समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ही स्वीकारा है कि प्रदेश में डिमांड के अनुसार 3 हजार मेघावट बिजली कम है। इससे पूर्व सरकार ने दावा किया था कि दो दिन में प्रदेश में बिजली की कमी को दूर कर लिया जायेगा। विद्रोही
बिजली संकट दूर कैसे होगा व प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता कैसे बढ़ेगी? विद्रोही

27 अप्रैल 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार के कुप्रबंधन व निजी बिजली उत्पादक कम्पनियों को आर्थिक लाभ पहुंचाने हरियाणा में बिजली संकट बद से बदतर होता जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि प्रदेश में एक सप्ताह पूर्व बिजली की कमी डिमांड से जो लगभग 2 हजार मेघावाट कम थी, वह अब बढकर तीन हजार मेघावाट हो चुकी है। मंगलवार को चंडीगढ़ में बिजली समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ही स्वीकारा है कि प्रदेश में डिमांड के अनुसार 3 हजार मेघावट बिजली कम है। इससे पूर्व सरकार ने दावा किया था कि दो दिन में प्रदेश में बिजली की कमी को दूर कर लिया जायेगा। लेकिन भाजपा सरकार का वह दावा तो हवा-हवाई निकला और हरियाणा में बिजली की डिमांड व सप्लाई तीन हजार मेघावाट का अंतर और बढ़ गया जो बताता है कि भाजपा सरकार बिजली संकट बरकरार रखकर मोदी मित्र पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने की रणनीति पर पर्दे के पीछे से काम कर रही है। तभी बिजली संकट को दूर करने की जुमलेबाजी के सिवाय कुछ नही हो रहा।

विद्रोही ने कहा कि गर्मीे की इस शुरूआत में शहरों में ही इस समय 24 घंटे में से 6 से 10 घंटे का पावर कट लग रहा है। जब शहरों की यह हालत है तो गांवों की स्थिति क्या होगी, बताना भी बेमानी है। बिजली के लगातार पावर कटों से हरियाणा के पौने तीन करोड़ नागरिक इस कदर त्रस्त है कि गर्मी की मार से सौ भी नही पा रहे है और किसी भी नागरिक की नींद पूरी नही हो रही जो प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य के लिए शुभ संकेत नही है। आश्चर्य है कि इतना बडा बिजली संकट होने पर भी अगस्त 2008 में हरियाणा से किये गए बिजली करार को तोडने वाले मोदी सखा गौतम अडानी की अडानी पावर के खिलाफ भाजपा खट्टर सरकार कार्रवाई करना तो दूर, उससे कैसे महंगी बिजली खरीदी जाये इस जुगाड़ में है। इसी तरह हरियाणा के खेदड व झाडली प्लांट बंद पडा है, जिसे फिर से ठीक करके चालू करने व सभी थर्मले प्लांटों में उनकी उत्पादन क्षमता अनुसार बिजली उत्पादन करने के प्रति उदासीन रवैया अपनाये हुए है ताकि निजी बिजली उत्पादक कम्परियों से महंगी बिजली खरीदकर मोदी सखा पूंजीपतियों की तिजौरियां भरी जा सके।

विद्रोही ने कहा कि जब भाजपा खटटर सरकार ही एक सुनियोजित रणनीति के तहत बिजली की कमी करके सरकारी खजाने को लुटाकर पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने को उतारू है तो बिजली संकट दूर कैसे होगा व प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता कैसे बढ़ेगी?

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