कमलेश भारतीय

कमाल के रहे गुलाम नबी आजाद और कमाल की रही उनकी कांग्रेस में में आधी सदी की पारी । क्या क्या नहीं पाया और क्या क्या नहीं दिया कांग्रेस ने । फिर भी टिके नहीं रह पाये कांग्रेस में । यह तो बहुत पहले से स्पष्ट हो गया था जब वे राज्यसभा को अलविदा कह रहे थे , विदा हुए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आजाद की जुगलबंदी सामने आई थी । प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम आपके अनुभव का लाभ उठाएंगे और लो सही वक्त आ गया इनके अनुभव का लाभ उठाने का । जम्मू कश्मीर में चुनाव के समय सबसे बड़ा चेहरे के रूप में भाजपा इन्हें पेश करेगी । यह लगभग तय है ।

राज्यसभा से विदा होते ही गुलाम नबी आजाद सचमुच कांग्रेस से आजाद हो चुके थे क्योंकि तुरंत जी 23 समूह बना कर कांग्रेस हाईकमान की आलोचना शुरू कर दी थी । पत्र लिखने से हुई शुरूआत त्यागपत्र लिखने तक पहुंच गयी । उससे पहले अश्विनी कुमार , आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल तक निकल लिये और इनको निकालने के बाद खुद गुलाम भी घोषित रूप से आजाद हो गये । कांग्रेस को जितना अंदर रहकर नुकसान पहुंचा सकते थे , पहुंचाने के बाद बाहर आ गये । यह संदेश देकर कि भारत जोड़ो से पहले कांग्रेस जोड़ो का अभियान चलाये कांग्रेस । यह होती है सभी टाइमिंग । क्रिकेट के खिलाड़ी की तरह । सही समय पर सही छक्का । यानी जब पार्टी किसी बड़े आंदोलन के लिए निकलने लगी , तभी इस्तीफा दिया और राहुल गांधी को बचकाना कहते हुए यह इल्जाम भी धरते गये कि इनके पीए और ड्राइवर तक फैसले कर रहे हैं ।

इतने बड़े नेता को कोई इल्जाम तो धरना ही था तभी पार्टी छोड़ पाते और इल्जाम इतना हास्यास्पद कि क्या कहें ? कोई पूछे कि जब आपको जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया था , तो क्या यह फैसला राहुल के पीए ने किया था या ड्राइवर ने ? इतने बड़े बड़े पद दिये गये तो कौन देता रहा ? जब कांग्रेस संकट में आई तो आप इल्जाम धर कर भाग खड़े हुए ? जब पार्टी दे रही थी तब तो नहीं कहा कि राहुल या सोनिया किसी की सुनते नहीं । अब आप कैसे कह सकते हैं कि पार्टी जोड़ो जबकि आप खुद पिछले दो तीन साल से इसे तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे । यह एक वरिष्ठ नेता का धर्म नहीं है पार्टी को मंझधार में छोड़कर जाना । इस समय पार्टी को आपकी जरूरत थी । सही कहा पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कि इतने वरिष्ठ नेता के जाने से नुकसान तो होगा लेकिन आप तो पहले से ही अपने हथियार चला रहे थे पार्टी के भीतर रहकर । फिर अब क्या करना रह गया था ? यही इस्तीफा देना रह गया था और कितने सारे इल्जाम धर कर आप चलते बने । नुकसान तो होगा । निश्चित तौर पर होगा और भरपाई भी नहीं हो पायेगी क्योंकि जम्मू-कश्मीर में किसके सहारे चुनाव में जायेगी कांग्रेस ? कांग्रेस को जो संदेश दे गये हैं कि कांग्रेस जोड़ो, उस पर चिन करने की जरूरत है और बहुत जल्द कांग्रेस का कायाकल्प करने की जरूरत है । नहीं तो बहुत देर हो चुकी होगी ।
देर न हो जाये
कहीं देर न हो जाये ,,,,
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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