गुरुग्राम, 15 अप्रैल। उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने के लिए प्रत्येक जिले में जिला उपभोक्ता अदालतों का गठन किया गया है ताकि उपभोक्ताओं के हितों पर कुठाराघात न किया जा सके। यदि कोई कुठाराघात करता है तो उसको सजा भी मिल सके। उपभोक्ता के हितों से जुड़े एक मामले में जिला उपभोक्ता अदालत ने एक बड़ा फैसला दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वॉटर बोटल की एमआरपी से अधिक 37 रुपए दुकानदार को लेना महंगा पड़ गया है। जिस पर उपभोक्ता अदालत ने स्टोर संचालक पर जहां 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया है, वहीं 5 हजार रुपए उपभोक्ता को अदालती खर्च देने का आदेश भी दिया है। गुरुग्राम के सैक्टर 56 के हरीश भूटानी ने 28 नवम्बर 2020 को सैक्टर 56 स्थित मोर रिटेल नामक स्टोर से एक वॉटर बोटल खरीदी थी, जिस पर 119 रुपए एमआरपी अंकित था। उपभोक्ता ने अपने बैंक कार्ड से इसका भुगतान कर दिया। घर आकर जब उपभोक्ता ने बिल देखा तो पता चला कि स्टोर संचालक ने 119 रुपए की जगह 156 रुपए काट लिए हैं, जिसकी शिकायत उसने स्टोर संचालक से की। लेकिन उन्होंने इस ओर कोई ध्यान दिया और न ही उसके फालतू रुपए लौटाए। उपभोक्ता ने जिला अदालत में स्टोर संचालक के खिलाफ शिकायत दायर कर दी। उपभोक्ता अदालत के मुख्य न्यायाधीश संजीव जिंदल व पदेन सदस्यों ऋषि दत्त कौशिक व उपासना बागला ने शिकायत की सुनवाई की।दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने माना कि स्टोर संचालक ने उत्पाद पर अंकित एमआरपी से अधिक की वसूली उपभोक्ता से की है। कोई भी दुकानदार एमआरपी से अधिक वसूल नहीं कर सकता। जिस पर अदालत ने स्टोर सचालक को दोषी मानते हुए जहां उन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, वहीं आदेश दिए हैं कि 5 हजार रुपए उपभोक्ता को अदालती खर्च भी दिया जाए। अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट भी किया है कि इस निर्णय से उन दुकानदारों को सबक मिल सकेगा जो उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ करते हुए एमआरपी से अधिक कीमत वसूल करते हैं। अदालत के इस निर्णय की उपभोक्ता बड़ी सराहना कररहे हैं। Post navigation आई.टी.आई गुरुग्राम में 21 अप्रैल को अपरेंटिस के लिए रोजगार मेले का आयोजन अरावली पर्वत श्रृंखला में वर्ल्ड क्लास ट्रैकिंग तथा जंगल सफारी बनाई जाएगी