सोहना/बाबू सिंगला 

सोहना कस्बे में अरावली पहाड़ी की भांति शामलातदेह भूमि भी सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती बनने की संभावना है। उक्त भूमि की मालिक सोहना नगरपरिषद विभाग है। जिसपर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। विभाग आजतक भी कब्जा लेने में असमर्थ है। जिसने आजतक भी कोई कार्यवाही नहीं कि है। ऐसा होने से उक्त भूमि भी अरावली पहाड़ी की तरह भूमाफियाओं के चंगुल में फंस कर रह जायेगी। जिसका कुल रकबा हजारों एकड़ है जिसकी अनुमानित कीमत भी अरबों रुपये है।

इसको अधिकारियों की लापरवाही कहें अथवा मनमानी। जो करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी आजतक नगरपरिषद विभाग ने शामलातदेह भूमि पर से कब्जा नहीं लिया है। उक्त भूमि पर भूमाफिया काबिज हैं। जिन्होंने भूमि को निजी समझकर कब्जा किया हुआ है। जबकि भूमि की मालिक सोहना नगरपरिषद विभाग है। ऐसा होने से शामलातदेह भूमि भी अरावली पहाड़ी की भाँति भूमाफियाओं में फंस कर रह जायेगी। और सरकार व प्रशासन को हाथ मलते रहना पड़ेगा।

विदित है कि गत वर्ष 1954-55 में सरकार द्वारा की गई चकबंदी मैं समस्त भूमि को अलग अलग चिन्हित कर दिया गया था। जिसमें पहाड़, कब्रिस्तान, नदी, नाले, शमशान, जोहड़ आदि शामिल है। दौराने चकबंदी शामलातदेह भूमि को भी अलग से चिन्हित कर दिया गया था। सोहना कस्बे में शामलातदेह भूमि का कुल रकबा 15172 कनाल 8 मरले (करीब 2000 एकड़) है। जबकि करीब 500 एकड़ पंचायती शामलातदेह भूमि भी नगरपरिषद में शामिल की गई है। जिसके चलते कुल भूमि का रकबा करीब 2500 एकड़ है। जिसकी मालिक परिषद विभाग है। उक्त भूमि वर्ष 2011 में माननीय हाइकोर्ट ने नगरपरिषद में समावेशित करने के आदेश दे दिए थे। किंतु करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी परिषद ने आजतक भी कब्जा नही लिया है। जिससे उक्त भूमि भी अरावली पहाड़ी भूमि की तरह भूमाफियाओं में फंसने के आसार हैं।

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