बड़ा सवाल पटौदी डंपिंग यार्ड में ही क्यों लगती है बार-बर आग.
पटौदी में मोती डूंगरी के पास में ही बनाया गया है डंपिंग यार्ड.
डंपिंग यार्ड के पास ही शहर भर में पानी सप्लाई करने का बूस्टर.
गर्मी और फसल कटाई के दौरान दमकल विभाग की बढ़़़ी समस्या.
पटौदी नगरपालिका का तमाम कूड़ा करकट यही पर डाला जा रहा

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 शहर को साफ रखना और स्वच्छ वातावरण उपलब्ध करवाना स्थानीय निकाय विभाग की जिम्मेदारी और पहली प्राथमिकता में शामिल है । लेकिन बीते कुछ वर्षों से पटौदी नगरपालिका के डंपिंग यार्ड साइड में भड़कने वाली आग कहीं कोई साजिश तो नहीं या फिर योजनाबद्ध तरीके से जानबूझकर यहां कूड़े करकट में तो आग नहीं लगाई जा रही ? यह सवाल अचानक सामने नहीं आया है, पटौदी के मोती डूंगरी के पास बनाए गए डंपिंग यार्ड में नियमित अंतराल पर कूड़े करकट में लगने वाली आग से यह सवाल भी अब जवाब मांगने लगा है । ऐसा क्या कारण है कि डंपिंग यार्ड साइट पर चौकीदार के मौजूद रहते हुए भी यहां शहर भर से लाकर डाले जा रहे कूड़े करकट में कैसे और किस प्रकार आग लगती रहती है ?

जिस स्थान पर डंपिंग यार्ड बनाया गया है, वहां आसपास में ही स्कूल, मंदिर और आवासीय बस्ती भी है। इसके सामने ही आम लोगों को स्वच्छ और शुद्ध पर्यावरण तथा ताजा हवा और ऑक्सीजन के दृष्टिगत 70 लाख रुपए की लागत से पटोदी पालिका प्रशासन के द्वारा पार्क का निर्माण भी करवाया जा रहा है। लेकिन डंपिंग यार्ड जहां कूड़ा करकट  डाला जा रहा है , वह साइट अब विवादों का कारण बनती जा रही है। एक दिन पहले भी पटौदी के डंपिंग यार्ड साइट में लगे कूड़े करकट के ढेर में अचानक आग लग गई या फिर लगा दी गई ! कारण जो भी रहा हो । सूचना मिलते ही दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंची और कई घंटे की मशक्कत के बाद दम घोटू दुर्गंध भरे माहौल में दमकल कर्मचारियों ने आग को जैसे तैसे बुझा कर शांत किया । दमकल विभाग के कर्मचारी भी यह बात नहीं समझ पा रहे कि ऐसा आखिर क्या कारण है पटौदी के डंपिंग यार्ड साइड के कूड़े में हीं नियमित अंतराल पर आखिर आग लग रही है तो इसका क्या कारण है !

दूसरी ओर डंपिंग यार्ड साइट के पास में ही शहर भर में पीने का पानी आपूर्ति करने के लिए बूस्टर स्टेशन भी जलापूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा बनाया गया है । जलापूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा भी कई बार यह बात मीडिया के सामने रखी गई है कि डंपिंग यार्ड परिसर में कूड़ा करकट नहीं डालकर कर्मचारी यहां गेट के बाहर ही कूड़ा करकट डाल कर गायब हो जाते हैं । यहां डाले जा रहे कूड़े करकट में मवेशियों के अवशेष भी बड़ी मात्रा में शामिल रहते हैं । ऐसे में मांसाहारी पक्षी और जीव मवेशियों  के अवशेष गले सड़े गोश्त अथवा मांस के टुकड़े मुंह में दबाकर या फिर चोच में लेकर दाएं बाएं भागते हैं या हवा में उड़ते हैं । ऐसे में अक्षर यही गले सड़े मास के अवशेष बूस्टर परिसर में भी गिरे हुए पाए गए हैं। जिनके कारण पीने के पानी की गुणवत्ता भी बुरी तरह से प्रभावित होने के मामले कई बार सामने आ चुके हैं ।

सवाल यह है कि पटौदी के डंपिंग यार्ड साइट से कूड़ा करकट पालिका प्रशासन के द्वारा शहर से बाहर किस स्थान पर और कब कब भेजा जा रहा है ! इस संदर्भ में संबंधित अधिकारी बोलने से बचते दिखाई देते हैं। एक दिन पहले जिस समय पटौदी डंपिंग यार्ड साइट पर कूड़े करकट की आग बुझाई जा रही थी, उसी समय ही निकटवर्ती एक गांव में गेहूं की फसल में भी अपरिहार्य कारणों से आग लग गई। ऐसे में दमकल विभाग के पास सूचना पहुंची तो समस्या यह खड़ी हो गई कि कूड़े करकट की आग पर काबू पाया जाए या फिर खेत में सुलग रहे गेहूं की फसल को बचाने के लिए मौके पर पहुंचा जाए ? क्योंकि खेत में किसान की साल भर की मेहनत आग के कारण राख में तब्दील हो रही थी । ऐसे में मानेसर से दमकल विभाग को विशेष रूप से बुलाकर गांव बास पदमका के खेतों में सुलग रही गेहूं की फसल की आग को जैसे तैसे बुझाया गया । हैरानी इस बात को लेकर है कि पटौदी पालिका हाउस में जब भी बैठक होती है डंपिंग यार्ड और यहां पर डाले जा रहे कूड़े करकट सहित मवेशियों के अवशेष का मुद्दा पार्षदों के द्वारा उठाया जाता है । लेकिन इस समस्या का आज तक कोई भी स्थााई और ठोस समाधान पटौदी नगर पालिका प्रशासन और जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि करने में सफल होते दिखाई नहीं दे रहे। यहां पड़े कूड़े करकट के कारण बढ़ते तापमान के बीच आसपास में फैलाने वाली दुर्गंध से लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है । वही पूजा स्थल पर आने जाने वाले लोग भी परेशान होते रहते हैं। स्थानीय निवासियों ने इस समस्या का ठोस और स्थाई समाधान कर राहत दिलाने की मांग की है।

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