अधिवक्ता कैलाश चंद ने की शिक्षा निदेशालय से हस्तक्षेप करने की मांग

गुडग़ांव, 5 मई (अशोक): निर्धन वर्ग के जरुरतमंद परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने का बीड़ा प्रदेश सरकार ने शिक्षा अधिनियम 134ए के तहत उठाया हुआ था। इस अधिनियम के तहत बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही थी। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस नियम में कुछ संशोधन कर दिया था और यह कहा गया था कि जो बच्चे गत वर्षों से निजी स्कूलों में इस नियम के तहत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे नियमित रुप से करते रहेंगे। लेकिन निजी स्कूलों ने इसका उल्लंघन करना शुरु कर दिया है।

इस अधिनियम के तहत शिक्षा उपलब्ध कराने में सहयोग करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश चंद का कहना है कि कई अभिभावकों ने उनसे शिकायत की है कि उनके बच्चे नियम 134ए के तहत पिछले कई वर्षों से निजी स्कूलों में शिक्षा
ग्रहण कर रहे थे, लेकिन अब स्कूल प्रबंधनों ने इन बच्चों को स्कूल से निकालकर उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया है। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन कह रही है कि सरकार ने नियम 134ए को समाप्त कर दिया है। यदि उन्हें निजी स्कूलों में पढऩा होगा तो उन्हें फीस देनी पड़ेगी।

अधिवक्ता का कहना है कि अभिभावकों की इस समस्या से शिक्षा निदेशालय को भी ईमेल के माध्यम से शिकायत भिजवा दी है। आग्रह किया गया है कि शिक्षा निदेशालय इसमें हस्तक्षेप करे ताकि निर्धन वर्ग के इन बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित न होना पड़े। उनका कहना है कि शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी शिक्षा जिला अधिकारियों को सरकार ने आदेश दिए हुए हैं कि पहले से शिक्षा प्राप्त कर रहे निजी स्कूलों में 134ए के तहत बच्चों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी। उनकी शिक्षा पूरी होने तक इस नियम के तहत उन्हें सुविधा मिलती रहेगी, लेकिन निजी स्कूल ऐसा नहीं कर रहे हैं।

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