बीते 4 फरवरी से दिल्ली जयपुर हाईवे के खेड़की दौला पर जारी धरना.
क्षेत्र के सांसद, सत्ता पक्ष के नेता अन्य बड़े अहीर नेताओ द्वारा समर्थन.
शक्ति प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों के बीच में घुस आए असामाजिक तत्व.
महंगे पेट्रोलियम के बावजूद भी बाइक पर सवार हाकरे खूब किए स्टंट.
कथित रूप से दिल्ली-जयपुर सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया.
गर्मी में हजारों वाहन चालक और सवार जाम में परेशान होते रहे परेशान.
धरना का नेतृत्व करने वाले नेताओं की मीडिया को नसीहत न करें बदनाम

फतह सिंह उजाला

खेड़की दौला/गुरुग्राम । सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर संयुक्त अहिर रेजीमेंट मोर्चा के द्वारा दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर खेड़की दौला टोल बैरियर के पास बीते 4 फरवरी से अपनी मांगों को पूरा करने के लिए लंगर डाला हुआ है । जैसे जैसे समय गुजरता रहा और आसमान में सूरज की तपिश के कारण धरती का तापमान ऊंचा उठने लगा, इन सब बातों को दरकिनार करते हुए संयुक्त अहिर रेजीमेंट मोर्चा के द्वारा संडे को खेड़की दौला से लेकर गुरुग्राम राजीव चौक तक शक्ति प्रदर्शन किया गया। यह शक्ति प्रदर्शन भी दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर ही आंदोलन स्थल खेड़की दौला से लेकर राजीव चौक तक निर्धारित किया गया था ।

संडे से पहले भी अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन सहित शक्ति प्रदर्शन के दौरान हंगामा किया जाने का मामला मीडिया में सुर्खियां बन चुका है। संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के तत्वाधान में संडे को सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग को लेकर किए गए शक्ति प्रदर्शन का नाम अधिकार यात्रा दिया गया । अधिकार यात्रा के दौरान ही ऐसे अनगिनत वाहन चालकों यात्रियों सहित अन्य लोगों को जिनमें बच्चे बुजुर्ग बीमार भी शामिल थे, ऐसे सभी लोगों को आग उगलते सूरज की तपिश में सड़क पर लंबा जाम लगने के कारण बड़ी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा । कई बुजुर्ग तो अपने वाहनों में बैठे हाथ से पानी पीने या पिलाने का इशारा करते भी देखे गए । हालांकि अधिकार यात्रा सहित शक्ति प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले आंदोलनकारी नेताओं का दावा था कि संडे का शक्ति प्रदर्शन अनुशासित और शांतिप्रिय तरीके से ही रहेगा । लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका और शक्ति प्रदर्शन की अधिकार यात्रा में कथित रूप से असामाजिक तत्व और अति उत्साही युवक भी अपने अपने वाहन लेकर शामिल हो गए।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के आंदोलन स्थल या धरना स्थल खेड़की दौला पर सेना के सर्वाेच्च मेडल प्राप्त करने वाले अहीर योद्धाओं सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के ही अहीर नेता विभिन्न प्रांतों से अपना समर्थन देने के लिए पहुंच भी चुके हैं। लेकिन खेड़की दौला से अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग या फिर गूंज 100 दिन बाद भी दिल्ली दरबार तक नहीं पहुंच पाना या फिर दिल्ली दरबार के द्वारा कथित रूप से अनदेखी किया जाना आयोजकों के लिए चिंतन और मंथन का भी नया विषय बन गया है ? मामले में कुछ लोगों का तो अब स्पष्ट शब्दों में साफ-साफ कहना है कि अहीर रेजिमेंट की मांग को पूरा करवाना है तो संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा को खेड़की दौला से अपना स्थान बदलकर देश की राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर लंगर डाल देना चाहिए । इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा की अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग और अहीरों की एकजुटता का संदेश  दिल्ली में मौजूद प्रमुख मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार तक निरंतर पहुंचता रहेगा ।

संडे को सैकड़ों की संख्या में चार पहिया और दोपहिया वाहनों पर सवार होकर अहीरवाल के प्रमुख लोगों के साथ साथ आंदोलन को चलाने वाले नेताओं के द्वारा राजीव चौक तक अधिकार यात्रा निकाली गई। जिस अधिकार के साथ यह यात्रा निकाली गई उतना ही अधिकार उन वाहन चालकों सहित आम लोगों को भी था जो कि अपने-अपने वाहनों में सवार होकर गुरुग्राम होते हुए दिल्ली या अन्य स्थानों के लिए अपने घरों से निकले थे । आंदोलनकारियों को इन लोगों के अधिकार का भी सम्मान करना ही चाहिए था। इसी बीच में संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा से जुड़े प्रमुख नेता विजय यादव के द्वारा मीडिया को भी नसीहत देते हुए कहा गया है कि मीडिया अहीर समाज को और नौजवानों को बदनाम नहीं करें । लेकिन विजय यादव सहित अन्य नेतृत्व कर्ताओं कोयह भी नहीं भसेूलना चाहिये कि धरना आरंभ किया जाने के पहले से ही मीडिया अनकी मांग को प्रमुखता के साथ उठाता आ रहा है। उनके द्वारा दावा किया गया है कि अगली बार अहीर रेजिमेंट के मुद्दे को लेकर यात्रा संसद भवन तक निकाली जाएगी । जितनी अधिक संख्या में अहिर समाज एकजुट होकर अपनी बात और मांग दिल्ली दरबार तक पहुंचाएगा, उसके बाद ही अहीर रेजिमेंट के गठन के लिए उम्मीद की जा सकती है । जिस प्रकार का अभी तक सरकार का रवैया सामने आया है उसे देखते हुए यही महसूस हो रहा है कि दिल्ली दरबार अहीर रेजिमेंट की सेना में गठन की मांग को लेकर बहुत ही हल्के में ले रहा है। विजय यादव के मुताबिक मीडिया और सरकार के ही लोग आंदोलन और आंदोलन से जुड़े लोगों को तथा नौजवानों को बदनाम करके मनोबल तोड़ने का भी काम करेंगे । लेकिन हर बाधा और चुनौती को नजरअंदाज करते हुए आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक की सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन पर दिल्ली दरबार की मुहर नहीं लग जाती या फिर मंजूरी प्रदान नहीं कर दी जाती है ।

इसी बीच संडे को ही जिस समय अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर आंदोलनकारियों के द्वारा शक्ति प्रदर्शन करते हुए अधिकार यात्रा निकाली जा रही थी । उसी दौरान ही एक गाड़ी में सवार होकर जा रही महिला के द्वारा पुलिस को शिकायत दी गई है कि राजीव चौक के पास जब वह सर्विस लेन पर पहुंची तो वहां अहीर रेजिमेंट की मांग के लिए चल रहे और प्रोटेस्ट में शामिल कुछ प्रदर्शनकारी उनकी गाड़ी के सामने आकर जबरदस्ती खड़े हो गए तथा गाड़ी को आगे जाने से रोक दिया । महिला के द्वारा पुलिस शिकायत में कहा गया है कि जाने का अनुरोध किया जाने के बावजूद प्रदर्शनकारी बिल्कुल भी नहीं माने तथा उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए गए। इस मामले में जिला पुलिस प्रवक्ता का कहना है कि महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है ।

संडे के विरोध प्रदर्शन सहित अधिकार यात्रा में शामिल मुख्य रूप से पूर्व सरपंच सूबे सिंह बौहरा, बलवान फौजी , कैप्टन रमेश यादव, गिरिराज सिंह, मनोज यादव, निशू यादव का कहना है कि सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर संडे को केवल मात्र गुरुग्राम में ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों में भी अहीर समाज के लोगों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया गया है । करीब 100 दिनों से खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास सेना में अहीर रेजिमेंट बनवाने की मांग को लेकर लगातार विभिन्न गांवों कस्बों अलग-अलग जिलों और राज्यों से अपना अपना समर्थन देने के लिए यादव समाज के प्रतिष्ठित नेता पहुंचते रहे हैं । यहां तक की हरियाणा विधानसभा में भी पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता के द्वारा खेड़की दौला पर जारी धरना का हवाला देते हुए अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग उठाते हुए हरियाणा सरकार का ध्यान आकर्षित किया जा चुका है । दूसरी ओर रोहतक के सांसद डॉ अरविंद शर्मा के द्वारा भी सेना में अहीर रेजिमेंट की मांग का समर्थन किया गया है ।

संडे को आग उगलते सूरज के नीचे खेड़की दौला टोल बैरियर पर अपनी मांगों के समर्थन में धरने पर बैठे अहिरवार समाज के लोगों और प्रदर्शनकारियों के सब्र का बांध टूट गया । इसके बाद अपने-अपने वाहनों में सवार होकर अहीर रेजिमेंट की अधिकार यात्रा निकालने के लिए सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ गया । आंदोलनकारियों का कहना है कि 100 दिन बीत जाने के बाद भी दिल्ली दरबार या फिर केंद्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के द्वारा आधिकारिक रूप से धरना स्थल पर पहुंचकर संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा की मांगों को जानने का प्रयास नहीं किया जा रहा है । इस दौरान प्रदर्शनकारी अनेक युवक अपने अपने दोपहिया वाहनों पर सवार होकर नेशनल हाईवे के बीचो बीच 44 डिग्री तापमान में स्टंट करते हुए दिखाई दिए । मनमर्जी से अपनी अपनी बाइकों को यहां से वहां दौड़ आते देखे गए , इतना ही नहीं यहां तक नजारा देखा गया कि कथित रूप से सड़क के बीचो अपने दोपहिया वाहनों को वाहनों के सामने लगाकर यातायात को भी रोक दिया गया । इस दौरान कथित रूप से मीडिया कर्मियों के साथ भी हल्की फुल्की बहस बाजी हुई । वही रोड जाम किया जाने से लेकर सड़क पर स्टंट करने और विभिन्न वाहनों पर सवार होकर प्रदर्शन करने के साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस के द्वारा की जाने वाली फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग का भी विरोध किया गया । आयोजकों के द्वारा यह तर्क दिया गया कि पुलिस प्रशासन के द्वारा ऐसा किया जाने से युवाओं का आक्रोश और अधिक भड़क सकता है ।

संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के प्रदर्शन सहित अधिकार यात्रा का नेतृत्व करने वाले नेताओं के द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी और महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपे जाने थे । गुरुग्राम के डीसी निशांत कुमार यादव के हाथों ही संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा समन्वयन ट्रस्ट के द्वारा ज्ञापन सौंपने का फैसला किया गया था। लेकिन डीसी निशांत कुमार यादव के किसी अन्य कार्य में व्यस्त होने की वजह से गुरुग्राम की एसडीएम अंकिता चौधरी ने प्रदर्शनकारियों के बीच में पहुंचकर उनकी मांगों का ज्ञापन स्वीकार किया। यहां भी एक बार माहौल में हल्का सा तनाव उस समय देखने के लिए मिला जब आंदोलनकारियों के द्वारा एसडीएम अंकिता चौधरी को ज्ञापन सौंपने से इंकार कर दिया गया । फिर भी गुरुग्राम की एसडीएम अंकिता चौधरी के द्वारा समझाने और वास्तविक स्थिति से अवगत कराने के बाद आंदोलनकारियों के द्वारा उनको अपना ज्ञापन सौंप दिया गया । संडे को अहीर रेजिमेंट के हक को लेकर अधिकार यात्रा जिस प्रकार से अपना रास्ता भटकता हुआ दिखाई दी। यदि इसी प्रकार से ही भविष्य में पुनरावृति हुई तो इस बात से इंकार नहीं की दिल्ली दरबार संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के द्वारा की जा रही सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर और भी लंबा इम्तिहान लेने के साथ-साथ सब्र के पैमाने को नापने से भी पीछे हटने वाला दिखाई नहीं दे रहा है । लाख टके की बात यह है कि जब तक अहीरवाल के छत्रप कहलाए जाने वाले नेता पूरी तरह से खुलकर अहीर रेजिमेंट की मांग को दिल्ली दरबार और केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से नहीं रखेंगे ,  तो ऐसा लगता है किंतु परंतु का खेल शायद काफी लंबे समय तक खेलने से इनकार भी नहीं किया जा सकता। अब देखना यह है कि संयुक्त अहिर रेजीमेंट मोर्चा की आगामी रणनीति क्या और किस प्रकार की रहेगी । जिससे कि सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की उनकी मांग को दिल्ली दरबार या फिर केंद्र सरकार पूरा करने की प्रक्रिया आरंभ कर दे।

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