अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन।

भारत सारथी/कौशिक

नारनौल । आजादी से पहले और आजादी के बाद मातृभूमि की रक्षा के लिए जान की बाजी लगाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अहीरवाल क्षेत्र में कुछ समय पूर्व सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग इस समय पूरा जोर पकड़ चुकी है।

इस मांग को लेकर दलगत और जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता भी एक सुर में नजर आने लगे हैं। बुधवार को गुरूग्राम के खेड़की दौला टोल नाके पर समूचे अहीरवाल क्षेत्र से बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने केंद्र सरकार को बड़ा संदेश देने का काम कर दिया है।

अहीरवाल क्षेत्र को सैनिकों की खान माना जाता है। आजादी की लड़ाई में इस क्षेत्र के योद्धाओं ने देश के लिए कुर्बानियां देने में जहां बड़े बलिदान दिए, वहीं आजादी के बाद चीन युद्ध से लेकर कारगिल युद्ध तक इस क्षेत्र के सैनिकों ने सर्वाधिक कुर्बानियां दी थीं। क्षेत्र में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां औसत हर घर में सेवानिवृत्त या सेवारत सैनिक हैं। सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग भी कई वर्षों से चली आ रही है, परंतु केंद्र सरकार की ओर से इस मांग पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया है। इसके पीछे तर्क यह रहा है कि जाति के आधार पर अब रेजिमेंट का गठन नहीं हो सकता। अब इस मांग ने नए सिरे से जोर पकड़ लिया है। गुरूग्राम में शुरू किए आंदोलन की गूंज ने समूचे अहीरवाल क्षेत्र को एकजुट करने का काम कर दिया है। शहीदी दिवस पर संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा के बुलावे पर रेवाड़ी से लेकर नारनौल तक के बड़ी संख्या में लोग पैदल मार्च में भाग लेने के लिए पहुंच गए।

पारिकर ने किया था विकल्प का वायदा
अगस्त 2016 में रेवाड़ी आगमन पर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर के समक्ष केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग उठाई थी। उस समय पारिकर ने जाति के आधार पर रेजिमेंट के गठन की संभावनाओं से इंकार दिया था, परंतु साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया था कि सैनिकों की खान अहीरवाल क्षेत्र की इस मांग को देखते हुए वह सैन्य अधिकारियों से बातचीत करने बाद इसका विकल्प जरूर तलाशेंगे। उसके बाद राव की ओर से बार पीएम और रक्षा मंत्री को पत्र लिखे गए, लेकिन आज तक यह मांग सिरे नहीं चढ़ पाई है।

शर्मा ने संसद में दिया था ठोस सुझाव
अहीरवाल के इकलौते कोसली हलके की बदौलत कांग्रेस के मजबूत कंडीडेट दीपेंद्र सिंह हुड्डा को गत लोकसभा चुनावों में मात देकर सांसद बने डा. अरविंद शर्मा सैनिक बाहुल्य इस हलके पर पूरा ध्यान दे रहे हैं। जनभावनाओं को देखते हुए संसद सत्र के दौरान डा. शर्मा ने रेजिमेंट का मुद्दा उठाते हुए तर्क दिया था कि अगर जातिगत आधार पर रेजिमेंट का गठन संभव नहीं है, तो अहीरवाल के नाम पर रेजिमेंट बनाई जा सकती है। अहीरवाल जाति नहीं होकर, एक क्षेत्र है। क्षेत्र के नाम पर तो रेजिमेंट का गठन किया ही जा सकता है।

सभी नेता करने लगे मांग का समर्थन
राव इंद्रजीत सिंह शुरू से ही अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग करते आ रहे हैं। कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव ने पहली बार विधानसभा में इस मुद्दे को उठाकर प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह इसके लिए केंद्र सरकार से बात करे। गुरूग्राम में धरना शुरू करने के बाद पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव व पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह समेत अधिकांश नेता इस मांग का समर्थन कर रहे हैं। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव व उनके विधायक बेटे चिरंजीव राव भी अहीर रेजिमेंट की मांग करते रहे हैं। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने एक बार फिर संसद में अहीरवाल क्षेत्र की इस मांग को उठाने का काम कर दिया। देखना यह है कि जोर पकड़ती अहीरवाल की यह मांग आखिर कब रंग लाएगी।

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