देशभक्ति देश के लिए भक्ति होती है, न कि किसी पार्टी या राजनेता के लिए
महिला सम्मान की बात तब करता है जब भरपूर नारी अपमान कर चुका होता है
एक ओर आप अपनी प्रोफाइल पिक में तिरंगा लगा लेते हैं वहीं दूसरी ओर आप देश का भगवाकरण चाहते हैं

अशोक कुमार कौशिक 

15 अगस्त तथा 26 जनवरी के दिन देशभक्ति की भावना अपनी चरम सीमा पर होती है। मुझे यकीन है कि सरकारी दफ्तरों में आज तिरंगा फहराने वाले अधिकारी कभी रिश्वत नहीं लेते होंगे।  मेरा यह भी मानना है कि झंडाबंदन करने वाला विधायक भी कभी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हो सकता। हां, 5, 10 करोड़ लेकर पार्टी बदल दे वह अलग बात है, पर देश से प्यार करने वाला भ्रष्ट तो कतई नहीं हो सकता।

15 अगस्त तथा 26 जनवरी के दिन हमें पता चलता है कि हम अपने देश से कितना प्रेम करते हैं। अब देश से प्यार है तो जाहिर है कि देश के संसाधनों से भी प्यार है। राष्ट्र और राष्ट्र के संसाधन दोनो हमारी संपत्ति हैं। इसलिए अगर थोड़ा अवैध खनन कर भी लिया तो क्या गलत किया।  थोड़ा बहुत कमीशन लेकर टेंडर देने से भी किसी की देशभक्ति पर संदेह नहीं किया जा सकता।

15 अगस्त तथा 26 जनवरी के दिन ही पता चलता है कि हम सभी अपने देश के लिए जान देने को भी तैयार है बस ऊपर की कमाई के 100 रुपए भी छोड़ना हमे गवारा नहीं। हमारी देशभक्ति काफी लचीली है। हमारा संविधान हमे इतनी स्वतंत्रता तो देता ही है कि एक दिन पूरे प्रतीकों के साथ देशभक्त बन जाए और अगले दिन से उसी पुरानी दिनचर्या में व्यस्त हो जाएं।

आज फ़ेसबुक से लेकर ट्विटर तक हर कोई देशभक्त नज़र आ रहा है. देशभक्ति बहुत अच्छी बात है मगर ध्यान रखें कि कोई आपकी देशभक्ति का गलत फायदा तो नहीं उठा रहा। कक्षा दस में हिन्दी शिक्षक द्वारा जब जब समास पढ़ाया जाता था तब तब “देशभक्ति” शब्द का उदाहरण भी दिया जाता था। उन्होंने बताया कि देशभक्ति शब्द सम्प्रदान तत्पुरुष का बेहतरीन उदाहरण है जिसका विग्रह इस प्रकार करते हैं “देश के लिए भक्ति” !! 

देशभक्ति देश के लिए भक्ति होती है, न कि किसी पार्टी या राजनेता के लिए। आप ध्यान दीजिए कि देशभक्ति, देशप्रेम, आज़ादी, फौज, आर्मी, कश्मीर इत्यादि शब्दों की आड़ में कहीं कोई अपना उल्लू तो सीधा नहीं कर रहा? 

आप समझिए कि देशप्रेम अपने देश से प्रेम करने में है ना कि किसी से नफ़रत करने में। देश बनता है देशवासियों से और देशवासी तो हम सभी हैं, हिंदू, मुस्लिम, दलित, सवर्ण इत्यादि। 

जब आप देश के एक बहुत बड़े वर्ग या धर्म से नफ़रत करते हैं तो फिर आपके देशप्रेम का दावा खोखला सा नज़र आता है। क्योंकि यदि आप सच में देशप्रेमी हैं तो देश के एक समुदाय को पाकिस्तान चले जाने की नसीहत क्यों देते हैं? आप देश के संविधान में आस्था क्यों नहीं रखते हैं जो उनको भी इसी देश की नागरिकता और अधिकार देता है? जिस देश से प्यार का आप दिखावा करते हो उसी देश के संविधान को जलाने वाले लोगों का आप समर्थन क्यों करते हैं ? आप देशभक्त हैं तो दलितों और पिछड़ों से नफ़रत क्यों करते हैं? 

देश की खनिज संपदा को, आदिवासियों को या जंगलों को क्षति पहुँचाने वालों का विरोध क्यों नहीं करते ? क्या वे देश का हिस्सा नहीं है? एक ओर आप अपनी प्रोफाइल पिक में तिरंगा लगा लेते हैं वहीं दूसरी ओर आप देश का भगवाकरण चाहते हैं। आप अगर देशभक्त हैं तो तिरंगे के हरे रंग से नफ़रत क्यों है? देश तोड़ने वाली पार्टी, नफरत भरे ख्याल, वाट्सएप फॉरवर्ड, हिंसा बढाने वाली पोस्ट का विरोध क्यों नहीं करते?

आप उस तरह के देशभक्त मत बनिए जिसका फ़ायदा किसी एक पार्टी को हो, अपितु ऐसे देशभक्त बनिए जिसका फायदा पूरे देश को हो। आपका पसंदीदा नेता चाहे मोदी हो या राहुल गाँधी, कोई भी इस देश से बड़ा नहीं है ।‌ कृपया किसी नेता के प्रति अपनी भक्ति, चाटुकारिता और आस्था को देशभक्ति या देशप्रेम का नाम ना दें !! 

समझदार बनिए, देशभक्त बनिए, पार्टी भक्त नहीं !!

सुच्चा राजनीतिबाज नेता..

शांति की बात‌ तब करता है जब युद्ध दरवाजे पर आ चुका होता है।

महिला सम्मान की बात तब करता है जब भरपूर नारी अपमान कर चुका होता है।

DP बदलना आसान है, आदतें बदलना मुश्किल।