सरकार पहले ये बताए नगर निगम व नगरपालिका के चुनाव में अतिपिछड़ों के आरक्षण पर कोर्ट ने आंकड़े मांगे तब कैसे मना कर दिया : वर्मा

हिसार 07 अगस्त । कांग्रेसी नेता व स्वाभिमान की आवाज संगठन के अध्यक्ष हनुमान वर्मा ने प्रैस में जारी बयान में कहा कि
“संविधान के अनुच्छेद 243-एफ़ के अनुसार परिवार पहचान पत्र के आधार पर आबादी के जातिगत आंकड़े पहले प्रकाशित करवाना अनिवार्य” पंचायती राज संस्थाओं से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद का हवाला देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने पिछड़ावर्ग को पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण के लिए जो अध्यादेश जारी किया है, उसमे आबादी के निर्धारण के लिए परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) से डाटा लेंने का प्रावधान किया है जो कि संविधान के अनुच्छेद 243-एफ़ की परिभाषा अनुसार असंवैधानिक है।

इस बारे मे बताते हुए उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 243 में जनसंख्या की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। अनुच्छेद 243-एफ में अंकित है कि “जनसंख्या का अर्थ है जनसंख्या के रूप में पिछली जनगणना में पता लगाया गया है । जिसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं।” उन्होंने आगे बताया कि कोई भी राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं में संविधान के अनुच्छेद 243 एफ़ की परिभाषा अनुसार ही किसी वर्ग या जाति की आबादी का निर्धारण कर सकती है । क्योकि अभी तक परिवार पहचान पत्र के आंकड़े प्रकशित नही किये गए है और यदि राज्य सरकार अध्यादेश के प्रावधान मुताबिक परिवार पहचान पत्र के डाटा का प्रयोग पंचायती राज संस्थाओं में करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद 243-एफ़ के अनुसार पहले परिवार पहचान पत्र के जातिगत आंकड़े प्रकशित करवाकर सार्वजनिक करें ।

वर्मा ने कहा हरियाणा में 2011 में जनगणना हुई थी, उसके बाद वर्ष 2018 में माननीय हरियाणा एवं पंजाब हाई कोर्ट के केस संख्या 9931/2016 के निर्देश अनुसार हरियाणा सरकार ने प्रदेश में जातिगत सर्वे करवाया था जो अब तक सार्वजनिक नही किया है। इस प्रकार से हरियाणा सरकार को अनुच्छेद 243-एफ़ के अनुसार वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ो के आधार पर या फिर वर्ष 2018 में प्रदेश में करवाये गए जातिगत सर्वे के आंकड़ो के अनुसार ही आबादी का निर्धारण करना चाहिए ।
वर्मा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिये राज्य सरकार ने परिवार पहचान पत्र से 24 अगस्त 2022 तक के आंकड़े लेने का अध्यादेश पारित किया है । इसलिए संविधान के अनुच्छेद 243 एफ के अनुसार सरकार पहले ये आंकड़े सार्वजनिक करे और फिर सरपंच , पंचायत समिति , जिला परिषद के ड्रॉ निकाले । इस बारे में समस्त पिछड़ा वर्ग की तरफ से हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग को आपत्ति दर्ज करवाई जाएगी और जरूरत पड़ी तो माननीय हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा ।

वर्मा ने कहा कि सरकार ने पहले भी धोखा दिया पिछड़ा वर्ग को ओर अब भी पिछड़ा वर्ग को धोखा देने की फिराक में हैं । सरकार पहले ये बताए अगर इनको परिवार पहचान पत्र को आधार मानकर पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या निर्धारित करना था । तो जब नगर निगम व नगरपालिका के चुनाव में अतिपिछड़ों के आरक्षण पर कोर्ट ने आंकड़े मांगे तब कैसे मना कर दिया कि उन के पास जनसंख्या के आंकड़े नहीं है । सरकार की एक ओर झूठ से पर्दा उठ गया । ये सरकार पिछड़ा वर्ग की सबसे बड़ी दुश्मन है । ओर पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों के साथ लगातार खिलवाड़ करके क्रूर मजाक कर रही है ।

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