भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। भाजपा के शीर्ष नेताओं में आजकल चर्चा का विषय यही रह गया कि राज्यसभा में हरियाणा से जाएगा कौन? नाम अनेक, अनिश्चितताओं का दौर, कोई निश्चित कहने को नहीं तैयार। शायद सभी अपनी गोटियां बिठाने को हैं तैयार।

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की हरियाणा में सक्रियता से ही प्रश्न उठने लगे थे कि क्या भूपेंद्र यादव राव इंद्रजीत का विकल्प बनेंगे या फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का? सवाल उठते रहे लेकिन मैं आरंभ से ही लिखता रहा हूं कि भूपेंद्र यादव का कद मोदी दरबार में इतना बड़ा है कि वह इन दोनों के विकल्प बनने के बारे में सोच भी नहीं सकते।

मेरा कहना यह रहा है कि भूपेंद्र यादव को हरियाणा की राजनीतिक स्थितियों का मंथन करने के लिए भेजा गया और वह यह जानने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार 2024 के चुनाव में हरियाणा को दसों संसदीय सीट जीती जाएं? और यह तभी मुमकिन है, जब हरियाणा का नेतृत्व एकजुट हो और जनता को हरियाणा सरकार पर भरोसा हो, क्योंकि धरातल पर दिखाई दे रहा है कि मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों से सामंजस्य बनाने में सफल हो नहीं पाए और जनता भी सरकार से प्रसन्न नहीं है। यह बात जनता और बीजेपी हरियाणा के कार्यकर्ता भी दबे-छुपे शब्दों में कहते हैं और इन्हीं बातों को दूर करने का रास्ता ढूंढने के लिए भूपेंद्र यादव को भेजा गया है।

अब समय आ गया है कि यह पता करने का कि मेरे विचार सत्य हैं या नहीं, क्योंकि राज्यसभा चुनाव का दस जून को होने का ऐलान हो गया। 31 मई नामांकन की अंतिम तिथि है। अत: इस तिथि से पहले ही भाजपा को राज्यसभा उम्मीदवार का नाम बताना होगा। हालांकि हरियाणा के राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 01 अगस्त को समाप्त हो रहा है। पहले यह सोचा जा रहा था कि उम्मीदवार का नाम ही जुलाई-अगस्त में पता लगेगा। 

वर्तमान परिस्थितियों में भाजपा संगठन से पुष्ट-अपुष्ट सूत्रों के अनुसार चर्चा यह भी चल रही है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल भ्रष्टाचार का काल का नाम भी राज्यसभा के लिए संभावित है। सुनने में आ रहा है कि हरियाणा में तो यह नाम को भ्रष्टाचार के काल रह गए परंतु राज्यसभा में जा, केंद्र सरकार में मंत्री बन अपने पुराने साथी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठ देश में भ्रष्टाचार का काल बन सकते हैं।

भाजपा और संघ में यह बात प्रमाणिक तौर पर कही जाती है कि भाजपा और संघ का कार्यकर्ता पद का ध्यान न कर पार्टी के दिए हुए कार्य को निभाने में अधिक ध्यान देता है और यहां तो मुख्यमंत्री को छोटे से हरियाणा के नेतृत्व से हटा पूरे भारतवर्ष के मंत्री की जिम्मेदारी देने की बात चर्चा में है। खैर, जो भी होगा जल्द ही सामने आएगा लेकिन वरिष्ठ नेता या कार्यकर्ता का दबी जुबान में ऐसा ही कहना सुनने में आ रहा है। इसके पश्चात इससे बड़ा सवाल यह खड़ा होने वाला है कि मनोहर लाल के जाने के पश्चात हरियाणा का नेतृत्व किसे दिया जाएगा? जाहिर है वह प्रधानमंत्री का चहेता और संघ का कार्यकर्ता होगा।

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