20 साल से शरीर पर बोतलें लादकर दे रहे पौधों को जीवनदान
पहाड़ की तलहटी में पंचायती जमीन पर तैयार कर दिया छायादार व फलदार वृक्षों का बगीचा, बीस साल पहले शुरु किया अभियान आज भी है जारी है 

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

06 जून,पर्यावरण प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर होती जा रही है इस बात से लगभग सभी लोग परिचित हैं। लेकिन इसके बावजूद पर्यावरण संरक्षण के प्रति रूचि काफी कम ही लोग दिखा रहे हैं। जिसका परिणाम ये है कि आज बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर पर देखने को मिलता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि आज शहरों के अलावा गांवों में भी हरियाली कम होती जा रही हैं और इन सब से बेखबर लोग पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। लेकिन आज भी कुछ लोग हमारे बीच मौजूद हैं जो पर्यावरण संरक्षण को लेकर सजग हैं और लबे समय से इसको अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाकर पर्यावरण हित के लिए जुटे हुए हैं। इसी प्रकार का उदाहरण चरखी दादरी जिले के बाढड़ा उपमंडल निवासी 76 वर्षीय संतलाल हैं जो इतनी अधिक उम्र होने के बावजूद भी अपने शरीर पर पानी की बोतलें लादकर पौधों को संरक्षण दे रहे हैं। वे इस कार्य में बीते करीब 20 वर्षों से जुटे हुए हैं जिसके चलते उन्होंने पहाड़ की तलहटी में पंचायती जमीन पर करीब 120 पौधों को संरक्षण देकर वहां छायादार व फलदार पौधों का एक बगीचा तैयार कर दिया है। वहीं दर्जनों की संख्या में छोटे पौधें भी जिनके संरक्षण में जुटे हुए हैं।

बिलावल निवासी संतलाल पहले एक चरवाहे थे और वे भेड़-बकरियां पालकर परिवार का गुजर-बसर करते थे। इसके साथ-साथ-साथ उन्हें पौधारोपण के प्रति भी लगाव था। उसी के चलते उन्होंने भेड़-बकरियां चराने के दौरान पहाड़ की तलहटी में काफी संख्या में पौधे लगाए। लेकिन वहां पर पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण संतलाल को थोड़ी परेशानी उठानी पड़ी। लेकिन उन्होंने लगाए गए पौधों के संरक्षण की ठानी और घर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर लगाए गए इन पौधों को प्रतिदिन पानी देना व उनकी देखभाल शुरु की। वे कोल्ड ड्रिंक की दो लिटर वाली बोतलों पर रस्सी बांधकर उन्हें अपने शरीर पर लादकर वहां तक पहुंचते। समय के साथ उम्र बढ़ने पर उन्होंने चरवाहे का कार्य तो छोड़ दिया लेकिन शरीर पर बोतलें लादकर पहाड़ की तहलटी में लगाए गए पौधों को पानी देने का सिलसिला आज भी जारी है। उसी का परिणाम है कि आज वहां करीब 120 हरे-भरे बड़, नीम, शहतूत, शीशम, चीकू, बेर, जामुन, बेलपत्र आदि के पौधों का बगीचा लहलहा रहा हैं। वहीं दर्जनों की संख्या में छोटे पौधें भी हैं जिन्हें संतलाल प्रतिदिन पानी देते हैं।

पर्यावरण को प्रचार नहीं संरक्षण की है जरुरत:

वर्तमान में देखने को मिला है कि लोग सोशल मीडिया व मीडिया में प्रचार के लिए पौधारोपण तो कर देते हैं लेकिन पौधा लगाने के बाद वे भूल जाते हैं कि संरक्षण के अभाव में ये पौधा लंबे समय तक नहीं टिक पाएगा। लेकिन गांव बिलावल निवासी संतलाल 20 वर्षों से प्रचार से दूर पर्यावरण संरक्षण में जुटे हुए हैं। उनकी कार्यशैली दर्शाती है कि केवल पौधारोपण से पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया जा सकता। एक पौधे को वृक्ष में बदलने के लिए उसको संरक्षण की आवश्यकता भी होती है। ज्यादातर जीवन एक चरवाहे के रूप में बिताने वाले संतलाल ने अपने आस-पास के परिवेश में काफी संख्या में पेड़ पौधों को संरक्षित किया है। उम्र के इस पड़ाव में भी पेड़-पौधों के प्रति इनका लगाव कम नहीं हुआ है। घर से लगभग 2 किलोमीटर दूर पहाड़ की तलहटी में इन्होंने एक अपना ही जंगल बसाया हुआ है। सुबह शाम इनको कांधे पर पानी की बोतलें लटकाए पहाड़ की तरफ जाते हुए अक्सर देखा जा सकता है। कोलड्रिंक की खाली बोतलों का सदुपयोग करते हुए इनके जरिए इन्होंने सैंकड़ों पेड़ों को जीवन प्रदान किया है। संतलाल बताते हैं कि पहले काफी वर्षों तक गांव से ही बोतलों के माध्यम से पानी ले जाते थे। अब पास के जोहड़ में नहरी पानी आ जाने से उनका काम आसान हो गया है।

76 साल की उम्र में भी बने हुए हैं पर्यावरण के प्रहरी:-

संतलाल ने 20 साल पहले जब पौधारोपण किया तो काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पहाड़ की गांव से करीब दो किलोमीटर की दूरी होने के कारण पानी के अधिक चक्कर लगाने की बजाय वे अपने शरीर पर दो लिटर वाली करीब 15 बोतले लादकर ले जाते थे ताकि पौधों के साथ-साथ समय पर भेड़-बकरियों की भी देखभाल की जा सके। उम्र बढ़ने के साथ व पैर से चलने में दिक्कत होने के कारण उन्होंने चरवाहे का काम तो छोड़ दिया लेकिन छह से सात बोतलों के जरिए आज भी पौधों को पानी दे रहे हैं। हालांकि समीप के जोहड़ में पानी पहुंचने व पहले के लगाए पौधों के बड़े हो जाने के कारण कुछ काम आसान भी हुआ है लेकिन बढ़ती उम्र व छोटे पौधों की देखभाल में अब भी समस्याएं सामने आती हैं लेकिन वे निस्वार्थ भाव से एक पर्यावरण प्रहरी के रुप में जुटे हुए हैं।

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