-कमलेश भारतीय याद कीजिए सन् 1977 जब आपातकाल के बाद कांग्रेस की बुरी गत बनी थी और जनता पार्टी सत्ता में आई थी । तब यह कहा जा रहे था कि कांग्रेस खत्म हो गयी और कम से कम बीस सात तक कांग्रेस सत्ता में नहीं आने वाली लेकिन वह इंदिरा गांधी का करिश्माई व्यक्तित्व और नेतृत्व था कि मात्र अढ़ाई साल बाद सन् 1980 में ही कांग्रेस सत्ता में लौट आई और जनता पार्टी बुरी तह बिखर गयी । अब सन् 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के बारे में यही कहा जा रहा है कि यह अभी रहेगी , मोदी का करिश्मा काम करेगा । इसके बावजूद जिस तरह ईडी और सीबीआई का उपयोग नेताओं को डराने , दबाने और धमकाने के लिए किया जा रहा है और जिस तरह भाजपा के अंदर ही अंदर मोदी व शाह की जोड़ी के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया है उससे लगता नहीं कि सन् 2024 का चुनाव इतना आसान रह जायेगा । नितिन गडकरी , राजनाथ सिंह , योगी आदित्यनाथ आदि अब उतने विश्वसनीय नहीं रहे और ये भी प्रधानमंत्री पद के दावेदार बताये जा रहे हैं । दूसरी ओर कांग्रेस में बड़े स्तर पर टूट फूट जारी है । गुलाम नबी आजाद , अश्विनी कुमार , कपिल सिब्बल के बाद लग रहा है कि मनीष तिवारी भी कांग्रेस की मुंडेर से उड़कर जाने के लिए पर तोल रहे हैं और न जाने कब यह पंछी भी उड़कर दूसरी मुंडेर पर जा बैठे । इस तरह लगातार कांग्रेस से वरिष्ठ या कहिए पुराने नेता दूसरी जगह जा रहे हैं । इससे यह भी लग रहा है कि कोई नयी कांग्रेस बनने वाली है जिसमें नये चेहरे देखने को मिलेंगे । वैसे भी मनीष तिवारी एक चुनाव लड़े भी नही थे और संभावित हार को देखते हुए अस्पताल दाखिल हो गये थे और कांग्रेस को लुधियाना से किसी और को मैदान में उतारने के लिए विवश होना पड़ा था । अब कह रहे हैं कि हम किरायेदार नहीं , बराबर के हिस्सेदार हैं कांग्रेस में । तो तब क्यों टिकट लौटाया था ? फिर एक किताब में मनीष तिवारी ने ताज होटल की बात उठाते हुए लिखा था कि इस मामले को कांग्रेस ने बेहतर तरीके से नहीं संभाला था । तब चुनाव का समय था और इसका फायदा भाजपा को मिला था । जी 23 के सदस्य ऐसे समय में मुद्दे उठाते हैं जब कांग्रेस कुछ नया या बड़ा कदम उठाने वाली हो या चुनाव हों । इस बार भी गुलाम नबी आजाद और मनीष तिवारी ने यही किया है । जब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा पर निकलने वाली है , तब गुलाम नबी आजाद इस्तीफा देते हैं और मनीष तिवारी आलोचना करने आगे आते हैं । यह खेल कहीं पीछे से कोई और खेल रहा प्रतीत हो रहा है क्योंकि ये तो सिर्फ चेहरे हैं और खेल के पीछे हाथ किसी और का है । फिर भी नयी कांग्रेस बनने वाली है या ये लोग नयी कांग्रेस बनवाने जा रहे हैं । कांग्रेस को हिम्मत करके ऐसे लोगों को खुद ही अलविदा कह देनी चाहिए । नहीं तो ये कांग्रेस के अंदर रहकर नुकसान करते रहेंगे ।-पूर्व उपाध्यक्ष , हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation कांग्रेस जोड़ो का संदेश और तोड़कर चले गये गुलाम नबी आजाद संबंध हज़ारों है ……. अपराध और ड्रग्स के बीच