भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा में राजनैतिक स्थितियां बड़ी उलझी हुई सी हैं। मैं अपने मन की बात कहने जा रहा हूं चाहे सत्तारूढ़ भाजपा हो चाहे विपक्ष की कांग्रेस, दोनों ही पार्टी के नेता अपनी इमेज बनाने के लिए लगे रहते हैं। उसके बाद सत्ता पक्ष के नेता का ध्यान केंद्र के नेताओं को खुश करने का होता है और विपक्ष के नेता का काम जो उसके कद के बराबर आने की चेष्टा करे, उसे समाप्त करने का होता है। जनता तो बेचारी है, उसकी सुनने वाला कोई नहीं।

राजनीति से मायूस जनता को पंजाब में आप के जीतने के पश्चात आप पार्टी से कुछ आशाएं बंधी हैं, जिसे देखते हुए जनता का आप पार्टी की तरफ रूझान हुआ है। जनता की मनोस्थिति को समझते हुए राजनीति में जो उच्च महत्वकांक्षी, सिद्धांतहीन या अपनी पार्टियों से उपेक्षित दूसरे-तीसरे दर्जे के नेता अपना भविष्य आप में तलाशने लगे हैं। शायद आप पार्टी के पास भी रोज का यह रिकॉर्ड नहीं है कि आज संपूर्ण हरियाणा से उनकी पार्टी में कितने लोगों ने ज्वाइन किया है। 

ऐसा शायद आप पार्टी के नेताओं ने भी न सोचा था और उसी को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि नेतृत्व समझ नहीं पा रहा कि हम क्या कार्यशैली बनाएं। यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि पहले हरियाणा के प्रभारी सुशील गुप्ता 25 तारीख को चौ. बीरेंद्र सिंह को पार्टी में आने का निमंत्रण देते हैं, उसके पश्चात दिल्ली से आवाज आती है कि पार्टी में पूर्व विधायक और सांसदों को शामिल नहीं करेंगे और अभी कल ही आप के शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल सांसद अशोक तंवर अपनी पार्टी में शामिल करते हैं। कुछ समाचार निकलकर आए कि अशोक तंवर को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी।

पिछले समय से हरियाणा में आप की राजनीति में कोई उबाल नहीं था, न कोई विशेष जनाधार दिखाई देता था। नवीन जयहिंद को पार्टी के प्रधान पद से क्यों हटाया, यह बात जानकार जानते हैं, मैं कहना उचित नहीं समझता, लिखना उचित नहीं समझता लेकिन वह पिछले काफी समय से शांत थे। अब आप का नाम ले फरसा और सोटा दिखा रहे हैं। इसी प्रकार गुरुग्राम में अभय जैन हुआ करते हैं। वह अन्ना आंदोलन के समय से आप से जुड़े थे लेकिन जब योंगेद्र यादव अलग हुए तो वह योगेंद्र यादव के साथ चले गए थे। फिर योगेंद्र यादव से भी उनकी आकांक्षाएं पूर्ण नहीं हुईं तो उन्हें भी छोड़ दिया था। चर्चा रही कि वह भाजपा से पार्षद से टिकट मांग रहे थे लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़े थे। तात्पर्य यह कि आप पार्टी से उनका कोई नाता नहीं था लेकिन अब वह गुरुग्राम की जिला इकाई से अलग खुद आप के शीर्ष नेताओं की सभा कर रहे हैं। आज मेरी राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता से बात हुई थी तो जिला अध्यक्ष वहीं उपस्थित थे। जिला अध्यक्ष ने बताया कि अभी पिछले सप्ताह अभय जैन ने फरीदाबाद में आप की टोपी पहनी है।

तात्पर्य यह कि जिस प्रकार भाजपा में पुराने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है और नयों को जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं, कुछ ऐसा ही आप पार्टी में भी होता दिखाई दे रहा है। तात्पर्य यह है कि अनुशासन की कमी नजर आ रही है। ऐसी स्थिति में यह भी संभव है कि जैसे एक सप्ताह पहले आप की टोपी पहनने वाले व्यक्ति शीर्ष नेताओं की सभा बुला ले और शीर्ष नेता उसमें उपस्थित हो जाएं तो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को धक्का तो लगेगा ही। ऐसा कुछ आज भी सैक्टर-4 स्थित अग्रवाल धर्मशाला में हुआ। जब फरीदाबाद की कुछ पुरानी कार्यकर्ता महिलाएं अपनी अनदेखी से उनके आंसू आ गए और वे सबसे पीछे जाकर बैठ गईं। तो इसी प्रकार की अनेक बातें हैं, जो आप को अपनी ही कसौटियों पर कसना पड़ेगा। वरना यह जनता बहुत जल्दी समझती है तो उखडऩे में भी देर नहीं लगती।

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