गुरुग्राम के मंडलायुक्त ने 8 जिलों के अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
कहा, भ्रष्टाचार के आरोपी को सजा दिलवाने के लिए ठोस सबूत जुटाएं, कागजी कार्यवाही में ना रहे कमी

गुरुग्राम, 14 जून। भ्रष्टाचार में संलिप्त या रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी सबूतों के अभाव में अदालतों से बरी ना हो, इस विषय को लेकर मंगलवार को मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक में विस्तार से चर्चा की गई। यह बैठक गुरुग्राम मंडल के आयुक्त श्री राजीव रंजन द्वारा बुलाई गई थी जिसमें गुरुग्राम मंडल तथा रोहतक मंडल के अंतर्गत पड़ने वाले 8 जिलों के उपायुक्तों, एडिशनल एसपी व डीएसपी तथा एचसीएस रैंक के अधिकारियों ने भाग लिया। श्री राजीव रंजन के पास इन दिनों रोहतक मंडल का भी दायित्व है। बैठक में गुरुग्राम मंडल के अंतर्गत पड़ने वाले जिलों जिनमें गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ तथा रेवाड़ी के अलावा रोहतक मंडल के जिलों नामत: झज्जर, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, तथा सोनीपत के उपायुक्तों व पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया।

गुरुग्राम के लघु सचिवालय के प्रथम तल पर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित इस बैठक में मंडल आयुक्त श्री राजीव रंजन ने इन अधिकारियों को मुख्य रूप से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत अब वाटर टाइट केस अर्थात केस बनाते समय किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आमतौर पर न्यायालयों में भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत चल रहे मामलों में सबूतों व गवाहों के अभाव में अभियोग पक्ष कमजोर रह जाता है जिसके कारण आरोपी कर्मचारी या अधिकारी न्यायालय से बरी हो जाता है। उन्होंने कहा कि अब सरकार का फोकस भ्रष्टाचार को खत्म करने पर है इसलिए भ्रष्टाचार के मामले में रेड डालते समय सबूतों में कोई कमी नहीं छोड़नी है। कोशिश करें कि सबूत साइंटिफिक या तकनीकी प्रकार के हों जिसे साबित करने में प्रॉसीक्यूशन अर्थात अभियोजन पक्ष को भी कठिनाई ना हो और आरोपी को दोषी करार देते हुए न्यायालय से सजा मिले। उन्होंने इन अधिकारियों से कहा कि वे भ्रष्टाचार के मामलों में पहले सुनाए जा चुके फैसलों का अध्ययन करके उनमें रही कमियों को भविष्य में दूर करें। साथ ही यह भी प्रयास रहे कि भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायालय में ट्रायल तेजी से हो।

श्री रंजन ने कहा कि न्यायालय में आरोपी के छूट जाने से जनता में सरकार की व्यवस्था के प्रति विश्वास कम होता है। सबूतों की गुणवत्ता में सुधार लाकर हमें भ्रष्टाचार के आरोपियों को सजा दिलवानी है ताकि जनता का सरकार की व्यवस्था में भरोसा कायम रहे। न्यायालय में ट्रायल धीमी गति से चलने का प्रभाव दोनों प्रकार के आरोपियों पर पड़ता है, एक वह जो रिश्वत लेने या भ्रष्टाचार का दोषी है और दूसरा वह व्यक्ति जो यह दावा करता है कि उसे फंसाया गया है। ट्रायल तेजी से होगी तो निर्दोष व्यक्ति जल्दी छूट जाएगा, साधारण व्यक्ति को जल्द न्याय मिलेगा और इससे दूसरे सभी कर्मचारियों में भय पैदा होगा, जो निवारक का काम करेगा।

मंडलायुक्त ने कहा कि इसके लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स अर्थात सरकारी वकीलों तथा भ्रष्टाचार के मामलों में जांच, रिकवरी, विजिलेंस आदि से जुड़े अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी वकील तथा जांच अधिकारी के बीच अच्छा तालमेल होना चाहिए। जब भी न्यायालय में जांच अधिकारी को अपना पक्ष रखना हो तो सरकारी वकील उसका सही मार्गदर्शन करें, बताएं कि पिछली तारीखों में उसने क्या ब्यान दे रखे हैं और संभावित सवालों के जवाब क्या हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी वकील को भी चाहिए कि वह न्यायालय में केस की समरी ठीक ढंग से प्रस्तुत करें और अपनी बात को साक्ष्यों तथा सबूतों के साथ साबित करें।

मंडलायुक्त श्री रंजन ने यह भी कहा कि कर्मचारियों की प्रॉपर्टी रिटर्न भरने के कार्य की भी मानिटरिंग की जाए। पब्लिक डीलिंग वाले विभागों के कर्मचारी व अधिकारी सरकार की हिदायत अनुसार समय पर अपनी प्रॉपर्टी रिटर्न फाइल करें। लोकायुक्त से प्राप्त होने वाली शिकायतों की जॉच भी समयबद्ध तरीके से पूरी की जानी चाहिए। लोकायुक्त यदि कोई दस्तावेज मांगे तो वह भी जल्द भेजे जाएं। उन्होंने कहा कि न्यायालय में दोष सिद्ध होने के बाद उक्त कर्मचारी के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई भी जल्द की जाए। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा विषय है जिस में लगातार सुधार की आवश्यकता है। मंगलवार की बैठक उस दिशा में पहला कदम है और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम भ्रष्टाचार निवारण के विषय पर लगातार काम करती रहेगी तथा ऐसे मामलों पर निगरानी रखेगी।

इस बैठक में रोहतक के मेयर मनमोहन गोयल के अलावा गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी और सोनीपत के उपायुक्त व पुलिस अधिकारी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

error: Content is protected !!