पशुचारे भूसे का भाव 1500 से 1800 प्रति क्विंटल होने के चलते आम पशुपालक अपने पशुओं को बेचने को मजबूूर हो रहे है। विद्रोही 24 अप्रैल 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पशुचारे के बढ़ते भावों पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से आग्रह किया यदि सरकार ने अभी से पशुचारे को पर्याप्त मात्रा में इक्कठा करने की दिशा मेें ठोस कदम नही उठाये तो आने वाले समय में दक्षिणी हरियाणा सहित पूरे हरियाणा में पशुचारे का भारी संकट खड़ा हो जायेगा और ग्रामीण पशुपालक व्यवस्था तहस-नहस हो जायेगी। विद्रोही ने कहा कि इस समय पशुचारे के रूप में प्रयोग होने वाले भूसे का भाव 1500 से 1800 रूपये प्रति क्विंटल तक हो जाना बडी चिंता का विषय है। पशुचारे का यह आसमान छूता भाव पशु पालने वाले आमजन की आर्थिक कमर तोड देगा। यदि इस दिशा में गंभीर व ठोस कदम नही उठाये गए पशुचारा का भाव खाने अनाज के भाव से भी महंगा हो जायेगा। पशुचारे भूसे का भाव 1500 से 1800 प्रति क्विंटल होने के चलते आम पशुपालक अपने पशुओं को बेचने को मजबूूर हो रहे है। विद्रोही ने कहा कि यदि पशुपालक चारा के बढ़ते भावों के कारण यूंहि ही पशुओं को बेचते रहे तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था तो चरमराएगी, वही दूध, घी, छाछ के भाव भी आसमान छूकर आमजन की पहुंचे से बाहर हो जाएंगे। यदि यूहि लोग पशु बेचते रहे और पशुचारे के भाव बढते रहेे तो सम्पन्न लोगों को भी दूध मिलना बडी समस्या बन जायेगा। हालांकि सरकारी प्रशासन ने दक्षिणीे हरियाणा में पशुचारे पर धारा 144 लगाकर इसे बाहर भेजने पर रोक लगाने का प्रयास शुरू किया है पर प्रशासन व सरकार के उक्त प्रयास अभी केवल कागजों तक सीमित है और इसमेें कोई भी गंभीरता धरातल पर नजर नही आ रही है। विद्रोही ने कहा कि प्रदेश में पशुचारे का संकट न हो, इसके लिए भाजपा सरकार व उसके प्रशासन को हर सब-डिविजन मुख्यालय पर चारे का स्टॉक एकत्रित करने की जरूरत है। जिन राज्यों सेे पशुचारा उपलब्ध हो सकता है, सरकार अभी से वहां से चारा खरीदकर स्टॉक करे व हरियाणा राज्य से बाहर पशुचारा बाहर ले जाने पर तत्काल प्रतिबंध लगाये। अन्य राज्यों से पशुचारा लाकर सरकारी स्तर पर स्टॉक करने व प्रदेश के चारे को बाहर बेचने पर कठोर प्रतिबंध नही लगाया गया तो पशुचारा का इतना घोर संकट खडा होगा कि सरकार चाहकर भी स्थिति संभाल नही सकेगी। इसलिए विद्रोही ने मांग की कि पशुचारा संकट भयावह न हो, इसलिए अभी से सरकार चारा स्टॉक करना शुरू कर दे। Post navigation सरकार ने सुनियोजित रणनीति के तहत सरकारी थर्मल प्लांटों में बिजली उत्पादन क्षमता को ठप किया : विद्रोही विकास पर लम्बे-चौड़े दावे : अपने मुंह मियां मिठ्ठू ….. बताये कौनसी नई परियोजनाएं बनाई, पूरा किया या नही ? विद्रोही