बीते करीब 1 महीने में गुरुवार को तीसरी बार डंपिंग यार्ड में लगी आग.
आग उगलता सूरज और सुलगते कूड़े के धुए से पर्यावरण-सेहत प्रभावित.
बार-बार मामला मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद भी पालिका सचिव मस्त.
बड़ा सवाल क्या डंपिंग यार्ड से कूड़ा करकट शिफ्ट नहीं किया जा रहा.
अब तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ही लेना होगा कोई कठोर एक्शन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । यह तो चिर परिचित कहावत है की आग और घी तथा तेल या पेट्रोल और आग एक दूसरे के दुश्मन हैं । मौका लगते ही एक दूसरे को अपने आगोश में ले लेते हैं । लाख टके का सवाल यह है कि आखिर नगर पालिका पटौदी के डंपिंग यार्ड में ऐसा आखिर कौन सा ज्वलनशील पदार्थ कूड़े करकट के साथ में लाकर डाला जा रहा है, जो कि बिना देरी किए आग की लपटों में तब्दील हो जाता है ? बीते करीब 1 महीने के दौरान पटौदी नगर पालिका के डंपिंग यार्ड में गुरूवार तक तीन बार यहां लाकर डाले जा रहे कूड़े करकट में भयंकर तरीके से आग लग चुकी है या फिर योजनाबद्ध तरीके से किसी साजिश के तहत आग को लगवाया जा रहा है ।

एक तरफ आग उगलते सूरज में तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस तक लोगों के लिए परेशानी का कारण बना है , दूसरी ओर इतने उच्च तापमान पर पटौदी में  पेयजल सप्लाई करने वाले सेंटर की मोती डूंगरी के नजदीक बने डंपिंग यार्ड परिसर में कूड़े करकट में आग भड़कना अपने आप में सवाल और अबूझ पहेली बनती जा रही है । स्थानीय लोगों की मानें तो डंपिंग यार्ड परिसर में कूड़े करकट में लगने वाली या फिर लगाई जाने वाली आग के मामले में बिना देरी किए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल संज्ञान लेते हुए इस आगजनी की घटना की गहराई से जांच करनी चाहिए । जब भी यहां पर आग लगती है तो पटौदी फायर ब्रिगेड विभाग पर कथित रूप से इस बात का जवाब बनाया जाता है कि सबसे पहले डंपिंग यार्ड के कूड़े करकट की आग को शांत किया जाए या फिर बुझाया जाए । बीते माह 6 अप्रैल से लेकर 12 मई गुरुवार तक पटौदी के डंपिंग यार्ड के कूड़े करकट के ढेर में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड कर्मचारियों को मौके पर पहुंचकर सुलगती आग को बुझाना ही पड़ रहा है ।

इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू तथा सकारात्मक पक्ष यह है कि विभिन्न प्रकार के गले सड़े कूड़े करकट में लगी आग के बाद धुए से आसपास के लोगों को होने वाली परेशानी से बचाने के साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सके , इसी मुख्य बात को प्राथमिकता प्रदान की जा रही है । यहां आस-पास में ही गरीब पिछड़े वर्ग की बस्ती है, डंपिंग यार्ड के आस-पास में ही शिक्षण संस्थान हैं, यहीं पर ही मंदिर भी बने हुए हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डंपिंग यार्ड परिसर के सामने ही करीब 70 लाख रुपए की लागत से पटौदी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा पब्लिक पार्क का भी निर्माण करवाया जा रहा है। इस बात को जानने के लिए कई बार प्रयास किए गए हैं कि पटौदी के डंपिंग यार्ड में लाकर डाला जा रहा शहर भर का कूड़ा करकट जिसमें कि मृतक मवेशियों के अवशेष भी होते हैं। इस प्रकार के कूड़े करकट को पटौदी शहर से बाहर किसी अन्य डंपिंग यार्ड में स्विफ्ट भी किया जा रहा है या नहीं किया जा रहा ? यदि यहां का कूड़ा करकट शहर से बाहर नहीं भेजा जा रहा है तो फिर कथित रूप से इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की डंपिंग यार्ड में कूड़े करकट के ढेर में आग लगाने का खेल योजनाबद्ध तरीके से खेला जा रहा है । जिससे कि कूड़ा करकट राख में बदल जाए और कूड़े करकट को पटौदी शहर से किसी अन्य स्थान के डंपिंग यार्ड में भेजने के खर्च को भी बचाया जा सके ।

लेकिन यह सब कार्य लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की कीमत पर नैतिक और कानूनी दृष्टिकोण से कतई भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भी स्पष्ट आदेश और निर्देश है कि पालिका, क्षेत्र, जिला परिषद, नगर परिषद , नगर निगम क्षेत्र में कूड़े करकट कचरे के ढेर में आग लगना या लगाया जाना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइन सहित दिशा निर्देशों की एक प्रकार से अवहेलना किया जाने जैसा ही अपराध है ।  पटोदी गे डंपिंग यार्ड परिसर में कूड़े करकट में नियमित अंतराल पर आग लगने या फिर लगाने के संदर्भ में कई बार पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को भी लोगों को होने वाली परेशानी को ध्यान में रखते हुए अवगत करवाया जा चुका है । हर बार उनके द्वारा समस्या के समाधान का आश्वासन दिया गया। लेकिन 12 मई गुरुवार को एक बार फिर से पटौदी नगर पालिका के डंपिंग यार्ड परिसर में कूड़े करकट के ढेर में सुलगती आग और जहरीले धुएं ने पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्यप्रकाश जरावता के साथ-साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और संबंधित अधिकारियों को भी खुली चुनौती दे डाली है । यदि समय रहते पटौदी नगर पालिका प्रशासन और संबंधित अधिकारियों पर लगाम नहीं कसी गई तो इस बात से इंकार नहीं की पर्यावरण के साथ ही हरियाली को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, वही आसपास के रहने वाले लोगों की सेहत के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है । अब देखना यह है कि नियमित रूप से पटौदी के डंपिंग यार्ड परिसर में आग लगने के कारण आम जनमानस के लिए गंभीर होती जा रही समस्या का क्या और किस प्रकार का समाधान किया जा सकेगा।

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