राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति लाई
युवा ही देश का भविष्य है इसलिए उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ना चाहिए
वोट देने की उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर लोकतंत्र को जवान कर दिया
नवोदय विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति

अशोक कुमार कौशिक 

आज आपके सबसे बड़े लीडर का जन्मदिन है आज अगर राजीव जीवित होते तो इस देश की तस्वीर कुछ औऱ ही होती लेकिन आज वो हमारे बीच में नही है और आज ऐसा माहौल है जब हर तरफ झूठ का बोलबाला है तो देश के युवाओँ को सच बताने की जिम्मेदारी हर उस व्यक्ति की है जिन्होने आपको पढ़ा, सुना और देखा है ।

एक बात तो तय है कि वर्तमान हमारा भविष्य तय करता है अगर तो भविष्य में जो होना है वो वर्तमान हमसे मजबूरी में करवा लेता है। बस हमारी सोच सही हो तो कुछ भी होगा वो अच्छा होगा।बाकी घटनायें हमारे वश में नही वो प्रायोजित हैं ।

 राजीव गांधी का भविष्य उस दिन तय हो गया था जिस दिन छोटे भाई संजय की मृत्यु हुई, उनके सारे सपने वहीं धरे रह गये, मां की सहायता ज्यादा जरूरी थी बजाय कि उनके कैरियर से। पत्नी की पसंद वैसे भी हमारे समाज में कभी भी प्राथमिकता नही रही पर यहां तो खुद के शौक भी किनारे हो गये थे। उसके कुछ सालों बाद उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी जो लेनी थी ,वो उसका पूर्वाभ्यास थी।

 यहां एक मिनट सोचने के लिये रुकियेगा कि जो व्यक्ति कभी राजनीति का ककहरा नही जानता था उसके इरादे नेक थे वो अगर कुछ करना चाहता था तो बस पांच साल का समय उसे कम पड़ गया था अगर बस एक कार्यकाल उसे और मिल जाता तो आज हम कहां होते ?

 21 वीं सदी का सपना दिखाकर वो देश के युवाओं को सपने दे गया। और एक घंटे भी आज मोबाइल से दूर न रह पाने वाले जब इसी माध्यम से उन्हें गालियां देते हैं तो युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज और ग्रामीण अंचलों के लिये नवोदय विद्यालय  जैसे जनता से जुड़े कार्यक्रम जो आज भी दिखाई देते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सार्क हो या सियाचिन, मालदीव की सहायता करके उसे  24 घंटे में आजाद कराना हो या श्रीलंका में शांति सेना भेजकर हिंद महासागर में सीधे चीन और अमेरिका से टक्कर लेना हो।

 यहां थोड़ा सा समझिये कि नेहरू के बाद चीन जाने वाले पहले प्रधानमंत्री ही नही बल्कि सियाचिन लेकर नाना का बदला भी ले लिया। राजीव गाँधी ने इस देश को क्या दिया है उसका जवाब आपके हाथ मे है जिससे आप यह पढ़ रहे है । यह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति लाई । आज जिस डिजिटल इंडिया का जाप साहब करते रहते है उसका मूल विचार राजीव का ही था।

 मैं तो उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक का जनक मानता हूँ । सी-डॉट से लेकर एमटीएनएल जैसी कंपनियां उनकी ही देन है। 90 के दशक लाखो लोगो को रोजगार देने वाले एसटीडी पीसीओ  बूथ उनकी ही देन है। आज जो स्वरोजगार का मॉडल मोदी सरकार जनसेवा केंद्र के नाम कॉपी पेस्ट करके आपको परोस रही है उसकी नींव औऱ अधोसरंचना राजीव ने ही दी थी।

आज भारत का युवा आईटी सेक्टर मैं जो झंडे गाड़ रहा है उसके पीछे एक छोटी उम्र के प्रधानमंत्री की बड़ी सोच है । राजीव गांधी ने अपने वैज्ञानिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने का काम किया। राजीव विज्ञान और तकनीक की ताकत जानते थे उन्होंने सस्ते कंप्यूटर  के लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी थी । रेलवे में कम्प्यूटरों का इस्तेमाल करके टिकीटिंग भी शुरू करवाई। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1970 में देश में पब्लिक डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स की शुरुआत हो गई थी लेकिन आईबीएम के साथ देश मे कम्प्यूटर के व्यवसायिक उपयोग को गति राजीव के प्रयासों से ही मिली थी। आज अगर भारत आईटी सेक्टर का सुपर पावर है तो उसकी एक वजह राजीव भी है।

 सुपर कंम्प्यूटर परम जब बनावाया तो शायद बहुतों को नही पता होगा कि ये अमेरिका के मुंह पर तमाचा था क्योंकि उसने हमें अपना कम्पयूटर Cray देने से इसलिए मना किया था कि हम रक्षाक्षेत्र में इसका प्रयोग न कर लें।

 दुख होता है कि आज की जेनरेशन जो कि मोबाइल और लैपटॉप पर ही पूरी तरह निर्भर है इंफोसिस ,विप्रो एचसीएल में लाखों करोड़ों के पैकेज में काम कर रही है नही जानती कि ये दूरदृष्टि किसकी थी ?

 10% जीडीपी भी उन्होंने ही दी थी।

 दुख होता है जब आप शान से कहते हैं मेरा बच्चा इतनी बड़ी आईटी कंपनी में जॉब करता है, विदेशों में टूर पर जाता है और वंशवाद का नाम देकर गांधी परिवार को गालियां भी देते हैं। वंशवाद हो या नही आपकी योग्यता ही सब कुछ है । आपकी नेकनीयत ही आपको आगे बढ़ाती है, जैसे कि  राजीव अचानक में मिली देश की जिम्मेदारी उठाने को बस तैयार ही नही हुये जो कर के दिखाया वो आज अच्छे अच्छे भी आज सोच भी नही पाते ,जिस बोफोर्स ने उन्हे बदनाम किया वो भी कारगिल युद्ध में उनका नाम कर गई।

इसके लिये अटल जी ने उन्हें धन्यवाद कहा ,क्योंकि ये उनका वही दोस्त था जिसने उन्हें चुपके से  इलाज के लिये विदेश भेजा था।बिना उन्हे बताये ही उनकी सारी व्यवस्था किया था।

तो सुनो राजीव के राजकुमारो तुम्हें राजीव ने सच का कंप्यूटर दिया है झूठ का मंतर नही, तुम्हे ज्ञान का मोबाइल दिया है झूठ का मिसाइल नही , तुम्हे युवा लोकशाही दी है तानाशाही नही, तुमसे शिक्षा की बात की है मन की बात नही। इसलिए अगर राजीव गाँधी के जन्मदिन पर तुम्हे कांगि, चमचा आदि  इत्यादि बोले तो समझ जाना की राजीव आज भी जिंदा है क्योंकि अंधभक्त आज भी उनके काम को लेकर सजिन्दा है ।

हालाँकि बेहद अल्प आयु में शहीद हो जाने वाले राजीव गांधी जी का राजनीतिक सफर बेहद छोटा था, पर फिर भी आधुनिक भारत के निर्माण में उनकी भूमिका बेहद अहम है, मात्र 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने आधुनिक भारत की नींव रखने की दिशा में काम किया। आइए जानते हैं उनको किन उपलब्धियों की वजह से आज भी देश याद करता है।

हालांकि वो अपनी मर्जी से राजनीति में नहीं आए थे उनकी माँ इंद्रा की निर्मम हत्या के बाद पार्टी के दबाव के कारण उन्हें राजनीत में आना पड़ा, बतौर प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने कई अहम फैसले लिए जिसके लिए देश आज भी उनको याद करता है।

1- वोट करने की आयु सीमा घटाई

मात्र 40 वर्ष की उम्र  में देश का प्रधानमंत्री बनने वाले युवा से देश के युवाओं की बहुत अपेक्षा थी और मैं लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष सोच वाले राजीव गांधी को 21 वीं सदी के महान लोकतंत्र का सबसे बडा कैटेलिस्ट मानता हूँ। राजीव मानते थे कि युवा ही देश का भविष्य है इसलिए उनकी लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ना चाहिए। इसलिए राजीव सरकार ने 1989 में संविधान के 61 वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर इस लोकतंत्र को जवान कर दिया।

2- कंप्यूटर क्रांति 

राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता। राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है । उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया। उन्होंने कुछ ऐसा कियी कि कंप्यूटर आम लोगों तक पहुंच गया। उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था। तब कंप्यूटर महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे ।‌ उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की ।

3- पंचायतीराज व्यवस्था की नींव

पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता । उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया। 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ। राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया। 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई। इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था।

4- नवोदय विद्यालयों की नींव

ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी। उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई। ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है । बच्चों को छह से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है।

राजीव गांधी ने शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की पहल करते हुए नवोदय विद्यालयों की शुरुआत की औऱ गाँव के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले इसलिए गाँव गाँव मे नवोदय विद्यालय खोलकर बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा दी । आज  नवोदय विद्यालय के विद्यार्थी पूरे देश विदेश मैं देश का झंडा ऊंचा कर रहे है उसके पीछे राजीव की शिक्षा नीति भी है जिसपर आज तक बहस हो रही है ।

5-NPE की घोषणा

NPE की घोषणा भी राजीव गांधी ने ही की। राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की गई। इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ।

6-दूरसंचार क्रांति

कम्प्यूटर क्रांति की तरह ही दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। राजीव गांधी की पहल पर ही अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स(C-DOT) की स्थापना हुई। इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ। जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी। इसके बाद 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई।

देश के युवा राजकुमारो के राजीव को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई। ऐसे युगदृष्टा और मृदु भाषी व्यक्तित्व को नमन 

स्रोत – assassination of Rajeev Gandhi & internet

राजीव गांधी जी की वर्षगांठ के अवसर पर एक rare collection 
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