भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। स्थानीय निकाय चुनाव की महक राजनैतिक दलों को आने लगी है। पहले तो एक बार सूचना आई थी कि 24 अप्रैल को चुनाव हो जाएंगे परंतु फिर मामला कहां उलझा, पता नहीं। वर्तमान में जजपा सभी 45 निकाय चुनावों पर अपने प्रभारी लगा रही है।

मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि चुनाव भाजपा-जजपा मिलकर लड़ेंगे, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अपने कार्यकर्ताओं से पूछ रहे हैं कि हमें चुनाव मिलकर लडऩा चाहिए या अकेले। साथ ही एक प्रश्न और पूछ लेते हैं कि चुनाव, चुनाव चिन्ह पर लडऩा चाहिए या बिना चुनाव चिन्ह पर। इन बातों से लगता है कि भाजपा और जजपा में खटास अवश्य आएगी।

वैसे मैं भी क्या कह रहा हूं। मिठास तो आज तक इनके रिश्तों में आई ही नहीं। जब भाजपा के नेता आते हैं तो जजपा के नेता नहीं आते और जब जजपा के नेता आते हैं तो भाजपा नेता दिखाई नहीं देते। भाजपा कार्यकर्ता कहते हैं कि शहरों में भाजपा का प्रभाव है। तो अब देखना होगा कि निकाय चुनावों का फैसला क्या होगा। वैसे सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दुष्यंत अपने फैसले मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष से पूछकर नहीं, अमित शाह, जेपी नडड़ा  से करवाते हैं।

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