जो भाजपा सुचिता और पारदर्शिता की बात करती है उसने भारतीय सैनी का नाम चलाकर क्या भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं किया?
रामपुरा हाउस ने जिनको मान सम्मान दिया वही नगर परिषद के टिकट को लेकर रहे बगावती

अशोक कुमार  कौशिक

 नारनौल । जीं हाँ हम यहाँ बात कर रहे है नगर परिषद चुनावों की, स्वामी भक्ति, भ्रष्टाचार मुक्त करने ओर शुचिता के दावे की। जिसमें नगर परिषद चेयरपर्सन की महत्वपूर्ण सीट हैं। इस पद को पाने की दौड़ में ना जाने कितने शामिल हो गए। जिसमें सब नए चेहरे अपना भाग्य आज़माने को आतुर है। लेकिन एक नाम जो पहलें भी इस पद पर रह चुकी है उन मोहतर्मा का नाम है भारती सैनी। इनको इस पद का इतना चस्का लगा की पिछलीं बार इस चेयरपर्सन पद पर रहते हुए इनको विधायक पद की लालसा हो गई वो भी उन्ही विधायक के ख़िलाफ़ जिन्होंने इनको चेयरपर्सन का जीवन दान दिया। फिर भी उनके अहसानो को भूल कर  टिकट लेने की होड़ में कूद पड़ी। लेकिन ये शायद ये भूल गई के यहाँ दक्षिणी हरियाणा में राजा राव की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता तक नही हिलता फिर भी इन मोह्तर्मा के पति ने राजा राव के विपक्षियों के साथ साँठ-गाँठ कर के नारनौल विधायक पद के लिए टिकट पाने के लिए हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए।

ये साहब तो यहाँ तक डींगे भरते थे की भारतीय जनता पार्टी में इनकी पहुँच बहुत ऊपर तक हैं फिर चाहे वो पार्टी में हो या संघ में हो या फिर विश्व हिंदू परिषद हो ,इनकी गोटियाँ और साँठ-गाँठ हर जगह फ़िट हैं। कही तक यह बात सच भी है। राव नरबीर से लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं में उनकी गहरी पैठ है और भाजपा के नए और पुराने धुरंधरों ने उनके नाम की पुरजोर वकालत की भी।

इसी वजह से इन्होंने चेयरपर्सन का पद भाजपा-संघ-हिंदू परिषद में इन्ही पासों को फ़ेक कर हासिल किया था। जिसमें करोड़ों रूपयों का खेल भी खेला गया जिसमें पार्षदों की ख़रीद फ़रोख़्त भी शामिल हैं।  चेयरपर्सन बन जाने के बाद शुरू हुआ पैसों को रिकवर करने का खेल जिसमें विकास कार्यों के बदले 12%-15% मोटा कमीशन, विकास कार्यों के टेंडर आवंटन में कमीशन, प्रॉपर्टी आइडी में कमीशन, प्रॉपर्टी डीलरों के साथ मिल कर एनओसी जारी करने में कमीशन, नक़्शे पास करने की एवज़ में कमीशन, कूड़ा-कर्कट उठाने के लिए बीए एसवाई कंपनी क़े तीन पहिया टेम्पो ख़रीद में कमीशन, जेसीबी कम्पनी की बजाय एसीपी कम्पनी की मशीन ख़रीदने में कमीशन, कूड़ा कर्कट को रि-साइकल करने के टेंडर बाँटने में कमीशन, गलियारों तथा हाई मास्क लाइट्स ख़रीद फ़रोख़्त करने वाली एजेंसी को टेंडर देने में कमीशन, नगर परिषद के वाहनो में तेल लेने वाले पेट्रोल पम्प मालिक से साँठगाँठ कर के उनसे भी कमीशन(जिसका भांडा-फोड़ अभी हाल ही में प्रशासक  (एसडीएम) द्वारा किया गया), अच्छी टाइल्ज़ के बने हुए रोड को उखड़वा कर घटिया सामग्री के सीसी रोड का निर्माण करवाने में कमीशन इस तरह के हज़ारों काम जो भी इनके द्वारा चेयरपर्सन के पद पर रहते हुए किए गए।

उसके बाद भी अब दोबारा से सतरंगी सपनो का महल खड़ा करने की तैयारी में जुटे इनके पति संजय सैनी ने दोबारा से पार्टी-संघ-हिंदू परिषद में अपनी पहुँच दिखा कर अपनी पत्नी के लिए दोबारा से चेयरपर्सन पद के लिए टिकट माँगने का कार्य शुरू कर दिया। इस ने फिर से शाम-दाम-दंड-भेद सब पैंतरे आज़माने शुरू कर दिए और नारनौल शहर में जगह-जगह सभा कर के अपने आप को सैनी समाज का हितैषी बताने लगा तथा वर्तमान मंत्री के ख़िलाफ़ समाज को भड़काने का काम करने लगा।

उसके बाद भी राजा राव के सामने इसकी और राजा राव के धुरविरोधियों  की दाल नही गली और चेयरपर्सन की टिकट राजा राव के प्रबल कार्यकर्ता बाबू लाल यादव की पत्नी संगीता यादव को ओम प्रकाश यादव मंत्री के भरसक प्रयासों से आवंटित हो गई। यहाँ अब “खिस्यानी बिल्ली खम्बा नौचे” वाली कहावत चरितार्थ हो गयीं। अपनी इस टिकट ना मिलने की हार से तिलमिलाए इन लोगों ने सैनी समाज के सामने सैनी एकता की दुहाई देते हुए सैनी समाज की एक मीटिंग रख कर चाल चलीं,  जिसमें सैनी समाज के चुनीदा प्रतिष्ठ लोगों के सामने भारती सैनी ने समाज की भलाई के लिए अपना समर्थन जेजेपी पार्टी की नेत्री कमलेश सैनी को देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उनको क्या पता था की वो प्रस्ताव कमलेश सैनी सहर्ष स्वीकार कर लेंगी और चेयर पर्सन के लिए निर्दलीय उम्मीदवार का नामांकन भर देंगी। इनको लगा की कमलेश सैनी इस पद के लिए लड़ने से मना कर देंगी और अपनी पार्टी से दगा बाज़ी नही करेंगी फिर समाज में खुद के लिए सहानुभूति लेते हुए अपने लिए समर्थन की माँग कर देंगी। उनको यह भी आभास नहीं था कि समाज के लोग कमलेश सैनी के पक्ष में खड़े हो जाएंगे। या सैनी समाज के उन लोगों को जवाब देना चाहिए जो यह कहते नहीं थक रहे कि सुरेश सैनी भारी प्रत्याशी है क्या भाना राम सैनी का जन्म स्थान नारनौल है? वह महेंद्रगढ़ से नहीं है? फिर अकेले सुरेश सैनी की मुखालफत क्यों? फिर प्रमोद तेडरिया भी तो सैनी समाज से ही है।

 यहां सबसे मजेदार बात यह भी देखने को मिल रही है कि जो रामपुरा हाउस के कट्टर समर्थक सैनी बिरादरी से थे वह लोग भी रामपुरा हाउस की मुखालफत कर कमलेश सैनी का समर्थन अंदर खाते कर रहे हैं। 

अब रामपुरा हाउस के दूसरे बड़े समर्थक हरियाणा सरकार में मंत्री ओमप्रकाश यादव की बात करते हैं। ओम प्रकाश यादव ने भी रामपुरा हाउस के  प्रत्याशी बाबूलाल पट्टीकरा के खिलाफ लक्ष्मी सैनी और राजेश उर्फ बंटी ठेकेदार के नाम को ज्यादा तरजीह दी। आखिर तक मंत्री का प्रयास था की टिकट रामपुरा हाउस से बाहर के व्यक्ति को मिले। अब टिकट वितरण के बाद मंत्री  को भी अपनी कुर्सी जब हिलती दिखाई दी तो वह अन्य प्रत्याशियों को बैठाने में जुट गए, इसमें से वो प्रत्याशी भी है जिनका उनका व्यक्तिगत कोई दबाव नहीं ओर न ही उनकी पार्टी से उनका कोई लेना देना। कल उनके अथक प्रयास के बावजूद सुरेश यादव के परिवार से नामांकन कर दिया। कितनी आश्चर्य की बात है कि जिस रामपुरा उसने उनको सम्मान पद और रुतबा दिया आज यह लोग उसी की मुखालफत कर रहे हैं। रामपुरा उसके खिलाफ महेंद्रगढ़ जिले के भाजपा नेताओं की भूमिका को लेकर हम दूसरे लेख में विस्तार से बातें करेंगे।

अब बात करते है उपरोक्त मुख्य संवाद की, क्या अब इनके लिए पार्टी की बग़ावत करना इतना आसान हो गया क़ी खुद को भाजपा का मुख्य कार्यकर्ता कहते ना थकने वाले इनके पति ने खुद को टिकट ना मिलने की खीज निकाल कर पार्टी को दरकीनार कर के क्या बहुत बड़ा कार्य किया हैं ? यह जवाब उनका सपा नेता को भी देना चाहिए जिन लोगों ने उनकी जमकर पैरवी की है इस तरह खुलकर भाजपा प्रत्याशी का विरोध क्या वह मुक समर्थन नहीं कर रहे। दूसरा प्रश्न यह उठता है जब इनके भ्रष्टाचार के काले कारनामे जन जन तक जग जाहिर हो चुके थे तो भ्रष्टाचार मिटाने की बात करने वाली भाजपा के स्थानीय नेता इनके नाम को आगे बढ़ा कर भ्रष्टाचार की बात को झूठा साबित नहीं कर रहे? इधर भारती सैनी के विकास के दावो को कमलेश सैनी ने भी खारिज कर दिया। कल पत्रकार वार्ता में उन्होंने पिछले 5 साल के विकास को नकार दिया।

नरेंदर मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा तथा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अथक प्रयासो को इन इन स्थानीय भाजपा नेताओं ने पलीता लगाने की कोशिश नहीं की है।इनके लिए बस सत्ता सुख और पैसे कमाना ही सब कुछ हो गया।  अब ये महोदय आगे आने वाले चुनावों  में फिर से अपने आपको भाजपा का मुख्य कार्यकर्ता बोलते हुए टिकट की पंक्ति में खड़े हो जाएँगे, तब भी यह भाजपा नेता इनकी इसी तरह पैरवी करेंगे क्या जैसे अब की थी? हमारी राय है कि इस प्रकार के स्वार्थी और मौक़ा परस्त लोगों को ज़्यादा हवा ना देते हुए सबक़ सिखाना चाहिए? और पिछले 5 सालों में इनके द्वारा करवायें गए कार्यों तथा घोटालों की जाँच  करवायीं जानी चाहिए? जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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