-सरकारी मूल्य लागू नही होने पर सरकार को लिख कर दिया कि ठेके चलाने में हैं असमर्थ जिला महेंद्रगढ़ में क्यों नहीं लागू हो रही आबकारी नीतियां यह हो नहीं सकता कि मीडिया कवरेज आप तक नहीं पहुंची हो? आपने देख कर भी अनदेखी क्यों कर दिया इसका कारण कहीं चंडीगढ़ वाले मलिक साहब तो नहीं अशोक कुमार कौशिक नारनौल। नए शराब के ठेके छूटने के महीने भर के अंदर ही जिला में शराब माफिया के आतंक से जहां पहले ढाणी बाठोठा में ठेके पर काम करने वाले दीपक की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी वहीं महेंद्रगढ़ में एक ठेकेदार को जीते जी ही मार दिया गया। सरकारी बोली में *13 करोड़ 71 लाख* में दो जोन के ठेके छुड़वाने वाली फर्म अजित वाईन्स करण सिंह ग्रुप की 3 लाख की जौनावास ब्रांच से हार गई। असल मे *यह हार अजीत ठेकेदार की नही बल्कि मनोहर सरकार की तथाकथित आबकारी नीति की हार है।* अगर अब भी सरकार नही सम्भली तो जल्द ही इस आबकारी नीति पर भरोसा कर ठेके लेने वाला कोई ना कोई और ठेकेदार इसी तरह पैसे गंवाकर लौटता मिलेगा। लगभग एक महीने से हम आबकारी विभाग और शराब माफिया के गठजोड़ को सामने ला रहे हैं। इसी का नतीजा था कि दिखावे के तौर ओर ही सही विभाग ने 5-6 दुकानें सरकारी मूल्य से नीचे शराब बेचने पर सील भी की।असल मे तो आबकारी विभाग बना हुआ है बड़े ठेकेदारों की पालतू बिल्ली और सरकार की पालिसी को धर दिया है टांड़ पर। रही- सही कसर पूरी कर रहे हैं *चंडीगढ़ वाले मलिक साहब* , जिनका पूरा हाथ जिला के शराब माफिया के सर पर है। आखिर क्या कारण है कि 2021-2022 में महेंद्रगढ़ कस्बे में शराब पालिसी के मूल्यों पर बिकी और अब आधे दाम पर ? जवाब है कि बीते साल महेंद्रगढ़ कस्बे के सारे ठेके करण सिंह ग्रुप के पास थे तो उन्होंने महंगी शराब बेचकर अच्छी कमाई की, इस साल ठेके अजित ठेकेदार ने ले लिए तो उन्हें यह सहन नही हुआ। उनके टुकड़ों पर पल रहे आबकारी विभाग के साथ मिलकर जौनवास की ब्रांच को मुख्य ठेका बनाया और बेचने लग गए आधे दाम पर। सोच यह थी कि जिस आदमी ने सरकार को करोड़ों देकर लगाकर शहर के ठेके लिए वो बर्बादी से बचने के लिए इनकी शरण मे आएगा ही, तब दाम बढ़ाकर कमाई करेंगे। वही हुआ, अजित ठेकेदार इस शराब-आबकारी विभाग के गठबंधन से हार गया और सरकार के आगे हाथ जोड़ लिए। यही नारनौल में हो रहा है। यहां भी करण सिंह ग्रुप को सहन नही हो रहा है कि रेवाड़ी का सीताराम यहां कैसे ठेके ले रहा है, या छोटे से व्यापारी सूबे सिंह ने नारनौल के जोन की बोली इनके खिलाफ जाकर कैसे छुड़वा ली। जिला तो इनके बाप-दादा की जागीर है ना। सवाल यह है कि जब जिला में शराब की कमान इन्ही महारथियों ने संभालनी है, फिर सरकार ये टेंडर का ड्रामा क्यों करती है ! जब काम इन्ही के लोगों ने संभालना है तो सफेद हाथी बने आबकारी विभाग का दफ्तर क्यों खोल रखा है, उसे भी इनके गोदाम मे ही शिफ्ट कर दें, कम से कम सरकार का खर्चा तो बचेगा ! अब बात करते प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कल एक प्रेस वार्ता के दौरान एक सवाल पर जवाब देते हुए कहा था कि हमारे पास कोई भी शिकायत आती है तो हम उस पर कार्रवाई अवश्य करते हैं। उप मुख्यमंत्री जी सरकार के पास एक महकमा होता है जिसे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग भी कहा जाता है, उसका तो काम यही है कि मीडिया कवरेज की कटिंग प्रशासन और संबंधित मंत्री तक भेजी जाए। तो केवल शिकायत नहीं बल्कि मीडिया कवरेज भी देखिए । यह हो नहीं सकता कि मीडिया कवरेज आप तक नहीं पहुंची हो और आपने देख कर भी अनदेखी क्यों कर दी इसका कारण कहीं चंडीगढ़ वाले मलिक साहब तो नहीं है। एक बात और समझ से परे कि जब शिकायत प्रदेश के मुख्यमंत्री तक की गई हो तो यह कैसे हो सकता है उप मुख्यमंत्री को इसका भान न हो। तीसरी बात जब शिकायत पर गुरुग्राम से स्पेशल टीम आकर छापेमारी करती है और करण सिंह के ठेके सील करती है तब भी उपमुख्यमंत्री को जानकारी नहीं मिली हो यह कैसे संभव है। अब आप यह भी देखिए कि किस तरह शराब माफियाओं के खौफ की वजह से जो लोग सरकार को राजस्व नुकसान पहुंचा रहे हैं आज वह मुनाफे की जगह भारी नुकसान खाकर वापस लौटने पर मजबूर है क्यों? यह वीडियो भी संगलन है जिसमें आप कह रहे हैं कि हम टि्वटर फेसबुक के माध्यम से भी शिकायतों पर कार्रवाई करते हैं लेकिन आपको हमने रिप्लाई नहीं दिया इसका क्या मतलब माना जाए कि क्या सिर्फ जनता के आगे आप दिखावा करना चाहते हैं? क्योंकि हम तो आप से सवाल करना जानते हैं लेकिन आम जनता आपसे कहां और कैसे सवाल करें? अब उम्मीद करते हैं अब शिकायत की कॉपी और मीडिया कवरेज के द्वारा माफियाओं के खिलाफ लिखी गई खबर पर संज्ञान लेते हुए आप आवश्यक कार्रवाई करेंगे। दुष्यंत जी सम्भल जाइये अपनी आबकारी पालिसी का पालन करवाइए, नही तो मलिक साहब की सरपरस्ती में इस शराब माफिया की करतूतों का अंजाम कहीं आपको ना भुगतना पड़ जाए। Post navigation आखिर देवशयन के बाद और विशेषकर शनिवार को ही क्यों चुना गया नगर परिषद के शपथ ग्रहण समारोह के लिए ? उपराष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार जगदीप धनखड़ की सुसराल में खुशी का माहौल