शॉर्ट सर्विस कमीशन से सेवानिवृत हुए अधिकारियों को नहीं मिल रही है पैंशन, केशलेस उपचार सुविधा भी नहीं उपलब्ध….

कई दशकों से सैन्य अधिकारी केंद्र सरकार से करते आ रहे हैं मांग
कैप्टन हरीश पुरी

गुडग़ांव, 14 अप्रैल (अशोक): शॉर्ट सर्विस कमीशन में अपनी सेवाएं दे चुके अधिकारियों को न तो पैंशन मिल रही है और न ही स्वास्थ्य संबंधी अन्य सुविधाएं। जिससे सेवानिवृत हुए इन अधिकारियों में रोष व्याप्त होता जा रहा है। ये अधिकारी पिछले कई दशकों से पैंशन व अन्य सुविधाओं की मांग केंद्र सरकार से करते आ रहे हैं लेकिन उनकी यह मांग आज तक भी पूरी नहीं
की गई है।

शॉर्ट सर्विस कमीशन से सेवानिवृत हुए कैप्टन हरीश पुरी का कहना है कि  वर्ष 1981 में वह सेना की आर्टिलरी कोर में कमीशन के माध्यम से भर्ती हुए थे। वर्ष 1989 में वह सेवानिवृत हो गए थे। सेवानिवृति के बाद उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया में भी कार्य किया था। करीब 3 दशक हो जाने के बाद भी उन्हें व उन जैसे अन्य पूर्व सैन्य अधिकारियों को आज तक न तो पैंशन मिली है और न ही कैशलेस की सुविधा केंद्र सरकार ने दी है। उनका कहना है कि आज पूरा देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकारें इसके तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर देश सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों को दया किया जा रहा है। लेकिन देश की सीमाओं पर तिरंगे की आन-बान-शान में अपनी जान की बाजी लगाने वाले शार्ट सर्विस कमीशन से भर्ती हुए सैन्य अधिकारियों को पैंशन जैसी सुविधाएं न देकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।

उनका कहना है कि शार्ट सर्विस कमीशन में भारतीय सेना के तीनों अंगों वायु, जल व थल सेना में अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है, जिसमें महिला, पुरुष दोनों ही शामिल होते हैं। इनकी भर्ती एसएससी आर्मी इंस्ट्रक्शन 1962 व 1964 के तहत ही की जाती है। पहले कमीशन में भर्ती हुए अधिकारियों की नियुक्ति 5 से 10 वर्ष की होती थी, लेकिन अब सीधे 10 वर्ष के लिए की जा रही है। कैप्टन पुरी का कहना है कि सेना में उनके समकक्ष अधिकारियों को 80 हजार रुपए के करीब पैंशन मिलती है। यदि उन्हें भी पैंशन मिलती तो वह भी इतनी ही होती। उनका कहना है कि कमीशन को गठित हुए करीब 58 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन केंद्र में विभिन्न राजनैतिक दलों की सरकारें रह चुकी हैं लेकिन किसी ने भी उनकी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार इन पूर्व सैन्य अधिकारियों को परेशान करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रही है।

उम्रदराज होने के चलते कई भयंकर बीमारियां भी इन सैन्य अधिकारियों को घेर रही हैं, उसके उपचार के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा भी नहीं है। परिजन भी बड़े परेशान हैं। उनकी कहीं भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कैप्टन पुरी जैसे अन्य पूर्व सैन्य अधिकारियों का भी कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री व अन्य उच्चाधिकारियों तक से कई बार गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन आश्वासन के सिवा उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है। इन पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि अमृत महोत्सव में भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। यह उनके साथ एक बड़ा भद्दा मजाक है। उन्होंने फिर से केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि दशकों पुरानी इस मांग को स्वीकार कर उन्हें पैंशन व बीमारी के उपचार के लिए केशलेस सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वे इस बढ़ती उम्र में निरोग रहकर जीवन-यापन कर सकें। सभी को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार भारतीय संविधान में भी दिया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए उनकी गुहार पर सरकार अबिलंब कार्यवाही करे।

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