‘1857 का संग्राम, हरियाणा के वीरों के नाम’ नाटक का मंचन

शहीदों की गौरवमयी दास्तां देख छलके अश्रु.

राव तुलाराम और नाहर सिंह ने क्रांति का बिगुल बजाया रै… पर हिलोरे लेने लगी देशभक्ति की भावनाएं
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ
वंदे मातरम के जयकारों से गूंज उठा सभागार

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। ‘राव तुलाराम और नाहर सिंह ने क्रांति का बिगुल बजाया रै, हरियाणा के वीरों ने अंग्रेजों को मार भगाया रै।
सुन गाथा हरियाणा की, म्हारे बहादुर वीर जवानों की, दुश्मन के छक्के छुड़वाए और धरती मां की जान कहाये…’

इस देशभक्ति से ओतप्रोत गीत के साथ जब नाटक का मंचन शुरू हुआ तो दर्शकों का जोश देखने लायक था। मौका था जिला प्रशासन और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में आयोजित ‘1857 का संग्राम, हरियाणा के वीरों के नाम’ नाटक का। यह नाटक मंचन लघु सचिवालय के नजदीक स्थित सभागार भवन में हुआ। इस नाटक में चंडीगढ़ और हरियाणा के 22 कलाकारों ने अपनी अदाकारी दिखाई। प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपायुक्त डॉ जेके आभीर ने की।

कलाकारों ने नाटक के माध्यम से दर्शाया कि किस प्रकार से अंग्रेजी हुकूमत ने हिंदुस्तानियों पर असहनीय कहर और जुल्म ढहाए। न केवल हरियाणा बल्कि पूरा हिंदुस्तान में कत्लोगारत का दौर शुरू हो चुका था। देश की आजादी की खातिर लाखों लोगों ने कुर्बानी दी। देश की आजादी के लिए शुरू हुए 1857 के संग्राम की शुरुआत अंबाला से हुई थी। इस क्षेत्र के वीर जवानों ने अंग्रेजी सेना के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार राजा राव तुलाराम और नाहर सिंह ने संघर्ष किया। नारनौल के नजदीक नसीबपुर की धरती पर हुए संघर्ष को नाटक के माध्यम से दिखाया गया तो दर्शकों की आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। नसीबपुर की धरती पर एक ही दिन में विश्व की सबसे बड़ी शहादत को जब नाटक के माध्यम से देखा तो दर्शकों के मन में देशभक्ति की भावनाएं हिलोरे ले रही थी।

अंबाला की छावनी ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले विरोध किया और सीधे कंपनी सरकार से टक्कर लेने का निर्णय लिया। कलाकारों ने अपने अभिनय में दर्शाया कि विवशता के चलते अंग्रेजी सेना में शामिल हुए हमारे सैनिक भी आखिरकार तत्कालीन अंग्रेजी सेना के खिलाफ उठ खड़े हुए और सैनिक बहादुर ने अंग्रेजी सेनापति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोपाल देव व बहादुर शाह जफर  की कमान करने की कुशलता को भी नाटक में प्रदर्शित किया गया है। नाटक  के दौरान बीच-बीच में दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाया और सभागार वंदे मातरम के जयकारों से गूंज उठा।
* मैं सदरूद्दीन किसान का बेटा- माहिर सूं फसल ऊगावण में, देश की खातिर जंग लड़ी थी 1857 में.. पर गूंज उठा सभागार
इस नाटक में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाले सदरूद्दीन मेवाती पर एक गजब का गीत प्रस्तुत किया गया। इस गीत को दर्शकों ने खूब सराहा। इस गीत के बोल थे कि मैं सदरूद्दीन किसान का बेटा- माहिर सूं फसल ऊगावण में, देश की खातिर जंग लड़ी थी 1857 में। इस पर सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। 

** तूं भी फौजी मैं भी फौजी, लगते हैं इतने मनमौजी… पर लगे ठहाके

हालांकि नाटक के ज्यादातर हिस्से में वीर रस को ही प्राथमिकता दी गई है लेकिन नाटक के दौरान कई बार कलाकारों ने दर्शकों को गुदगुदाया भी है। उन्होंने दर्शाया कि कैसे जब फौजी अपने घर परिवार से दूर होता है तो खाली समय में किस प्रकार मनोरंजन करता है। सभी फौजी एक साथ मिलकर अपनी छावनी में मनोरंजन करते हैं। तूं भी फौजी, मैं भी फौजी, लगते हैं इतने मनमौजी.. मस्ती से सराबोर इस गीत पर दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए। 

*** 9 जिलों में हो चुका मंचन

निदेशक चाइनिज गिल और कलाकार माजिद खान ने बताया कि नाटक का पहला मंचन 11 नवंबर 2021 को हुआ था। डॉ. बी चंद्रशेखर ने इसे लिखा था। इतिहास की सही जानकारी लोगों तक पहुंचाना उनका मकसद है। यह नाटक चंडीगढ़ सहित हरियाणा के 9 जिलों में मंचित किया जा चुका है। महेंद्रगढ़ जिला में यह दसवां मंचन है। प्रदेश के सभी जिलों में इसे दिखाया जाएगा। 1857 की क्रांति का बिगुल हरियाणा से बजा था।  ऐसे में आधे कलाकार हरियाणा से ही लिए गए हैं।

राष्ट्रीयता की भावना देश की एकता व अखंडता का आधार : ओमप्रकाश यादव

सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में आयोजित ‘1857 का संग्राम, हरियाणा के वीरों के नाम’ नाटक मंचन के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी देश में राष्ट्रीयता की भावना उस देश की एकता व अखंडता का आधार होती है। हमारे पूर्वजों के गौरवपूर्ण इतिहास को देखकर यही भावना जागृत होती है।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए ज्ञात अज्ञात हजारों नागरिकों ने अपनी शहादत दी थी। 1857 में आजादी की पहली क्रांति के इस दौर में हरियाणा का अहम योगदान रहा है। राव तुलाराम के नेतृत्व में नसीबपुर के मैदान में एक ही दिन में विश्व की सबसे बड़ी सहादत हुई थी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर अमृत महोत्सव के तहत प्रदेश भर में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करके ज्ञात अज्ञात शहीदों को याद किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों से हमारी युवा पीढ़ी को हमारे पूर्वजों के बलिदान के बारे में पता चलता है यह सराहनीय प्रयास है। इससे पहले भी विभाग की ओर से प्रदेश भर में प्रदर्शनी के माध्यम से वीरों के इतिहास को दिखाया गया था। ऐसे कार्यक्रमों से हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है।

इस अवसर पर उपायुक्त डा. जेके आभीर, उपायुक्त की धर्मपत्नी ज्योति आभीर, एडीसी अनुराग ढालिया, नारनौल एसडीएम मनोज कुमार, कनीना एसडीएम सुरेंद्र सिंह, नगराधीश डा. मंगलसेन, जिला परिषद के सीईओ मनोज कुमार, नगर परिषद के कार्यकारी अभियंता अंकित वशिष्ठ के अलावा विभागों के अधिकारी कर्मचारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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