भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । जिले में अवैध खनन और ओवरलोड पर अंकुश लगाना जिला प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है। सख्ती के बावजूद बखरीजा की माइंस में 150 फीट गहराई पर हैवी ब्लास्टिंग से खनन हो रहा है। जिसकी धड़क से मेघोत बींजा के 20 मकानों में दरार पड़ गई। विभागीय अधिकारियों को समस्या से अवगत करवा दिया गया। बावजूद उन्होंने अभी तक मौका निरीक्षण नहीं किया। जिससे ग्रामीणों को भ्रष्टाचार का अंदेशा होने लगा है।

पूर्व सरपंच बीरसिंह, प्रवीण, सरजीत सिंह, सरजीत, जिलेसिंह व प्रदीप ने बताया कि धोलेड़ा-बिगोपुर क्रेशर जोन के पास बखरीजा की सीमा में माइंस को लीज पर छोड़ा गया है। विभिन्न प्रक्रिया पूरी होने के बाद लीज होल्डर को निर्धारित मापदंडानुसार खनन करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन पत्थर की क्वालिटी अच्छी होने के कारण संचालक ने माइंस की गहराई बढ़ा दी। पिछले तीन साल में खदान की गहराई करीब 150 फीट हो चुकी। एक साथ अधिक पत्थर खनन करने के लिए हैवी ब्लास्टिंग का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि खदान से मेघोत बींजा गांव की दूरी करीब 500 मीटर है। ड्रिलिंग की कंपन तथा ब्लास्टिंग की धड़क से गांव के 20 मकानों की छत व दीवार में दरार पड़ चुकी। ब्लास्टिंग के बाद घंटा भर डस्ट का गुब्बार खड़ा रहता है। जिसके प्रदूषण से ग्रामीणों का स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा है। तीन ग्रामीणों की टीबी जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई है। 10-15 को दमें की शिकायत हो गई। पहाड़ के नजदीकी घरों में सांस लेना भी मुश्किल हो गया। पीडि़त ग्रामीणों ने समस्या से विभागीय अधिकारियों को अवगत करवा दिया है। लेकिन अभी तक उन्होंने माइंस का मौका निरीक्षण करना भी उचित नहीं समझा। आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के चलते माइंस संचालक सरेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। जिससे सरकार को करोड़ों का राजस्व तथा ग्रामीणों को स्वास्थ्य नुकसान झेलना पड़ रहा है।

पंचायत की जमीन पर मलबे का स्टॉक
ग्रामीणों ने बताया कि ब्लास्टिंग के बाद पत्थर व मलबे की छंटाई होती है। मलबे का स्टॉक मेघोत बींजा की पंचायती जमीन पर कर रखा है। सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़नूमा स्टॉक की अनुमति नहीं और ना ही पंचायत को किराया भुगतान कर रहा है। ग्रामीणों द्वारा विरोध करने पर माइंस संचालक परिणाम भुगतने का अल्टीमेटम देता है। जिससे लोगों में भय का माहौल उत्पन्न हो गया।

जोरदार जमीन कंपन से मकान गिरने का डर
ग्रामीणों ने बताया कि ड्रिलिंग शुरू होते ही नजदीकी मकानों में कंपन होने लगता है। इसके तुरंत बाद लोग घरों के बाहर खड़े हो जाते हैं, तथा ब्लास्टिंग होने तक अंदर नहीं जाते। कई बार रात को दो बजे ड्रिलिंग शुरू होती है, मकान गिरने का डर होने के कारण उन्हें रातभर जागना पड़ता है।

ओवरलोड पत्थर सप्लाई करते हैं डंपर
उन्होंने बताया कि बखरीज माइंस से जैनपुर, बायल, गांगोताना,, बिगोपुर के क्रेशरों पर पत्थर सप्लाई होता है। यहां कोई चेकपोस्ट नहीं होने के कारण डंपरों में धड़ल्ले से ओवरलोड पत्थर ढोया जाता है। जिससे ग्रामीण लिंक सड़कें क्षतिग्रस्त होने लगी हैं। बॉडी लेवल से ऊंचाई के पत्थर गिरने के कारण गांव के तीन-चार लोग घायल हो चुके। बावजूद माइंस संचालक व जिला प्रशासन गंभीर दिखाई नहीं दे रहा।

सिलिकोसिस बीमारी पसारने लगी पैर, ग्रामीण चिंतित
क्रेशरों की डस्ट से ग्रामीणों को सिलिकोसिस बीमारी पनपने की चिंता सताने लगी है। बीते दिनों मेघोत हाला में एक युवक को सिलिकोसिस रोग की पुष्टि हो चुकी। मामला विधानसभा तक पहुंचने पर स्वास्थ्य विभाग ने पीडि़त का इलाज आरंभ कर दिया है। किंतु लैंस खराब होने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि टीबी, आंख तथा एलर्जी रोगियों का संख्या तेजी से बढ़ रही है। रोकथाम के लिए क्रेशरों की डस्ट पर अंकुश लगाना अनिवार्य है।

शिकायत मिली हैं, जल्द करेंगे कार्रवाई
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एसडीओ दिनेश यादव ने बताया कि क्रेशर जोन में डस्ट उड़ने की शिकायतें मिली है। जल्द ही सभी क्रेशरों पर मापदंडों का निरीक्षण किया जाएगा। अनियमिताएं मिलने पर संचालक के खिलाफ केस दर्ज करवाया जाएगा।

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