चुनाव से पूर्व हरियाणा की राजनीति में विस्फोट

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ब्राह्मण राजनीति का तानाबाना सूबे में बुना जा रहा है
आनंद शर्मा हो सकते हैं कांग्रेस के भावी राज सभा उम्मीदवार

अशोक कुमार कौशिक

 हरियाणा की सियासत अभी तक जाटों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ब्राह्मण राजनीति का तानाबाना सूबे में बुना जा रहा है। बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा ने मनोहर लाल खट्टर की जगह किसी ब्राह्मण समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाने मांग उठायी तो कांग्रेस भी किसी ब्राह्मण चेहरे को राज्यसभा भेजने की प्लानिंग कर रही है। इस तरह से 2024 में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ब्राह्मण केंद्रित राजनीति तेज होती नजर आ रही है।

रोहतक से बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा हरियाणा में ब्राह्मण सियासत को लेकर इन दिनों मोर्चा खोल रखा है। शर्मा के निशाने पर सीएम मनोहर लाल खट्टर है। अरविंद शर्मा ने आरोप लगाया है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर अपना दिमाग लगाकर कोई भी काम नहीं करते हैं। ऐसे में ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखने वाले सीएम की जरूरत है। 66 साल पहले हरियाणा को भगवत दयाल शर्मा के रूप में पहला सीएम मिला था, लेकिन इसके बाद राज्य में कोई भी ब्राह्मण सीएम नहीं बना।

अरविंद शर्मा ने कहा कि 2014 में राम बिलास शर्मा के साथ धोखा हुआ । पहली बार हरियाणा में बीजेपी सरकार बनने पर उन्हें सीएम नहीं बनाया गया । लेकिन राम बिलास शर्मा ने पार्टी के लिए सब कुछ किया। उनके नाम पर सरकार बनाई गई । लेकिन बाद में उन्हें अनदेखा किया गया। बीजेपी सांसद ने हरियाणा में ब्राह्मण सीएम का मुद्दा पार्टी शीर्ष नेतृत्व के सामने भी उठाने की घोषणा की है।

बता दें कि 2014 में जब बीजेपी की पहली बार हरियाणा में सरकार बनाने में सफल रही थी, उस वक्त पार्टी के प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राम बिलास शर्मा थे। उस समय हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किए गए थे जिसमें दक्षिण हरियाणा से दूसरा नाम राव इंद्रजीत सिंह का भी था। बीजेपी की जीत में शर्मा और राव की अहम भूमिका रही है, लेकिन मुख्यमंत्री का ताज मनोहर लाल खट्टर के सिर सजा था। राम बिलास शर्मा कैबिनेट मंत्री रहे। हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में राम बिलास शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से हरियाणा में बीजेपी के पास कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा प्रभावी रूप से नजर नहीं आया।

राज्यसभा की सीटें तय करेंगी भावी राजनीति
वहीं, कांग्रेस भी हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण को अपने पाले में रखने की कवायद है। हरियाणा की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, जिनमें एक सीट बीजेपी और एक सीट कांग्रेस को मिलनी तय है। कांग्रेस की ओर से कुमारी सैलजा राज्यसभा की दावेदारी मानी जा रही है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसी ब्राह्मण चेहरे को राज्यसभा में भेजने के पक्ष में है। इस तरह हुड्डा 2024 के विधानसभा चुनाव में जाट-दलित-ब्राह्मण का सियासी कैंबिनेशन बनाना चाहते हैं, जिसके लिए हुड्डा की ओर से पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का नाम बढ़ाया जा रहा है।

दरअसल, हरियाणा में करीब 12 फीसदी वोट ब्राह्मण समुदाय के हैं. ये प्रदेश की करीब एक दर्जन विधानसभा सीट पर अच्छा खासा असर रखते हैं और तीन लोकसभा सीटों पर जीत हार की भूमिका तय करते हैं. इसके बावजूद हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण समाज कभी भी जाट और पंजाबी समुदाय से आगे नहीं निकल पाए हैं. सियासी इतिहास में महज एक बार ही 1962 में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर भगवत दयाल शर्मा संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री रहे.

हालांकि, हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण सियासत आजादी से पहले स्थापित थी. पंडित श्री राम शर्मा राष्ट्रीय आंदोलन के बड़े चेहरे के रूप में उभरे थे. श्रीराम शर्मा के बढ़ते सियासी प्रभाव के चलते ही सर छोटू राम ने अपनी सियासी धारा बदल ली थी और गांधी की अलोचना करने लगे थे. इसके बाद के इतिहास पर नज़र डालें तो पाएंगे कि इस क्षेत्र में पंडित श्रीराम शर्मा बनाम चौधरी छोटू राम की राजनीति चलती रही है। इस तरह हरियाणा की सियासत में श्रीराम शर्मा और भगवत दयाल शर्मा के बाद विनोद शर्मा से लेकर राम बिलास शर्मा तक कई ब्राह्मण नेता आए, लेकिन सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंच सके।

हरियाणा में ब्राह्मण समुदाय की राजनीतिक रूप से महत्वकांक्षी समझा जाता है। विनोद शर्मा एक समय कांग्रेस का चेहरा थे तो राम विलास शर्मा जैसे ब्राह्मण चेहरे बीजेपी के साथ रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जाट समुदाय के ‘मक्का’ कहे जाने वाले रोहतक संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी डॉक्टर अरविंद शर्मा को जीत मिली तो हुड्डा खेमे के लिए इसे अब तक का सबसे बड़ा झटका माना गया। अब वही अरविंद शर्मा ने ब्राह्मण सियासत का झंडा उठा लिया है और मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ अतीत में राव इंदरजीत सिंह चौधरी, बीरेंद्र सिंह डूमरखा तथा  भिवानी महेंद्रगढ़ से लोकसभा सांसद चौधरी धर्मवीर यदा-कदा मुश्किल में डालने वाला बयान देते रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी ने ब्राह्मण नेता के तौर पर नवीन जयहिंद को आगे कर 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। जयहिंद ने चुनावी सरगर्मियों के बीच अपने नाम के आगे पंडित लगा लिया था। इतना ही नहीं नवीन जयहिंद ने अपनी पीठ पर म्‍यान में तलवार की तरह फरसा बांधकर चुनावी प्रचार कर रहे थे। इसे हरियाणा की सियासत में ब्राह्मण समुदाय के वोटों को एकजुट करने के मद्देनजर देखा जा रहा थी, लेकिन आम आदमी पार्टी का यह दांव सफल नहीं हो सका। आम आदमी पार्टी ने निकाय चुनाव में जो सबसे पहले सीट घोषित की है वह भिवानी से ब्राह्मण नेता के परिवार से है। ऐसे में एक बार फिर से सूबे में ब्राह्मण सियासत गरमा गई हैं।

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