गुरूग्राम में औद्योगिक एसोसिएशनों, ईंट भट्ठा मालिकों तथा अन्य हितधारकों के साथ एनसीआर में प्रदूषण कम करने को लेकर किया गया विचार-विमर्श
कार्यक्रम में 50 से ज्यादा ईकाइयों तथा संस्थानों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग

गरुग्राम 12 अपै्रल। भारत सरकार द्वारा एनसीआर तथा आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के चेयर पर्सन डा. एम.एम. कुट्टी ने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने का सभी का दायित्व है और हम सभी को मिलकर प्रदूषण कम करने के उपाय अपनाने होंगे।

डा. कुट्टी मंगलवार को गुरूग्राम के सैक्टर-18 स्थित हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) परिसर में गुरूग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी तथा महेन्द्रगढ़ जिलों की औद्योगिक एसोसिएशनों, ईंट भट्ठा मालिकों, रीयल अस्टेट डिवलेपरों सहित विभिन्न हित धारकों के प्रतिनिधियों के साथ एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधार तथा स्वच्छ पर्यावरण के विषय पर विचार-विमर्श करने के बाद अपने विचार रख रहे थे। इस दौरान कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिपा की महानिदेशक सुरीना राजन मौजूद रही। उनके साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य सचिव अरविंद नोटियाल, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव तथा हरियाणा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस नारायणन भी उपस्थित रहे। लगभग 4 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में गुरूग्राम तथा आसपास के क्षेत्रों से 50 से ज्यादा औद्योगिक एसोसिएशनों तथा अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम में डा. कुट्टी ने गुरूग्राम तथा आसपास के जिलों से आए औद्योगिक एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों तथा अन्य हितधारकों की समस्याएं सुनी और कहा कि एनसीआर में प्रदूषण के 80 प्रतिशत कारक औद्योगिक ईकाइयों व वाहनों से निकलने वाला धूंआ तथा सड़क किनारे से उठने वाली धूल हैं। पराली जलाने से सालाना 4 प्रतिशत प्रदूषण होता है लेकिन सितंबर-अक्तुबर महिनों में इसकी वजह से भी प्रदूषण में इजाफा होता है। डा. कुट्टी ने कहा कि एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने कि किसकी वजह से प्रदूषण ज्यादा होता है, उसकी बजाय सभी को मिलकर विचार करना होगा कि हम स्वयं प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं और वे उपाय हमें अपने पर्यावरण की बेहतरी के लिए खुद ही करने होंगे। हर व्यक्ति, हर संस्था, ईकाई और संगठन यह संकल्प लें कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काम करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि औद्योगिक ईकाइयों के प्रतिनिधि प्रोफेशनल होते हैं और उन्हें यह पता है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उन्हें क्या करना है।

उन्होंने कहा कि कमीशन फोर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट की वैबसाईट पर सभी हिदायतें तथा आदेश डले हुए हैं। उन्हें ध्यान से पढे़ और अपने संस्थान या औद्योगिक ईकाई में लागू करें। डा. कुट्टी ने कहा कि औद्योगिक ईकाइयों, ईंट भट्ठा मालिकों, निर्माण गतिविधियों से जुड़ी ऐजेंसियों तथा डिवलेपरों आदि को प्रदूषण कम करने के लिए बनाए गए नियमों तथा हिदायतों का स्वयं पालन करना है अर्थात् ये सेल्फ रेगुलेटरी हैं परंतु यदि आप नहीं करेंगे तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी नियमों की पालना सुनिश्चित करेंगे। कोताही पाए जाने पर आप पर पर्यावरण नुकसान भरपाई पैनेल्टी लगेगी और ईकाई या संस्थान को बंद या सील किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी ईकाई या संस्थान को सील या बंद नहीं करना चाहते, इसलिए नियमों का पालन करें। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो ईकाइयां या संस्थान सील किए जा चुके हैं, वे निर्धारित तीन दस्तावेज जमा करवा दें, उसके बाद तीन कार्यदिवसों में ही उस ईकाई या संस्थान की सील हटा दी जाएगी।

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिनिधियों से मुखातिब होते हुए कहा कि आपकी कठिनाईयों को समझते हुए हमने बायोमास र्को इंधन के रूप में प्रयोग करने की अनुमति दे दी है। हरियाणा और पंजाब में अकेले धान से लगभग 25 मिलियन टन बायोमास उपलब्ध होता है, इसलिए यहां पर बायोमार्स इंधन की कमी नही है। उन्होंने सौर ऊर्जा के प्रयोग पर भी बल दिया। डा. कुट्टी ने कहा कि बिजली निगम औद्योगिक ईकाइयों को निर्बाध बिजली आपूर्ति करेंगे तो डीजल जेनसैट के प्रयोग की आवश्यकता ही नहीं पडे़गी। यदि बिजली वितरण कंपनी सुचारू बिजली आपूर्ति नहीं करती है तो हमें बताएं, हम उन पर भी जुर्माना करेंगे।

इससे पहले अपने विचार रखते हुए आयोग के सदस्य सचिव अरविंद नोटियाल ने कहा कि भारत सरकार के वीजन के अनुरूप देश स्वच्छ ईंधन के प्रयोग की ओर बढ रहा है। उन्होंने कहा कि जहां पर पीएनजी उपलब्ध है, उन क्षेत्रों में अपने जैनसेट को डयूल-फयूल में परिवर्तित करें जिसके लिए टैक्नोलॉजी पिछले 15 साल से उपलब्ध है और जिन क्षेत्रों में पीएनजी नही है वहां पर एयर पोल्युशन कंट्रोल मेजर (एपीसीएम) अपनाने होंगे। उन्होंने कहा कि जहां पर कोयला इस्तेमाल हो रहा है वहां भी साधारण साइक्लोनिक बैग फिल्टर लगाकर प्रदूषण उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कहने का भाव यह है कि यदि मंशा हो तो समाधान मिल जाते हैं।

इस मौके पर हिपा की महानिदेशक सुरीना राजन ने कहा कि सड़क किनारे से उठने वाली धूल को कम करने के लिए औद्योगिक ईकाइयां तथा संस्थान अपने-अपने क्षेत्र की सड़कों को कुछ लंबाई तक अपनाएं और उनका सौंदर्यकरण करें। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदूषण को कम करने के मामले में भी विभिन्न क्षेत्रों में आपस में प्रतियोगिता रखी जानी चाहिए।
कार्यक्रम में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने पिछले कुछ समय के दौरान विभिन्न औद्योगिक एसोसिएशनों तथा हितधारकों से प्राप्त सुझाव तथा उन द्वारा उठाए गए मुद्दों व इन हितधारकों के सामने आ रही चुनौतियों के बारे में बताया।

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