सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने खेड़ी चौपटा और बास गांव धरने पर पहुँच कर किसानों की मांगों का पूर्ण समर्थन किया

·         जैसा बास गाँव चाहता है जनभावना के अनुरूप वैसा फैसला सरकार को लेना चाहिए– दीपेन्द्र हुड्डा

·         बास गाँव पर नगर पालिका थोपी न जाए – दीपेन्द्र हुड्डा

·         जन भावनाओं से खिलवाड़ करना अलोकतांत्रिक – दीपेन्द्र हुड्डा

·         चंडीगढ़ हमारा है सारे का सारा है – दीपेन्द्र हुड्डा

·         पंजाब विधान सभा में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव असंवैधानिक – दीपेन्द्र हुड्डा

नारनौंद / हांसी , 3 अप्रैल। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा आज नारनौंद हलके में खेड़ी चौपटा और बास गांव धरनों पर पहुँच कर आंदोलनरत किसानों और ग्रामीणों की मांगों का पूर्ण समर्थन किया। उन्होंने कहा कि किसानों की सभी मांगें जायज हैं सरकार इन्हें माने। अगर सरकार ने इनकी मांगें नहीं मानी तो आने वाले विधानसभा सत्र में हुड्डा जी के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल कार्यस्थगन प्रस्ताव लाएगा। दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि प्रदेश का किसान मौसम और सरकारी नीतियों की दोतरफा मार झेल रहा है। लगातार बेमौसम बारिश की वजह से उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सरकार ने अबतक किसानों को ना खरीफ सीजन में हुए नुकसान का मुआवजा दिया और ना ही रबी सीजन में हुए खराबे की पूरी गिरदावरी करवाई। बड़े रकबे में जलभराव की वजह से किसानों के लगातार दो सीजन बर्बाद हो गए। फिर भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। धरने पर बैठे किसानों ने सांसद को बताया कि खेड़ी चौपटा, आदमपुर, बालसमंद तहसील में फसलों का खराबा जीरो प्रतिशत दिखाया गया है। वर्ष 2021 की खरीफ फसल के नुकसान के आकलन के लिए हुई गिरदावरी में बालसमंद तहसील के अंतर्गत आने वाले गांवों में खरीफ 2021 का कोई नुकसान दर्ज नहीं किया गया। अधिकारियों ने घर बैठकर ही कागजी कार्रवाई करते हुए यह रिपोर्ट तैयार की है। मौके पर जाकर गिरदावरी रिपोर्ट नहीं बनाई गई। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार कदम-कदम पर अपने किसान विरोधी होने का परिचय दे रही है। मुआवजा वितरण में किसानों के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने मांग करी कि सरकार तुरन्त मुआवजा वितरण कराए और आंदोलनरत किसानों की समस्याओं का समाधान करे।

उन्होंने कहा कि बास गाँव के ग्रामीण नगर पालिका का दर्जा हटवाने के लिए पिछले एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। सरकार को जैसा गाँव चाहता है वैसा फैसला लेना चाहिए। जब बास गांव नगर निगम में नहीं रहना चाहता तो सरकार को जनभावनाओं की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, जन भावनाओं से खिलवाड़ करना अलोकतांत्रिक है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से मांग करी कि बास गाँव पर नगर पालिका थोपी न जाए, क्योंकि अधिकतर ग्रामीण इससे खुश नहीं है।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने पंजाब विधान सभा में पारित प्रस्ताव को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि चंडीगढ़ हमारा है और सारे का सारा है। उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव पूरी तरह से असंवैधानिक है, जिसके कोई मायने नहीं। पंजाब सरकार हरियाणा के हितों पर प्रहार की कोशिश न करे, हरियाणा के हितों के साथ इस तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। दीपेन्द्र हुड्डा ने पंजाब विधानसभा में सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब की एकतरफा दावेदारी सही नहीं है। अगर पंजाब सरकार राज्य के मसलों पर बात करना चाहती है तो सबसे पहले SYL पर SC के फैसले को अक्षरशः लागू करे। उन्होंने कहा कि हम हरियाणा के हिस्से का एक-एक बूँद पानी लेकर रहेंगे। पंजाब सरकार के इस कदम से ऐसा लगता है कि वो पंजाब की जनता का ध्यान अपने झूठे चुनावी वायदों से हटाना चाहती है। हरियाणा और पंजाब में चंडीगढ़ को लेकर 3 विषयों पर बातचीत होगी, किसी एक चीज पर एकतरफा फैसला नहीं हो सकता। शाह कमीशन ने भी कहा था कि चंडीगढ़ पर पहला हक हरियाणा का है। साथ ही पंजाब सरकार को हिंदी भाषी क्षेत्रों समेत तमाम मसलों पर बात करनी होगी। चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी थी, है और रहेगी; इसे कोई नहीं छीन सकता।

इस मौके पर विधायक सुभाष गांगोली, पूर्व विधायक परमिंदर ढुल, पूर्व विधायक रणधीर सिंह धीरा, राम निवास घोड़ेला, जस्सी पेटवाड़, प्रो. राम भगत आदि समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।         

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