गुरुग्राम, 14 अप्रैल। सरस मेले में विभिन्न राज्यों से आए स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार की साड़ियां महिलाओं की पसंद बन रही है लेकिन भागलपुर के सिल्क, वाटिक एवं मूंगा साड़ी महिलाओं को खासा आकर्षित कर रही है। मेले में बुनकरों के शानदार हुनर से निर्मित सिल्क व कॉटन की साड़ियों की इतनी कलेक्शन है कि मेले में आ रही दर्शक महिलाएं ग्रुप शॉपिंग कर रही हैं। सरस मेले में ‘बी ब्लॉक’ के 26 नंबर स्टाल पर बिहार के भागलपुर से आई शमीमा खातून उनके स्टाल पर आने वाले ग्राहकों को सिल्क व आइटम दिखाने के साथ साथ उन्हें इसकी खासियत व उसे बनाने की पूरी विधि भी बताती है। वे बताती है कि सिल्क में करीब 200 वैरायटी होती है जिसमें टसर सिल्क सबसे श्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि रेशम के कीड़े से बने कोकून को करीब 42 घंटे तक गर्म पानी में उबाला जाता है। उसके बाद समूह की महिलाएं उसे अपने पैरों पर मसलते हुए धागे का निर्माण करती है जिसे खुड्डी के माध्यम से साड़ी बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। बकौल शमीमा खातून एक सिल्क की साड़ी को तैयार करने में करीब एक हफ्ते का समय लगता है।

शमीमा खातून ने बताया कि उनके पास सिल्क की विभिन्न प्रकार की वैरायटी के साथ साथ खादी की भी काफी वैरायटी है। उनके काउंटर पर कॉटन के सूट की कीमत 700 रुपए से लेकर 4000 हजार के बीच है, वहीं प्योर सिल्क से बनी साड़ी की कीमत 6500 रुपये के करीब है। सबसे कम कीमत की साड़ी 950 रुपए की है जोकि कॉटन सिल्क से बनाई गई है।

मेले में अन्य राज्यों जैसे कि छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश से आए बुनकरों के स्टाल पर भी लोग खासी रुचि ले रहे हैं।

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