भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद में अटल कमल का उद्घाटन करते हुए कहा कि जनता की समस्याओं का समाधान करना हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे में जनता की बात को भुला भी दें तो मुख्यमंत्री को आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि वह जनता की समस्याओं का कितना समाधान कर पा रहे हैं।

अटल कमल का फरीदाबाद में उद्घाटन किया और एनआइटी के विधायक नीरज शर्मा लगातार जनता की परेशानियों को तो उठा ही रहे हैं, साथ ही भ्रष्टाचार के नए खुलासे करते जा रहे हैं और जिन्हें सरकार नकार भी नहीं पा रही। अर्थात तय हुआ कि फरीदाबाद निगम सही प्रकार से कार्य नहीं कर रहा और निगम ही जनता की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए जिम्मेदार होता है। फरीदाबाद की अन्य समस्याओं की बात फिर करेंगे।

अब गुरुग्राम की बात करें तो यहां भी गुरूकमल का उद्घाटन हुआ था और गुरूकमल का उद्घाटन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया था। कुछ यही अर्थ नड्डा साहब और वहां उपस्थित मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष का था कि हम जनता की सेवाओं में तत्पर हैं लेकिन जनता में संदेश जा चुका है कि भाजपा की बातों को ब्याह के गीत के अतिरिक्त अधिक महत्व दोगे तो आत्मा दुखी होगी। अत: जनता अब इन ब्यानों पर ध्यान कम ही देती है।

अभी सप्ताह हुआ भी नहीं है मुख्यमंत्री गुरुग्राम निगम पार्षदों के साथ बैठे थे और पार्षदों को संदेश दे रहे थे कि अधिकारियों की शिकायत मत करो, उनसे तालमेल बनाकर चलो। अधिकारी और जनप्रतिनिधि गाड़ी के दो पहिये हैं। अब प्रश्न यह है कि जब जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों के साथ तालमेल बनाकर ही चलना है तो फिर जनप्रतिनिधियों की आवश्यकता ही क्या है? जहां तक मेरी समझ है कि जनप्रतिनिधि जनता की आवाज उठाने के लिए होते हैं और जनता परेशान होती है तो अधिकारियों की कार्यशैली से ही होती है। जब जनप्रतिनिधि को मुख्यमंत्री संदेश या निर्देश देंगे कि अधिकारियों से तालमेल बनाकर रखो तो अर्थ यही निकला कि जनता को समझाकर रखो कि अधिकारियों की मानें।

यह तो मुख्यमंत्री की बात हुई, अब प्रदेश अध्यक्ष की बात कर लें। धनखड़ साहब ने 21 दिन का कार्यक्रम चलाया था, जनता से कार्यकर्ताओं के मिलने का लेकिन कहीं जनता में जाकर पूछो तो ज्ञात होगा कि जनता से तो भाजपा कार्यकर्ता नहीं मिले, हां आपस में मिल-बैठकर पार्टियां कर ली हैं।

जनता से कोई सरोकार रहा नहीं और प्रदेश अध्यक्ष खुद भी गुरुग्राम में रहते हैं तो वह बता तो दें कि गुरूकमल में बैठकर आजतक किसी दिन उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं, मंत्रियों या विधायकों से कभी जनता की समस्याओं के बारे में बात कही है? अब आप ही अनुमान लगाएं कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जो कह रहे हैं, वह कितना सत्य है?

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