आप के चंडीगढ़ पर दावे के पारित प्रस्ताव पर पंजाब हरियाणा की सियासत में उबाल

अशोक कुमार कौशिक

 चंडीगढ़ पर आजकल राजनीति उफान पर है। केन्द्र भाजपा की तथा  पंजाब की आप पार्टी अपने-अपने सियासत के दांव चल रहे है। पंजाब की नई सरकार ने विधानसभा में पारित रेसोलुशन किया है वही रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चंडीगढ़ कर्मचारियों को लेकर एक नया ऐलान किया। चंडीगढ़ पर सिर्फ अपना हक जताने वाले पंजाब विधानसभा में पारित रेसोलुशन (प्रस्ताव) के विरोध में हरियाणा के विभिन्न राजनीतिक दल एकजुट हो गए हैं।  इसी बीच नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर हुड्डा ने दिल्ली में विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस दौरान कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। उधर इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला व महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं जाने पर जोर दिया है।

इन दलों के नेताओं ने आपस में हाथ बांधते हुए न केवल पंजाब विधानसभा में पारित इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया, बल्कि दोनों राज्यों के बीच चल रहे अन्य मसलों के समाधान की चिंता भी की है।

एसवाईएल नहर का निर्माण, अलग हाई कोर्ट और विधानसभा के कमरों पर पंजाब के कब्जे की याद कराते हुए हरियाणा के नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का बराबर का हक है और इस पर राज्य की दावेदारी को किसी सूरत में कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जब पंजाब विधानसभा में पारित प्रस्ताव की सूचना मिली, तब वह गुरुग्राम में थे। वहां उन्होंने तुरंत प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई और कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब सरकार के एकतरफा रेसोलुशन का कोई अर्थ नहीं है। पंजाब सरकार इस मसले पर लोगों को गुमराह करने में लग गई है।

हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री से मिलकर एसवाईएल नहर निर्माण के मसले पर अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए और साथ ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर हरियाणा के हितों के लिए चंडीगढ़ और एसवाईएल पर एक प्रस्ताव पास करना चाहिए, ताकि चंडीगढ़ के मुद्दे पर शाह कमीशन की रिपोर्ट और एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा के पक्ष के निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए।

विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ हरियाणा का है और इस पर हमारा पूरा हक है। हम किसी सूरत में चंडीगढ़ को हरियाणा के हाथ से नहीं जाने देंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा के अंतरराज्यीय मसलों के समाधान के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तैयार करें तथा प्रधानमंत्री से मुलाकात की तैयारी करें। हरियाणा के हितों की रक्षा के लिए हम सब एकजुट हैं।

प्रधानमंत्री से मिलने की तैयारी करें मनोहर लाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने कई बार मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल तैयार किया जाए, जो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा और हरियाणा के हितों की सुरक्षा का आग्रह करेगा।

हुड्डा ने कहा कि चंडीगढ़ को लेकर पंजाब की दावेदारी उचित नहीं है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। हरियाणा का बच्चा-बच्चा इसका विरोध करता है। चंडीगढ़ हमारी राजधानी है। इसी तरह, एसवाईएल नहर का निर्माण होना चाहिये। चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में पंजाब के राज्यपाल के साथ-साथ हरियाणा के राज्यपाल को भी मौका मिलना चाहिए। विधानसभा के कमरों पर पंजाब के कब्जे को मुक्त कराया जाना चाहिए। हरियाणा का अलग सचिवालय, अलग राजधानी और अलग विधानसभा चंडीगढ़ में ही बननी चाहिए।

तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएं: सीएम
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तुरंत प्रधानमंत्री से मिलने तथा एसवाईएल व चंडीगढ़ पर अपनी बात को मजबूती से रखने का सुझाव दिया है। साथ ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। इससे पहले भी अकाली दल-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस, हरियाणा के हक को रौंदते हुए पंजाब में ऐसे प्रस्ताव पास कर चुके हैं।

चौटाला ने कहा कि शाह कमीशन की रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि चंडीगढ़ पर पहला हक हरियाणा का है और अगर चंडीगढ़, पंजाब को दिया जाता है तो 109 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएंगे। इनेलो इन मसलों पर सरकार के साथ खड़ा नजर आएगा।

जनसेवक मंच के संयोजक एवं महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने पंजाब विधानसभा में पारित उस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है, जिसमें चंडीगढ़ को पंजाब का हिस्सा बताते हुए उसके हक में प्रस्ताव पारित किया गया है। कुंडू ने कहा कि किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि चंडीगढ़ हरियाणा की भी राजधानी है इसलिए उस पर सिर्फ पंजाब का हक हो, ऐसा हरियाणा के लोग किसी सूरत में स्वीकार या बर्दाश्त नहीं कर सकते। बलराज कुंडू ने हरियाणा सरकार को सुझाव दिया है कि वह चंडीगढ़ पर किसी सूरत में अपनी दावेदारी को कमजोर न होने दे और हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर न केवल पंजाब के इस प्रस्ताव का विरोध करे, बल्कि चंडीगढ़ के हक में हरियाणा का नया प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भी भेजे। 

यहां यह उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र हुआ। इस विशेष सत्र में अन्‍य मुद्दों पर चर्चा के अलावा पंजाब के मुख्‍यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा कानून लागू करने के विरोध में प्रस्‍ताव पेश किया। प्रस्‍ताव पर चर्चा के बाद इसे सर्वसम्‍मति से पारित कर दिया गया। बहस के दौरान अधिकतर सदस्‍यों ने इस प्रस्‍ताव का समर्थन किया। 

 उन्‍होंने इशारों में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार पर भी हमला किया। उन्‍होंने कांग्रेस विधायकों की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि आपके समय में सरकार के दरवाजे साढ़े चार साल तक नहीं खुले। प्रताप सिंह बाजवा से मुखातिब होते हुए उन्‍हाेंने कहा, आपने चिट्टी बहुत लिखी, लेकिन वह दरवाजे के नीचे से गए और फिर डस्‍टबिन में जाते रहे।

चंडीगढ़ को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने रविवार को एक नया ऐलान किया था। चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर अभी पंजाब के सेवा नियम लागू होते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एलान में कहा कि इस फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को काफी फायदा होगा। इन कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़कर 60 साल हो जाएगी। इसी तरह महिला कर्मचारियों का मातृत्व अवकाश भी एक साल से बढ़कर दो साल हो जाएगा। उन्होंने कहा कहा कि चंडीगढ़ के कर्मचारी बीते 20-25 साल से इसकी मांग कर रहे हैं।

पंजाब हमेशा से चंडीगढ़ पर अपना दावा जताता रहा है। फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि केंद्र के इस फैसले के बाद पंजाब का चंडीगढ़ पर दावा कमजोर होगा। सबसे बड़ा नुकसान भाषाई अधिकार को लेकर होगा। दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण चंडीगढ़ की प्रथम भाषा हिंदी थी, लेकिन पंजाब के दवाब के चलते केंद्र की कांग्रेस सरकार ने पंजाबी भाषा को भी अनिवार्य कर दिया था।

नए फैसले के बाद चंडीगढ़ में केंद्रीय सर्विस रूल के तहत जो भी भर्ती होगी, उसमें हिंदी जरूरी होगी। पंजाबी की अनिवार्यता नहीं होगी। इसके चलते पंजाब के युवाओं को चंडीगढ़ में नौकरी के अवसर कम हो जाएंगे। हरियाणा समेत बाकी राज्यों के उन युवाओं को जिन्हें पंजाबी नहीं आती होगी उनके लिए चंडीगढ़ में नौकरी हासिल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। 

चंडीगढ़ को लेकर हो सियासत पर सभी के अपने-अपने मायने और दांव हैं पर अब यह निश्चित है चंडीगढ़ केंद्र, पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ हिमाचल की राजनीति में भी निश्चय ही ऊफान लायेगा। सभी सियासत दान इसको लेकर अब मैदान में उतरेंगे।

error: Content is protected !!