1985 में आरोपी ’पुत्तीलाल’ व उसके अन्य साथियों भेजा था जेल
हत्या व डकैती के मामले में 23.03.1989 को हुई उम्र कैद की सजा  
आरोपी पुत्तीलाल वर्ष-1992 में पैरोल लेकर जेल से बाहर आया
पटौदी के पास गांव सांपका में कई घरों में डकैती डाली थी

फतह सिंह उजाला

गुरूग्राम। अपराधी चाहे कितना ही चालाक और शातिर हो, कभी न कभी पुलिस के हत्थेे चढ़ ही जाता है। ऐसे ही एक मामले में उम्र कैद की सजा के दौरान पैरोल जम्पर आरोपी को 30 वर्ष बाद पंुलिस के द्वारा दबोचा गया है।

एसीपी क्राइम प्रीतपाल सांगवान ने जानकारी देते बताया कि आरोपी ’पुत्तीलाल’ व उसके अन्य साथियों के खिलाफ  14.03.1985 को धारा 395, 396, 397, 302 व शस्त्र अधिनियम के तहत थाना पटौदी, में पुलिस द्वारा आरोपी ’पुत्तीलाल’ व उसके अन्य साथियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। इस मामले में आरोपियों को अदालत द्वारा दिनांक 23.03.1989 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। इसी दौरान आरोपी पुत्तीलाल वर्ष-1992 में पैरोल लेकर जेल से बाहर आया था तथा वापस जेल नही गया। इस मामले में  उप-निरीक्षक अमित कुमार, प्रभारी अपराध शाखा फरूखनगर, की टीम के द्वारा  पैरोल जम्पर पुत्तीलाल / विक्रमजीत को गुप्त सूचना के आधार पर मंगलवार  को जनकपुरी गाजियाबाद (उत्तर-प्रदेश) से गिरफ्तार किया गया।

नाम पुत्तीलाल से बदलकर विक्रमजीत रखा
पूछताछ में ज्ञात हुआ कि उसने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर पटौदी के पास स्थित गांव सांपका में कई घरों में डकैती डाली थी। डकैती के दौरान ही इन्होंने एक व्यक्ति की हत्या भी कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया था तथा इन्हें उम्र कैद की सजा हो गई थी। वर्ष 1992 में पैरोल पर बाहर आने के बाद यह वापस नहीं आया।  इसके बाद इसने पहचान छुपाने के उद्देश्य से अपना नाम पुत्तीलाल से बदलकर विक्रमजीत रख लिया तथा गाजियाबाद में रहने लगा। उसके बाद न ही तो यह अपने गांव गया और न ही किसी रिश्तेदारी में गया। इसने शादी भी कर ली तथा इसके 3 बच्चे भी है। इसने यह भी बताया कि अपने पिता की मौत होने पर भी अपने पैतृक घर नहीं गया था। इसने अपने लड़के की शादी में भी किसी भी रिश्तेदार को नहीं बुलाया था। इसके द्वारा किए गए अपराध बारे इसके बीवी व बच्चे भी अनभिज्ञ हैं। आरोपी को अदालत में पेश करके जेल भेज दिया गया है।

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