इस फैसले से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलेगी राहत, मजबूत होगी उनकी सामाजिक सुरक्षा

गुडग़ांव, 27 अप्रैल (अशोक): केंद्र व प्रदेश सरकारों की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी आम जनता तक उपलब्ध कराने में जुटी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व आशा वर्कर्स आदि ग्रेच्युटी व अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर काफी लंबे समय तक प्रदर्शन आदि भी करती रही हैं। प्रदेश सरकार ने उनकी कुछ मांगों को माना भी था, लेकिन ग्रेच्युटी की मांग पर कोई निर्णय नहीं लिया था। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय ले जाकर गुहार लगाई थी।

आंगनवाड़ी यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में देश की करीब 25 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी पाने का हकदार घोषित किया है। पिछले 16 वर्षों से चल रही यह मांग अब पूरी हो गई है। उनका कहना है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में 5 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की याचिका पर प्रतिकूल फैसला सुनाया था, जिसे उन्होंने सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व उनके सहायिकाओं को राहत देने वाला फैसला है। वास्तविकता यह है कि कुपोषण व सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में इन कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका रही है। कोरोना काल में भी इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर घर-घर जाकर संक्रमण की चैन ढूंढने में मदद की थी। यह सर्वविदित है कि इन कार्यकर्ताओं के पास पीपीई किट भी नहीं होती थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने महामारी से लड़ाई लड़ी थी। आंगनवाड़ी यूनियनों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का लाभ सेवानिवृत हो चुकी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को भी मिलेगा। इससे उनकी सामाजिक सुरक्षा मजबूत हो सकेगी।

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