मलाईदार मानी जाती है तहसीलदार पोस्ट
वित्तायुक्त ने इन सभी के एचसीएस मनोनीत होने के रास्ते किए बंद

भारत सारथी/ कौशिक

हरियाणा की अलग-अलग 22 तहसीलों में तैनात तहसीलदार अपनी पदोन्नति नहीं चाहते। पांच ने विभाग को पत्र लिखकर खुद पदोन्नति लेने से इनकार कर दिया है। 17 जानबूझकर एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) नहीं भेज रहे हैं। तरक्की नहीं लेने के पीछे तहसीलदार अपने पारिवारिक और बीमारी का कारण बता रहे हैं।

तहसीलदारों के इस रवैये को देखते हुए वित्तायुक्त ने इन सभी के एचसीएस मनोनीत होने के रास्ते भी बंद कर दिए हैं। विभाग में जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) के बाद कोई प्रमोशन नहीं होती, बल्कि सरकार की तरफ से एचसीएस मनोनीत किया जाता है। इसलिए तहसीलदार डीआरओ के बजाय सीधे एचसीएस कैडर में जाने की जुगाड़ में होते हैं।

मेरिट के आधार पर चयन का दावा किया जाता है लेकिन यह पद सरकार की सहमति से मिलता है। अब 22 तहसीलदारों की एसीआर के आगे शून्य लिख दिया है। भविष्य में कभी उनका नाम एचसीएस के लिए मनोनीत होता है तो वह चयनित नहीं हो सकेंगे। इनमें से कई के खिलाफ तो वर्षों से चार्जशीट हैं।

प्रमोशन नहीं लेने के कई बहाने
पदोन्नति से इनकार करने वाले तहसीलदारों ने अलग-अलग तर्क और दलील दी गई हैं। किसी ने लिखा है कि वह संबंधित शहर में ही अपने परिवार के साथ रहना चाहता है तो किसी ने अपनी बीमारी का हवाला दिया है। कुछ ने बच्चों की शादी और मकान बनाने आदि के बारे में लिखकर पदोन्नति नहीं लेने की बात कही है। दरअसल, अधिकारियों की इस अपील पर विभाग फैसला करता है और यह एक साल तक संबंधित अधिकारी की प्रमोशन नहीं होती है।

मलाईदार मानी जाती है तहसीलदार पोस्ट
तहसीलदार का पद मलाईदार माना जाता है। उनके हस्ताक्षर से ही तहसीलों में रजिस्ट्री से लेकर जमीनों से संबंधित काम होते हैं। वहीं, डीआरओ का तहसीलों पर सीधा नियंत्रण नहीं होकर वह केवल डीसी का सहयोगी अधिकारी होता है। अधिकतर तहसीलों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। खुद सरकार की जांच में सामने आ चुका है कि पिछले चार सालों में 64,577 रजिस्ट्रियां गलत तरीके से हुई हैं। इनमें कुल 767 अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है। जिनमें इनमें 133 सब-रजिस्ट्रार, 97 संयुक्त सब-रजिस्ट्रार, 156 पंजीकरण लिपिक और 381 पटवारियों के नाम शामिल हैं।

पिछले कई साल से तहसीलदारों की पदोन्नति लटकी हुई है। विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है और जिनकी एसीआर नहीं मिली है, उनके नाम के आगे शून्य लिख दिया है। पदोन्नति प्रक्रिया चल रही है, जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगी। वहीं, जिन्होंने एसीआर नहीं भरी है, भविष्य में ऐसे अधिकारी एचसीएस में मनोनीत नहीं हो सकेंगे। 
– पीके दास वित्तायुक्त, हरियाणा।

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