–निकाय चुनाव को लेकर भाजपा में मंथन बैठकों का दौर शुरू,
–सत्ता में बैठे यादव समुदाय के दिग्गजों के लिए भी चुनौती होगी चेयरपर्सन की टिकट का वितरण

नारनौल, रामचंद्र सैनी। हरियाणा में निकट भविष्य में होने वाले निकायों के चुनावो ंमें चेयरमैनों के चुनाव सीधे जनता से करवाने के बाद अधिकांश नगर पालिका व परिषदों का परिसीमन पूरा हो चुका है। इसके बाद भाजपा ने इन चुनाव को लेकर प्रभारी व संयोजकों की नियुक्ति करके पार्टी के तरफ से संभावित उम्मीदवारों के आंकडे भी जुटा लिए गए हैं। इसकी अगली कडी के तहत भाजपा ने अब उम्मीदवारों के पैनल बनाने के लिए बैठकों को दौर भी शुरू कर दिया है। जिसको लेकर गत दो दिन पहले 16 अप्रैल को हिसार में भाजपा की पहली बैठक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड की अध्यक्षता में बैठक हो चुकी है। इस बैठक में संगठन के पदाधिकारियों के अलावा निकाय चुनाव के लिए संबंधित प्रभारियों तथा विधायकों एवं जिला अध्यक्षों ने पहुंचकर संभावित उम्मीदवारों के नाम प्रदेश अध्यक्ष को सौंप दिए हैं। जिनका पैनल बनाया जाएगा।

इस पहली बैठक की भनक के बाद नारनौल से चेयरपर्सन का चुनाव लडके के इच्छुक उम्मीदवारों ने अपनी भागदौड़ तेज कर दी है। वहीं दूसरी तरफ नारनौल नगर परिषद के अभी हाल में हुए परिसीमन के बाद सामने आये नये जातिगत आंकडों ने उम्मीदवारों का चयन करने के लिए सभी दलों की नींद उडा दी है, लेकिन सभी अधिक परेशानी सत्तारूढ दल के नेताओं के लिए खडी हो गई है, क्योंकि सबसे अधिक टिकट की लाइन भाजपा के टिकट की है। नये परिसीमन के बाद नारनौल नगर परिषद में के रिकार्ड के अनुसार अब कुल मतदाताओं की संख्या 72500 हो गई है। जबकि जुटाए गए आंकडों के अनुसार इनमें से सैनी 22000, यादव 11500, 7500 ब्रहाण, 6500 वैश्य, 11000 एससी, 4000 पंजाबी, सिक्ख, जाट एवं ठाकुर तथा करीब 10000 मतदाता खाती, सुनार, कुम्हार, दर्जी, नाई, धोबी, छिप्पी, गुसाई , भाट, पटवा, मेव व बंजारा आदि को मिलाकर है।

यहां से सर्वाधिक मतदाता होने के बावजूद सैनी समाज के टिकट चाहने वालों की राह में सबसे बड़ा रोडा उनकी ठोस पैरवी करने वालों का अभाव माना जा रहा है। दक्षिणी हरियाणा ही क्या पूरे हरियाणा में एक दो नेताओं को छोडकर सत्तापक्ष में सैनी समाज का ऐसा कोई नेता नजर नहीं आ रहा है तो जातिगत सर्वाधिक वोट होने के बाद भी इस समाज के लिए टिकट की मजबूती से पैरवी कर सके। जिसके चलते चर्चा यही चल रही है कि नारनौल से नप चेयरपर्सन की भाजपा की टिकट यादव समाज को जाना तय है। अब सबसे बड़ी विडंबना सत्तापक्ष के यादव समाज के उन नेताओं के लिए खडी हो गई है जो येन केन प्रकरेण यहां से अपने ही समाज के लोगों को दिलाना चाहते हैं, क्योंकि इस समय जिला में चारों विधानसभा में यादव समाज के विधायक और मंत्री है। दूसरा नारनौल में सैनी समुदाय के मतदाओं की संख्या भी यादव समाज से दोगुनी है। इस प्रकार दोनों ही परिस्थितियों में नारनौल नगर परिषद के चेयरपर्सन दावा सैनी समुदाय का ही बनता है। यह बात खुद सत्ता पक्ष के यादव समुदाय के विधायक और मंत्री भी दबी जुबान से स्वीकार कर रहे हैं। फिर भी टिकट वितरण का पैमाना क्या होगा यह तय करना भाजपा हाईकमान का काम है जो भविष्य के गर्भ में है।

भाजपा की टिकट चाहने वाले आकाओं के पास पेश कर रहे खुद के बनाये गए जातिगत आंकडे
अब इधर भाजपा की टिकट चाहने वाले लोग अपने-अपने आकाओं के पास खुद के द्वारा तैयार किए गए जातिगत आंकडे पेश कर रहे हैं। जिसके चलते सत्ता में बैठे सत्ता पक्ष के नेता भी असमंजस में पड़ गए हैं। कुछ टिकटार्थी तो आठ गांव नगर परिषद में शामिल होने के नाम पर अपने आकाओं को सफेद झूठ बोलकर आ रहे हैं। नगर परिषद के नये परिसीमन में जिन आठ गांव शामिल किए गए हैं उनके नगर परिषद की नई लिस्ट के अनुसार कुल 19000 मतदाता हैं। इन आठ में चार यादव तो चार सैनी बाहुल गांव है। इस प्रकार इन गांवों के कुल मतदाताओं में से 7500 मतदाता यादव और 4500 मतदाता सैनी है। जबकि 7000 मतदाता एससी, ब्राह्मïण, वैश्य व अन्य समुदाय है। यह भी सर्वविदित है कि नये परिसीमन से पहले नारनौल नगर परिषद में करीब 17500 सैनी तथा 3500 से 4000 यादव समुदाय से थे। जो अब बढक़र पहले दिए गए विवरण के अनुसार हो गए हैं। अब ऐसे में भाजपा हाईकमान के सामने यह विकट समस्या यह खडी हो गई है, इस सीट पर सबसे अधिक जातिगत आंकडे वाले टिकट चाहने वाले को अनदेखा कैसे किया जा सकता है।

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