-कमलेश भारतीय अभी संसद में ‘राष्ट्रपत्नी’ कहे जाने पर हंगामा चल ही रहा है और स्मृति ईरानी इस विवाद को बढ़ाये रखने में लगी हैं कि माफी मांगे तो खुद सोनिया गांधी मांगे ,,,ऐसे में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा की मुश्किलें में बढ़ा दीं जब एक कार्यक्रम में कहा कि यदि महाराष्ट्र से गुजराती और राजस्थानी न रहें तो मुम्बई इकनॉमिक राजधानी नहीं रहेगी । बस । इस बयान ने बुरी तरह आहत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को एक सुनहरा अवसर दे दिया और उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब राज्यपाल को उनके घर भेजा जाये या फिर जेल । शिवसेना के बागी गुट को भी खामोशी ही धारण करनी पड़ी । कुछ कहते न बना , किनारा ही करना पड़ा राज्यपाल के बयान से । अब जब घिरे तो कोश्यारी बोले- नहीं । मेरा मराठी मानुस को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था । दूसरी ओर उद्धव ठाकरे का कहना है कि कोश्यारी ने मराठी मानुस का अपमान किया है । मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र के विकास में मराठी मानुस के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । एनसीपी की सांसद सुप्रिया ने कहा कि अगली बार जब एकनाथ और फडणबीस दिल्ली जाएं तो राज्यपाल को उनके मूल राज्य उत्तराखंड भेजने के लिए कहें । अब क्या कोश्यारी की भी जुबान फिसल गयी ? क्या सिर्फ अधीररंजन की ही जुबान फिसल सकती है ? किसी और की नहीं ? बताइए स्मृति ईरानी जी इस बारे में आपका क्या ख्याल है ? हम अपने अपने प्रदेश के गुणगान में लगे रहते हैं । अब इस गाने को देखिए :पंजाबियां दी शान बखरी ,,,और यह भी गौर कीजिए :हरियाणे आले कुज्ज बी कर दें ,,,,और यह भीम्हारो रंगीलो राजस्थान ,,,, इस तरह हर प्रदेश के गानों में अपने अपने राज्य को बहुत ही महिमामंडित किया जाता है । इसीलिए तो हास्य कवि मंचों पर कहते हैं कि हमारा राष्ट्र भी कमाल है , इसी में देखिए तो महाराष्ट्र है । राष्ट्र से बढ़कर महाराष्ट्र! है न कमाल और ऊपर से राज्यपाल महोदय ने खड़ा कर दिया बवाल । अब माफी कौन मांगेगा ? राष्ट्रपति ? जिनके आदेश से इन्हें राज्यपाल बनाया गया या फिर भाजपा जिसने इनको राज्यपाल बनाये जाने की अनुशंसा की ? जुबान फिसल गयी और ऐसा तो नहीं कहा था , इतने से माफी दे दोगे ? यह विवाद अभी तो रफ्तार पकड़ेगा लेकिन होगा यह भी दुखद । हमें अपनी प्रदेशों में बंटी सोच बदलनी होगी और सच्चे मन से भारतीय बनना होगा। कभी इसी महाराष्ट्र में गैर मराठियों को बाहर निकालने की मुहिम चली थी जो बहुत दुखद थी । अब इनकी अस्मिता पर चोट की गयी है । सोचिये । हम भारत कब बनेंगे ?-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation उत्सव, पर्व, समारोह है, ये हरियाली तीज जबरन मकान खाली करवाने को लेकर आरोपियों ने फिर दी दलित महिला को धमकी