-कमलेश भारतीय अब निकाय चुनाव से पहले राज्यसभा का खेला होने जा रहा है । सबसे मजेदार बात यह कि इस बार हरियाणा के नेता व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को राजस्थान से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया गया है । जीत सुनिश्चित है । पर हरियाणा से क्यों नहीं ? यह एक यक्ष प्रश्न है । इसी प्रकार हरियाणा के ही मीडिया मुगल कहे जाने वाले सुभाष चंद्रा भी भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की शरण में चले गये हैं और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर रहे हैं । सबको इनके पिछले चुनाव की पूरी पूरी याद है क्योंकि ऐसा स्याही कांड हुआ जो न भूतो न भविष्यति होगा । राजस्थान में इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिखती । हरियाणा में काग्रेस ने खुद अपनी सीट हारी थी । रणदीप सुरजेवाला का वोट भी चर्चित हुआ था । जेपी यानी जयप्रकाश को भी खूब चर्चा मिली थी । अब जयप्रकाश विधायक नहीं हैं और सुभाष चंद्रा भी हरियाणा से प्रत्याशी नहीं हैं ।हरियाणा में कागज पर रखे आंकड़ों को देखा जाये तो कांग्रेस अजय माकन को बड़े आराम से राज्यसभा की वैतरणी पार करवा सकती है लेकिन भाजपा ने पूर्व मंत्री विनोद शर्मा से मिल कर खेला कर दिया है और उनके बेटे कार्तिकेय को प्रत्याशी बना दिया है , जिसे जजपा का समर्थन भी मिला है । जजपा के लोग नामांकन के समय भी मौजूद रहे । कार्तिकेय के आ जाने से यह माना जा रहा है कि अजय माकन की राह आसान नहीं रही । विनोद शर्मा ने अपनी पत्नी शक्ति शर्मा को मूयर बनवा कर भी चौंका दिया था । दूसरे विधायक दल की बैठक में अजय माकन के व्यवहार से भी ज्यादा खुशी सामने नहीं आई । कुलदीप बिश्नोई नहीं आए जैसे कि उम्मीद की जाती थी । कुल और विधायक हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बहुत विश्वस्त नजर आ रहे हैं अजय माकन की जीत को लेकर । ऐसे समय में पूर्व मंत्री कैप्टन अजय थादव का यह कहना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इस राज्यसभा सीट पर शैलजा का हक था । शैलजा और अशोक अरोड़ा के नाम चले भी थे लेकिन फिर अजय माकन का नाम आया और उनके नाम पर मुहर लग गयी । यानी हरियाणा से दिल्ली के नेता को सीट मिल गयी । हरियाणा के रणदीप सुरजेवाला को राजस्थान भेजना पड़ा और सुभाष चंद्रा भी राजस्थान खेला करने पहुंच गये हैं । इस तरह राजस्थान और हरियाणा में राज्यसभा का खेला बहुत दिलचस्प हो गया है । इससे उलट एक राज्य ने लेखिका महुआ मांझी को राज्यसभा प्रत्याशी बना कर लेखन जगत को सम्मान दिया है । यह भी बड़ी बात है । बधाई महुआ । कुलदीप बिश्नोई, रामकुमार गौतम और निर्दलीय बलराज कुंडू किस तरफ जायेगे ? यह बहुत बड़ा पेंच है । इसी में शायद जीत हार छिपी है । देखिए खेला और मजे लीजिए । टिकट का पैसा वसूल कीजिए ।।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation उन्नत किस्मों के बीज किसानों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत: प्रो. बी.आर. काम्बोज चौ.च.सिं. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र को मिली 3 करोड़ की छात्रवृति