पिछड़ा वर्ग आरक्षण आगामी चुनाव से हो लागू – दीपेंद्र हुड्डा

क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख से घटाकर 6 लाख करना पिछड़े वर्ग के हितों पर कुठाराघात – दीपेन्द्र  हुड्डा

कांग्रेस सरकार बनने पर पिछड़ा वर्ग में वेतन से अलग क्रीमी लेयर की लिमिट 6 से बढ़ाकर 10 लाख होगी – दीपेंद्र हुड्डा

पिछड़ा वर्ग आयोग बनने के साथ ही जातिगत जनगणना जरूरी – दीपेंद्र हुड्डा

शिक्षा विभाग में ACP क्राइटेरिया 45% से 50% करने से पिछड़े वर्ग के हज़ारों अध्यापकों को होगा नुकसान – दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 16 जुलाई। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पिछड़े वर्ग को पंचायत और निकाय चुनाव में भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने मांग करी कि इसे आगामी चुनाव से ही लागू भी किया जाना चाहिए। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि बार-बार मांग करने के बाद प्रदेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का फैसला तो किया है, लेकिन इसमें जातिगत जनगणना के प्रावधान का कहीं कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना करानी जरूरी है, ताकि पता चल सके कि किस वर्ग के लोगों की जनसंख्या कितनी है। सरकार इस मुद्दे पर पीछे हट रही है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार लगातार पिछड़ों और वंचितों के हितों के खिलाफ काम कर रही है। क्रीमी लेयर की सीमा को 8 लाख से घटाकर 6 लाख करना पिछड़े वर्ग के हितों पर कुठाराघात है। सरकार के इस फैसले से बाद पिछड़े वर्ग के बच्चे आरक्षण के लाभ से वंचित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने पर पिछड़ा वर्ग में वेतन से अलग क्रीमी लेयर की लिमिट 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख की जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पिछड़े वर्ग के लिए सरकारी नौकरी में एसीपी क्राईटेरिया को 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि शिक्षा विभाग में SC-BC वर्ग के अध्यापकों को पे-ग्रेड (ACP) के लिए 45 प्रतिशत अंक की ही जरूरत होती थी, जिसे अब पिछड़े वर्ग के लिए बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया। इस नये नियम के कारण पिछड़े वर्ग के हजारों अध्यापक प्रभावित होंगे। पहले परीक्षा में सैमेस्टर प्रणाली नहीं होती थी। सरकार के इस फैसले से 45 प्रतिशत अंकों के साथ भर्ती होने वाले पिछड़े वर्ग के अध्यापकों को अब कभी पे-ग्रेड (एसीपी) नहीं मिलेगा। उन्होने याद दिलाया कि हुड्डा सरकार के समय शिक्षा विभाग में अध्यापकों को 10, 20 और 30 वर्ष में मिलने वाली पे-ग्रेड ACP को 8, 16 और 24 वर्ष में देने का सरहानीय फैसला लिया गया था। लेकिन, मौजूदा सरकार लगातार पिछड़े वर्ग के हितों पर प्रहार कर रही है।

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