निकाय चुनाव 2022— चुनावी समर में उतरने वाले योद्धा हुए सक्रिय , आकाओं की जी-हजूरी शुरू

भाजपा – जजपा में दावेदारों की कतार लंबी , भीतरघात की बनी संभावना
कांग्रेसी अंदरखाने प्रचार में जुटे , आप पार्टी भी ताल ठोकने को तैयार
निर्दलीय प्रत्याशियों की रहेगी भरमार, जन सम्पर्क हुआ आरंभ

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। हाई कोर्ट द्वारा निकाय चुनाव के आदेश जारी किए जाने के बाद जिला में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। चुनाव लड़ाने के इच्छुक भावी उम्मीदवारों ने जनमानस का मन टटोलने की कवायद शुरू कर दी है। नारनौल नगर परिषद व महेंद्रगढ़ नगर पालिका चेयरमैन पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित है, वहीं नांगल चौधरी नगर पालिका चेयरमैन पद भी यथा सामान्य वर्ग के लिए रखा गया है।

 वहीं नये नियमानुसार चैयरमेन पद का निर्वाचन अब सीधे मतदाताओं के द्वारा किया जाएगा। इस प्रक्रिया के लागू होने के बाद अब चुनावी राजनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां पूर्व में पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए पसीना बहाया जाता था , वहीं अब छुटभैय्ए नेताओं में भी चैयरमेन का चुनाव लड़ने की उत्सुकता देखी जा रही है। नारनौल, महेंद्रगढ़ और नांगल चौधरी में चैयरमेन पद के दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है , लेकिन जीत का श्रेय किसके भाग्य में लिखा है , यह तो परिणाम घोषित होने पर ही नजर आएगा। इस बार विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी निकाय चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने की घोषणा की है। उक्त घोषणा के बाद चुनावी दंगल में कूदने वाले टिकट की चाह में अपने राजनैतिक आकाओं को खुश करने में व्यस्त हैं। 

भाजपा- जजपा ने गठबंधन धर्म की पालना करते हुए सांझा चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी है। वहीं कांग्रेस ने भी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने का फैसला लगभग तय कर लिया है। आम आदमी पार्टी ने भी पंजाब में सरकार बनाने के बाद प्रदेश में अपनी राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे निकाय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। इस स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अबकी बार होने वाले निकाय चुनाव रोचक और निर्णायक साबित हो सकते हैं।

अभी हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश जारी कर कहा है कि फिलहाल निकाय चुनाव पुराने पैटर्न पर ही करवाएं जाएं , लेकिन न्यायालय पालिका के आदेश दिए जाने के बाद भी इन चुनावों के लिए तारीख से जुडी कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। फिर भी नेताओं के बयानों को आधार मानते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि उक्त चुनाव जून के अंत या जुलाई माह के प्रथम चरण में सम्पन्न करवाएं जा सकते हैं। 

मानें तो साफ है कि पंचायत और निकाय संबंधित कार्यकाल को पूर्ण हुए एक वर्ष होने को है। इस परिस्थिति में विभिन्न विकास से जुड़े कार्य ठंडे बस्ते का शिकार हैं। लोगों में भी उत्सुकता थी कि नये नियमानुसार चैयरमेन पद का निर्वाचन सीधे मतदाताओं को करना है और इस आदेश से पार्षदों की खरीद फरोख्त पर अंकुश लगने के कारण भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना संभव हो सकता है। वहीं राजनीतिक दलों द्वारा इन चुनावों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के फरमान ने हालात दिलचस्प बना दिए। अब टिकट की चाहत पाले भावी उम्मीदवारों ने सत्ता से जुड़े आकाओं की जी हुजूरी शुरू कर दी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नारनौल व महेंद्रगढ़ चैयरमेन पद पर भाजपा अपनी दावेदारी पेश कर अपना प्रत्याशी मैदान में उतरेगी, वहीं नांगल चौधरी में गठबंधन पर पेंच फंसा है। 

स्थानीय विधायक की मंशा है कि यहां भी भाजपा अपनी दावेदारी पेश करे , लेकिन जजपा के कर्मठ समझे जाने वाले कार्यकर्ता चाहते हैं कि यहां जेजेपी को मौका दिया जाना चाहिए।

 वैसे तो दोनों ही क्षेत्रों में गत दिनों आयोजित जजपा  कार्यकर्ता सम्मेलन में  प्रमुख नेताओं द्वारा यह बात दोहराई गई है कि गठबंधन धर्म की पालना करते हुए सभी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता हाईकमान के निर्देश की पालना करते हुए पूर्ण निष्ठा से गठबंधन के घोषित प्रत्याशी को विजय दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे , लेकिन अंदरखाने पक रही खिचड़ी की सुगंध इशारा कर रही है कि इस बार निकाय चुनाव में भीतरघात की प्रबल संभावना बन सकती है। 

वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग अंदरखाने प्रचार-प्रसार में तो व्यस्त हैं, लेकिन खुलकर सामने आने से अभी परहेज किया जा रहा है। आप नेता अभी संगठन विस्तार में जुटे हैं , लेकिन भावी उम्मीदवारों के लिए सर्वे को महत्व दिया जा रहा है।

 फिलहाल इस मामले में अभी आप पार्टी दौड़ में शामिल होने के लिए स्वच्छ छवि को जीत का मूल मंत्र मानते हुए जन संवाद में व्यस्त है। वहीं अधिकांश चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता ऐसे भी हैं जो वैसे तो किसी ना किसी रूप से विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सत्ता सुख भोगने में अग्रणी रहे , लेकिन अब चुनावी चक्रवात में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमाने को आतुर नजर आ रहें हैं।

 तमाम हालातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस बार निकाय चुनाव में विभिन्न पार्टियों के अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों की भरमार हो सकती है।

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