नारनौल की पहाड़ियों के नीचे 500 हेक्टेयर क्षेत्र में तांबा अयस्क की पुष्टि कर चुका है जीआइएस
भारत सारथी/ कौशिक
नारनौल। दक्षिणी हरियाणा में अरावली क्षेत्र में केवल पत्थर और बजरी ही नहीं बल्कि अनेक तरह के खनिज भी भरे हुए हैं। अंग्रेजों के समय में जिले के गांव में खनिज पदार्थ निकालने की कोशिश की गई थी। अटेली तहसील के गांव रामपुरा में खान से खनिज निकालने का कार्य किया गया था।
इस बारे में सर्वे में खुलासा हुआ है कि नारनौल के पास अरावली की पहड़ियों में तांबे के अयस्क भरा हुआ है। इसी तरह नारनौल-महेंद्रगढ़ के पास लौह अयस्क का भंडार है।
नारनौल की पहाड़ियों के नीचे 500 हेक्टेयर क्षेत्र में तांबा अयस्क की पुष्टि कर चुका है जीआइएस
भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआइएस) ने सर्वे के आधार पर हरियाणा खनन विभाग को जानकारी दी है कि नारनौल के नजदीक अरावली की पहाड़ियों के 500 हेक्टेयर क्षेत्र में तांबा और नारनौल-महेंद्रगढ़ के नजदीक इससे अलग 350 हेक्टेयर क्षेत्र में लौह अयस्क भरा हुआ है।
नारनौल और महेंद्रगढ़ की पहाड़ियों में 350 हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूद है लौह अयस्क
इस जानकारी के आधार पर हरियाणा सरकार सक्रिय हो गई है। अब हरियाणा सरकार इस क्षेत्र में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय सहित सुप्रीम कोर्ट से ये खनिज को निकालने की अनुमति मांगेगी। हरियाणा सरकार को उम्मीद है कि उसे यह अनुमति मिल जाएगी।
कांग्रेस शासन में नेताओं की लड़ाई से हुआ राजस्व का नुकसान
नारनौल और महेंद्रगढ़ के नजदीक अरावली की पहाड़ियों में लौह अयस्क की जानकारी तो पहले भी थी। कांग्रेस शासन में तत्कालीन नेताओं के आपसी विवाद के कारण लौह अयस्क की खान प्रतिबंधित वन क्षेत्र में शामिल करा दी गई। राज्य के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा का कहना है कि इससे अब तक राज्य सरकार को सिर्फ राजस्व का नुकसान हुआ है।
मूलचंद शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह वस्तुस्थिति बताई जाएगी कि लौह अयस्क निकालना देश की अर्थव्यवस्था के लिए कितना जरूरी है। हरियाणा सरकार तांबा अयस्क निकालने के लिए पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मंजूरी लेने की तैयारी कर रही है। अब ऐसी तकनीक हैं कि पहाड़ के अंदर से पहाड़ियों या हरियाली को नुकसान पहुंचाए बिना केवल खनिज ही निकाला जा सकता है।
तांबा अयस्क चट्टानों से 150 फीट नीचे है: मूलचंद शर्मा
” नारनौल में तांबा अयस्क अरावली की चट्टानों से डेढ़ सौ फीट नीचे है। इन दोनों खनिज को निकालने के लिए राज्य सरकार शीघ्र ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय सहित सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेगी। इसके लिए निजी कंपनियों से विस्तृत विवरण तैयार कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय में इसकी मंजूरी की फाइल भेज दी गई है।
मूलचंद शर्मा, परिवहन एवं खनन मंत्री, हरियाणा।