भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान राजनीति को देखकर एक बात तो समझ में आई कि प्रजातंत्र हो रहा कमजोर और कठपुतलियों का खेल चल रहा है जोर से। आजकल भाजपा और आप दोनों ही कांग्रेस पर आरोप लगा हैं कि उदयभान को कठपुतली अध्यक्ष बना दिया, वास्तव चलेगी तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ही।

कठपुतली का बात सुन वर्तमान राजनीति पर ख्याल किया तो दिखाई दिया कि हरियाणा में चाहे मुख्यमंत्री हों या प्रदेश अध्यक्ष या गृहमंत्री, तात्पर्य यह कि सभी शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कठपुतलियां ही नजर आते हैं।

 हरियाणा की वर्तमान राजनीति में हरियाणा के नेताओं का लक्ष्य जनता से अधिक हाइकमान को प्रसन्न करना होता है। अब इसमें देखें तो प्रदेश स्तर के नेता प्रधानमंत्री को खुश करने में लगे होते हैं, और इसी तरह प्रदेश स्तर के नेताओं को उनके नीचे के कार्यकर्ता खुश करने में लगे होते हैं, क्योंकि उनकी पहुंच प्रधानमंत्री तक नहीं होती। अर्थात सभी एक-दूसरे की कठपुतली होते हैं।

प्रादेशिक दल जैसे हरियाणा में वर्तमान में इनेलो या जजपा हैं इनमें तो आरंभ से चलन है कि कोई न कोई सुप्रीमो कहलाता है और जो सुप्रीमो कहलाता है, उनकी पार्टी में सभी उनकी कठपुतलियां होती हैं। इसी प्रकार वर्तमान में हरियाणा में आप पार्टी का उदय होता दिखाई दे रहा है लेकिन यहां भी यही नजर आ रहा है कि अधिकांश प्रभारी सुशील गुप्ता की कठपुतलियां सी ही नजर आती है।कांग्रेस में बहुत समय से रार चली आ रही है और मेरे अनुमान से आगे भी चलती रहेगी। पर कांग्रेस हाइकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव अनुसार अध्यक्ष बना कठपुतली शब्द को याद दिला दिया।

यह कठपुतलियों का खेल मैंने भी कई बार देखा है। पर्दे के पीछे से कोई व्यक्ति अपनी उंगलियों से बने धागों के अनुसार कठपुतलियों को चलाता रहता है और देख-देखकर खुश होकर ताली बजाते हैं लेकिन कभी किसी कारणवश धागा टूट जाए या ढीला हो जाए तो कठपुतली चलाने वाले कंट्रोल समाप्त हो जाता है। 

ऐसी भी कुछ राजनीति में दिखाई देता है कि जब प्रादेशिक पार्टियों में सुप्रीमो कमजोर पडऩे लगता है तो उसकी कठपुतलियां इधर-उधर भागने लगती हैं और अपना रास्ता अलग ढूंढने लग जाती हैं। इसी प्रकार राष्ट्रीय दलों में होता है। जब तक सुप्रीमो मजबूत है तब तक पार्टी में उसकी कठपुतलियां असंतुष्ट होकर भी आवाज नहीं निकाल पातीं। और जब सुप्रीमो कमजोर होता है तो उसमें कुछ नेता कठपुतलियां चलाने वाला बनने के प्रयास में लग जाते हैं। यही राजनीति वर्तमान राजनीति है।

वर्तमान में भाजपा शासन में ही अगर मैं गलत नहीं हूं तो नरेंद्र मोदी के नाम से ही आई है और भाजपा की सबसे बड़ी शक्ति नरेंद्र मोदी ही हैं। ऐसा दृष्टिगोचर होता है, इसलिए हम हरियाणा की बात करें तो हरियाणा के सभी नेता चाहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हों, गृहमंत्री अनिल विज, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा आदि-आदि जो भी हैं सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गीत गाते नहीं थकते। सभी कठपुतलियां हैं लेकिन अगर निगाह डाली जाए तो आपस में इन सभी में सामंजस्य की कमी दृष्टिगोचर होती है और देखने यह आ रहा है कि ये लगभग सभी अपनी-अपनी कठपुतलियां एकत्र करने में लगे हैं, क्योंकि इन लोगों का मानना है या राजनीति का नियम है कि जिसके पास जितनी अधिक कठपुतलियां होंगी, वह उतना बड़ा नेता हो जाएगा।

वर्तमान में भाजपा में यही चल रहा है। कहीं-कहीं सुनने में यह भी आता है कि राम और रावण दोनों ही शिव के भक्त थे तो ऐसे ये सब भी नरेंद्र मोदी के ही भक्त हैं। आगे आप सोचिए।अब तक हमने उपमुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी दूसरी पार्टी के होकर भी नरेंद्र मोदी की कठपुतली हैं।

राजनीति में जनता पसंद उसी को करती है, जो खुद कठपुतलियों की तरह कार्यकर्ताओं को चलाता है या जिसका अपना वर्चस्व हो और जब कोई पार्टी किसी अन्य पार्टी के सुप्रीमो की कठपुतली बन जाती है तो इतिहास गवाह है कि वह अपना जनाधार खो देती है और ऐसा ही कुछ जजपा के बारे में दिखाई दे रहा है।

आप ही समझिये इन कठपुतलियों के खेल को।

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