क्या भाजपा में पार्टी के खिलाफ काम करना माफ है?
क्या भाजपा में चुनाव प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद के कोई मायने नहीं?
जिस पूर्व चेयरपर्सन के निष्कासन की घोषणा प्रभारी सांसद ने की उसे मुख्यमंत्री द्वारा आशीर्वाद देने सही है ?
जिस पूर्व चेयरपर्सन के भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात प्रदेश के दो मंत्रियों ने की , मुख्यमंत्री ने उसे आशीर्वाद क्यों दिया?  यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नही है ?
क्या अपने ही दिग्गज नेता को नीचा दिखाने के लिए पूरी भाजपा एकजुट हो गई?
क्या रामपुरा हाउस को नीचा दिखाने में जिले के एक विधायक का अंदर खाने हाथ ?

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा में निकाय चुनाव निपटने के बाद अब एक चर्चा बड़े जोरों पर है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गुरुग्राम से सांसद एवं केंद्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह के बीच अघोषित शीत युद्ध फिर से शुरू हो गया? इस आलेख में हम सिलसिलेवार उन बातों पर चर्चा करेंगे जो शीत युद्ध फिर से भड़काने के लिए कुछ गुर्गों के द्वारा फिर से हवा दी रही है। शीत युद्ध को हवा देने के पीछे कौन-कौन लोग हैं धीरे धीरे उनके चेहरे सामने आने लग गए। इस शीत युद्ध की केंद्र बिंदु नगर परिषद नारनौल के चेयरपर्सन की सीट की उम्मीदवारी को केन्द्र बिन्दु बनाया जा रहा है। इस उम्मीदवारी में जो लोग पिछड़ गए थे अब उनके सहारे शह मात का खेल खेला जा रहा है ? अब इस खेल में जननायक जनता पार्टी, भाजपा संगठन के कुछ लोग और जिले का एक विधायक परदे के पीछे सक्रिय है। ये वही लोग हैं  जो रामपुरा हाउस के सामने कहीं ना कहीं मात खा चुके हैं 

नारनौल नगर परिषद के चेयरपर्सन की भाजपा उम्मीदवारी को लेकर अनेक आदमी लाईन में थे। भारती सैनी भी इस दावेदारी में शामिल थी। उन्हें भाजपा संगठन के कुछ लोगो की सहानुभूति थी या ये उसे सेवा का फल देना चाहते थे। यह लोग पार्टी गाइडलाइन को दरकिनार कर उनके भ्रष्टाचार को भी अनदेखा कर रहे थे। जैसे-जैसे टिकट वितरण का समय नजदीक आया तो तत्कालीन चेयरपर्सन भारती सैनी द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के मामले ने तूल पकड़ लिया। बात इतनी आगे बढ़ गई थी कि भ्रष्टाचार को लेकर स्वयं नारनोल के विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश यादव ने सार्वजनिक तौर पर एक वक्तव्य दे डाला, जिसका वीडियो तेजी से वायरल हुआ। उसके बाद प्रदेश के स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने भी भ्रष्टाचार की जांच करने की बात की। तत्पश्चात नगर परिषद नारनौल के चुनाव प्रभारी बनाए गए राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने भारती सैनी के निलंबन की घोषणा कर थी। उस पत्रकार वार्ता में प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव भी उपस्थित थे। उन्होंने भी उनके निलंबन को उचित ठहराया था और भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात पर बल देते हुए कहा था भाजपा राज में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार सहन नहीं किया जाएगा।

अब थोड़ा बात कर ले रामपुरा हाउस की अतीत की राजनीति की। एक समय अहीरवाल में राव राजा बीरेंद्र सिंह की तूती बोलती थी।  यह भी दुर्भाग्य कहे तो कोई अतिशयोक्ति न होगी कि रामपुरा हाउस ने जिस जिस को राजनीतिक प्रश्रय दिया विधायक बनने के बाद उन्ही विधायकों ने रामपुरा हाउस की जड़ों में मट्ठा डालना शुरू कर दिया। अतीत की चली आ रही इस काली लकीर को आज भी लोग पीट रहे हैं। इस बात की पुष्टि नगर परिषद नारनौल के चेयरपर्सन की भाजपा टिकट वितरण ने की। यह भी सर्वज्ञ है कि इस टिकट वितरण के बाद राव राजा और हाउस को मात देने के प्रयास में जजपा, भाजपा संगठन के साथ  जिला के एक भाजपा विधायक का खुला प्रश्रय बताया जा रहा है।

विधायक जी ये भूल जाते हैं कि पहली बार विधानसभा का दरवाजा उन्हें रामपुरा हाउस के आशीर्वाद से ही देखने को मिला था। लेकिन मंत्री पद की भूख उन्हें यहां तक ले आई कि चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी का ही विरोध कर डाला। लेकिन रामपुरा हाउस का इतिहास है कि जब भी उसे नीचा दिखाने का प्रयास या षडयंत्र हुआ है वो और मजबूत होकर उभरा है फिर चाहे अटल बिहारी बाजपेई के कचना अनुसार दुर्गा स्वरूपा इंदिरा गांधी ही रही हों। स्थानीय स्तर पर राव नरवीर सिंह, विक्रम यादव, संतोष यादव आदि भी अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने रामपुरा हाउस की तरफ टेडी नजर की और उन्हें घर बैठना पड़ा।

परंतु यह भी सर्वविदित है कि जब-जब रामपुरा हाउस से किसी ने टकराने की कोशिश की है, या उसे झुकाने की कोशिश की है, तब-तब रामपुरा हाउस और भी ज्यादा मजबूत बन कर खड़ा हुआ है और जो लोग झुकाने की बातें करते हैं, उनका हश्र राजनीति में धीरे-धीरे शून्य होता जाता है।

परंतु आश्चर्य की बात है की भारतीय जनता पार्टी के संगठन एवं सरकार में आपस में कोई तालमेल नहीं है, विगत 2 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के विरुद्ध सैनी बिरादरी का उम्मीदवार नारनौल विधानसभा का चुनाव लड़ते आ रहे हैं। सैनी बिरादरी महेंद्रगढ़ जिले के अंदर विशेषकर नारनौल में भारतीय जनता पार्टी की हमेशा प्रबल विरोधी रही है, परंतु कुछ छुटभैया नेता जो रामपुरा के विरोधी राजनीतिक आकाओं के यहां सलाम ठोकते रहते हैं, उन्होंने कुछ भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों को मोहरा बनाकर, एक झूठी अफवाह फैलाकर पहले तो अपने वोट ज्यादा दिखा दिए और उसके बाद कहने लगे कि हमारी टिकट काट दी गई, जबकि वास्तव में वह भाजपा की टिकट के हकदार थे ही नहीं।

अब बात आती है राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा की जो कि निकाय चुनावों में जिला के प्रभारी थे उन्होंने पूर्व नगर परिषद चेयरमैन को खुल्लम खुल्ला पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ कार्य करने पर उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था, ऐसे में मुख्यमंत्री को इतनी जल्दी इतना लाड़ दुलार दिखाने की क्या आवश्यकता थी? क्या कार्यकर्ताओं में इससे कोई सही संदेश जाएगा? ढाई साल के बाद जब हरियाणा विधानसभा के चुनाव होंगे उसमें भी काफी लोग टिकट मांगेंगे और जब एक व्यक्ति को टिकट मिलेगी तो बाकी के नेता व कार्यकर्ता क्या उसका खुला विरोध नहीं करेंगे? इसलिए पार्टी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और मुख्यमंत्री जी को यह व्यक्तिगत मोह माया छोड़ कर पार्टी हित में लिए गए फैसलों पर अमल करना चाहिए विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद इस प्रकार पार्टी द्वारा लिए गए फैसलों के विरुद्ध नहीं जाना चाहिए और रही बात रामपुरा हाउस को झुकाने की उनका जलवा आज भी बरकरार है और जब तक दक्षिण हरियाणा की जनता राव परिवार के साथ है ना तो कोई इसको झुका सका है ना भविष्य में कोई झुका पाएगा।

error: Content is protected !!