खेती के प्रयोग में होने वाले कीटनाशक, खाद, बीज, कृषि यंत्र सभी महंगे हो गए : विद्रोही

02 अप्रैल 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी सरकार द्वारा डीएपी खाद के भाव में प्रति कट्टा 150 रूपये बढ़ाने की कठोर आलोचना करते हुए इसे भाजपा की किसान विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा बताया। विद्रोही ने कहा कि जो डीएपी खाद का एक कट्टा 1200 रूपये में मिलता था अब 1 अप्रैल से उस कट्टे का भाव 1350 रूपये प्रति कट्टा हो गया। डीएपी खाद के एक कट्टे में 150 रूपये की भारी भरकम बढोतरी कभी नही हुई। मोदी-भाजपा सरकार किसानों की आर्थिक कमर तोडकर उसे कर्ज बोझ से इस कदर दबाना चाहती है कि ताकि घाटे की खेती में पिसता किसान मजबूर होकर अपनी खेती व कृषि से सम्बन्धित व्यापार मोदीजी के परम मित्रों अडानी-अम्बानी की कम्पनियों को सौंप दे और मोदीजी सत्ता दुरूपयोग से किसानों को लूटकर अपने मित्रों की तिजौरियां भरने के नापाक इरादों में सफल हो जाये।

विद्रोही ने कहा कि एक ओर मोदीजी वर्ष 2022 तक किसान आय दोगुना करने का जुमला उछालते आ रहे है तो दूसरी ओर उनका हर कदम ऐसा है कि किसान आय दोगुना होनी तो दूर की कौडी है, उसकी आय लगातार घटती जा रही है और किसान पर कृषि कर्ज बोझ बढ़ता जा रहा है। मोदीजी के सत्ता में आने पर वर्ष 2014 में किसान की जो आय थी, वह 8 वर्ष बाद 2022 में क्या तो जस की तस है या घट चुकी है। किसान आय दोगुना करने का दावा एक जुमला निकला। विद्रोही ने कहा कि किसान की कृषि फसल लागत बढ़ती जा रही है और कृषि लागत के अनुपात में फसल एमएसपी मिलता नही। एक ओर डीएपी खाद के भाव 150 रूपये प्रति क्विंटल बढा दिये, वहीं विगत दस दिनों से डीजल का भव 7.20 रूपये प्रति लीटर बढ़कर शतक लगाने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। मोदी सरकार हर रोज 50 से 80 पैसा प्रति लीटर डीजल-पैट्रोल भाव बढा रही है और भाव बढाने का यह खेल कहां तक जायेगा और कब रूकेगा, कोई नही जानता। खेती के प्रयोग में होने वाले कीटनाशक, खाद, बीज, कृषि यंत्र सभी महंगे हो गए। वहीं एक उपभोक्ता के रूप में दैनिक जीवन चलाने के लिए खाद्य वस्तुओं सहित हर जरूरी सामान का भाव आसमान पर चढऩे से किसान, मजदूरों को अपने दैनिक जीवन के खर्च चलाना दूभर हो रहा है।

 विद्रोही ने कहा कि किसान परिवार भी अन्य नगारिक की तरह महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है। ऊपर से मोदी सरकार की तुलगकी आर्थिक नीतियां किसान व खेतिहर मजदूरों की ऐसी आर्थिक चोट मार रही है जो उसके जले घावो को और जला रही है। विद्रोही ने प्रधानमंत्री से मांग की कि कर्ज बोझ से दबे किसान की कृषि लागत घटाई जाये और उसे लाभकारी एमएसपी मिलने की कानूनी गारंटी मिले ताकि वह सम्मान से जी सके। वहीं डीएपी खाद भाव में बढाये गए 150 रूपये प्रति कट्टा की भारी भरकम वृद्धि तत्काल वापिस ली जाये। 

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