्रेस की जमानत तक जब्त हुई । कांग्रेस हल्ला क्या बोलेगी , आपस में नेता ही एक दूसरे पर हल्ला बोल रहे हैं ! ये सब वे नेता हैं जो पहले कांग्रेस के ही गुणगान गाते थे । कुलदीप बिश्नोई तो दो दो बार कांग्रेस में आये और गये । ऐसे ही चौ बीरेन्द्र सिंह भी दो दो बार कांग्रेस से दूर हुए । पहले तिवारी कांग्रेस के साथ और आजकल भाजपा के साथ ! इसी तरह अशोक तंवर कांग्रेस छोड़ने के बाद पहले अपनी पार्टी बनाकर , फिर तृणमूल कांग्रेस में और आजकल आप पार्टी में अपनी जमीन तलाश रहे हैं ! फिर भी इन नेताओं को कांग्रेस की बड़ी फिक्र रहती है । मायका भूले नहीं भूलता हो जैसे । कांग्रेस में आने पर घर वापसी और जाने पर दम घुटता है और गुटबाजी जैसे आरोप ! सही है दह दस बहाने लगाकर छोड़कर चले जाते हैं ! जब कांग्रेस छोड़ने की सोचते हैं तो बहाने भी गढ़ते हैं । बनाने पड़ते है दस दस बहाने ! जैसे दस बहाने करने ले गयी दिल कांग्रेस ! ऐसे ही दस बहाने करके छोड़कर चले गये कांग्रेस ! सब पहले से ही तय ! चौ बीरेन्द्र सिंह और गुलाम नबी आज़ाद का कहना मानें कि कांग्रेस बीमार है या अभी मरी नहीं । एक जैसी बात तो फिर इसे जिंदा कैसे किया जाये और कौन करेगा ? क्या कांग्रेस वेंटीलेटर पर है ? काॅमेडियन राजू श्रीवास्तव की तरह ! राजू ने तो संघर्ष किया । ठीक होने लगे । कांग्रेस भी नये सिरे से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के साथ नयी कोशिश करने जा रही है लेकिन गुलाम नबी इसका भी मज़ाक उड़ाते कह रहे हैं कि पहले कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालो । वैसे आज़ाद को याद होगा कि जिन दिनों वे हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी थे उन दिनों एक बस यात्रा पर प्रदेश नेताओं के साथ निकले थे तो बताइए हुजूर क्या कर पाये थे आप ? हिम्मत हार गये थे न ? क्यों नहीं दिल से कोशिश की ? कमलनाथ भी बहुत जल्द ही प्रदेश प्रभारी का कार्यभार छोड़कर चले गये थे । यह हरियाणा की माटी के नेता कमाल है आज़ाद जी । सारे देश को जुगाड़ और आयाराम गयाराम का रास्ता किसने दिखाया ? पूरे का पूरा मंत्रिमंडल किसने बदल कर दिखाया ? हरियाणा का बच्चा बच्चा राजनीति की गहरी समझ रखता है । चौपालों पर ही हुक्का गुड़गुड़ाते यहां वृद्ध भी राजनीति पर बातचीत करते हैं । कभी इनकी बातें सुनो और जानो कि आखिर बीमार कांग्रेस का इलाज मिल सकता है । यानी जनता के बीच जाइए और जानिए कि क्या और कैसे इलाज करना है ? कायाकल्प कैसे होगा ? इसी का नाम भारत जोड़ो यात्रा है ! इसे गंभीरता से चलाया जाये ! हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी रथयात्रा निकाल कर पूरे हरियाणा की नब्ज टटोलने की कोशिश की थी ! ये कोशिश जारी रहनी चाहिए । कभी राहुल ने गरीबों के घर जाकर उनके साथ सभ्य बिता कर भी नब्ज जानने की कोशिश की थी । कोशिश करने वालों कीकभी हार नहीं होती !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation मेडिकल से मेडिटेशन तक परिवार पहचान पत्र के आधार पर जातिगत जनसंख्या का निर्धारण असंवैधानिक , सरकार पहले पिछड़ा वर्ग के आंकड़े सार्वजनिक करें : वर्मा