मेरा प्यारा गाँव पुस्तक का विमोचन, लेखक की लेखनी निर्विवाद होती है साहित्यकार टी दिनकर

सोहना बाबू सिंगला

लेखक की लेखनी निर्विवाद होती है। जो अपनी लेखनी के बल पर समाज को वास्तविकता का बोध कराता है। तथा लोगों को पौराणिक व वर्तमान स्थिति का ज्ञान कराता है। जिससे समाज के लोगों में जागरूकता फैलती है तथा उनको अपनी संस्कृति का आसानी से पता चलता है। यह कहना है लोक साहित्य के मर्मज्ञ साहित्यकार डॉक्टर टी दिनकर का। जो लेखक प्रभु सिंह राघव द्वारा लिखित पुस्तक मेरा प्यारा गाँव के लोकार्पण अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने पुस्तक का विधिवत रूप से विमोचन किया। उक्त पुस्तक में गांव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

मन में लग्न व दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है तथा ऐसा व्यक्ति अपनी मेहनत के बल पर समाज में सम्मान हासिल करता है। उक्त बात को चरितार्थ किया है लेखक प्रभु सिंह राघव ने। जिन्होंने अपने पैतृक गाँव पर मेरा प्यारा गाँव नामक पुस्तक लिखकर काफी नाम कमाया है। जिनकी लिखित पुस्तक को सभी सराहना कर रहे हैं। उक्त पुस्तक में गांव के सभी हालातों के बारे में विस्तार से दर्शाया गया है। पुस्तक में पुरानी व नई संस्कृति के अलावा ग्रामीणों का रहन सहन, खानपान, रिश्ते आदि के बारे में उल्लेख किया गया है।

उक्त पुस्तक का लोकार्पण प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर टी दिनकर, लेखक व पत्रकार ज्योति संग, कन्हैया लाल शर्मा, राजपाल मेहरा, रूपकृष्ण आहूजा, किशोर कुमार कौशल व डॉक्टर रामप्रकाश वशिष्ठ द्वारा किया गया था। जिसमें सभी अतिथियों ने लेखक द्वारा लिखित पुस्तक की भूरी भूरी प्रशंसा की तथा उनके परिश्रम की सराहना की थी। पुस्तक में गांव के प्रति अटूट लगाव प्रदर्शित किया गया है। इस अवसर पर कन्हैया लाल द्वारा लिखित पुस्तक कैलाश मानसरोवर एक अनन्त यात्रा का भी विमोचन किया गया है। इस कार्यक्र्म में कवियों द्वारा काव्य पाठ भी प्रस्तुत किया गया था। जिसको लोगों ने एकाग्रता से सुना।

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