गुरुग्राम 6/8/22 ; तरविंदर सैनी आम आदमी पार्टी नेता ने कहा कि विपक्ष द्वारा महंगाई को लेकर किए गए विरोध की आवाज सुनते ही गृहमंत्री श्री अमित शाह को राम मंदिर याद आ गया भगवा खतरे में नजर आने लगा हालांकि कल ही 5 अगस्त को ही राम मंदिर निर्माण शिलान्यास को एक वर्ष पूरा हुआ था ,लाखों दिए जलाए गए थे करोडों लोगों प्रचार माध्यमों से जोड़कर अपनी रामभगति दर्शाई गई थी – अब श्री अमित शाह जी से बड़ा सवाल है कि अन्य किसी राज्य अथवा जिला मुख्यालयों पर भी कोई एक दिप जलाया गया या विपक्ष पर तंज कसने के लिए ही राम मंदिर याद आया ? या फिर जिस प्रकार रामभगति भूल गई है ठीक उसी तर्ज पर कल को अपनी छद्म राष्ट्रवादिता तो नहीं भूलेगी भाजपा ? जैसे कि कल ही के दिन यानी पांच अगस्त को ही मोदी जी की सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाई थी बड़े हर्षोउल्लास से जिस उपलब्धि को बार-बार भुनाया गया था क्या उसके लिए भी कहीं कोई कार्यक्रम आयोजित किया गया या चर्चा की गई ? सुना तो नहीं खबरों में कहीं । खैर……

हर घर तिरँगा फहराकर इनकी राष्ट्रभगती को ही देखें तो सरकारी व निजी स्कूलों तक ही सीमित रहने वाली है क्या यह योजना क्योंकि सुनने में तो यह आया था कि निजी स्कूलों पर सरकार की दाब रहती है इसलिए इवेंट कर दिए जा रहे हैं और भाजपा उसका श्रेय ले रही है मगर अब सवाल यह उठता है कि क्या अब से पहले इन निजी स्कूलों ने क्या कभी तिरँगा नहीं फहराया यदि नहीं तो उनकी मान्यता रद्द कर देनी चाहिए थी और हां तो आज इन सब बातों का क्या औचित्य है , यदि स्कूलों तक ही सीमित नहीं है हर घर तिरँगा योजना तो बताए भाजपा सरकार की उसका कोई कार्यकर्ता या कोई प्रशासनिक अधिकारी पहुंचा है किन्हीं दलित बस्तियों में , झुग्गीयों तक तिरँगा लेकर ?

आज़ादी हाँसिल करने की प्रमुख वजह थी चंद अंग्रेज अधिकारी और कुछ उनके लिए काम करने वाले चमचे (पिट्ठू) जो अपने आदेशों के आगे जनता की कोई बात नहीं सुनते थे और आज भी ठीक वैसा ही हो रहा है भाजपा सरकार में चंद खास लोग और मुट्ठी भर उनके गुलाम (पिट्ठूओं ) के इलावे किसी की कोई बात ही नहीं सुन रही है सरकार , अब सवाल यह उठता है कि आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है सरकार तो बताए कि उसने तिरँगे की शान में क्या उदाहरण पेश किया ?

राजसभा संसद भवन का ऊपरी सदन जिसमें लेखाकार, वरिष्ठ अधिवक्ता, वैज्ञानिक, पत्रकार जैसे तमाम बुद्धिजीवियों को चयन द्वारा अथवा मनोनीत किया जाता है उन ऊपरी सदन के सांसदों तक की बातें नहीं सुनी जा रही है बल्कि उन्हें संसद भवन से निष्कासित कर दिया जाता है क्या ऐसे लोकतंत्र की परंपरा परिभाषित कर रही है हर घर तिरँगा फहराकर अपनी रास्ट्रभगति दिखाने वाली मोदी सरकार ?

लोकतांत्रिक मूल्यों की मिसाल ही पेश करनी थी तो संसद भवन के समक्ष प्रस्तुत की होती जो दुनिया देखती कि हाँ हम सभी की बातें सुन रहे हैं उनपर विचार कर योग्य बातों पर योजनाओं को बना समस्याओं का हल करने के प्रयास कर रहे हैं क्योंकि आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है अर्थात अमृतकाल में कैसा भी द्वेष नहीं बरता जा रहा है , मगर नहीं आपने राजसभा के 20 से अधिक सांसदों को बाहर कर दिया और विपक्ष यदि महंगाई, बेरोजगारी, भृस्टाचार, अर्थव्यवस्था को लेकर विरोध करे तो वह राम मंदिर नहीं बनने देना चाहता है विपक्ष राम विरोधी हो गया , क्या ऐसे हर घर झंडा फहराकर राष्ट्रीयता दर्शाने से काम चल जाएगा मोदी जी ?

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